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ध्यान मुद्रा में भगवान शिव |
योग क्या है
योग अर्थात जुड़ना मिलना जिसमें व्यक्ति अपने शरीर के भीतर बैठे परम ज्योति स्वरूप परमात्मा से जुड़ता है जब वह अपने चेतना रूपी जीवात्मा शरीर को परमात्मा की आत्मा से संपर्क करा देता है उनसे मिल जाता है तब उसे योग की सिद्धि प्राप्त होती है यही जाकर योग बन जाता है जो योग का मुख्य कार्य मनुष्य की चेतन को परमात्मा की चेतना में मिलना उनसे जुड़ना योग कहलाता है
योग के अनुसार यह पूरा ब्रह्मांड अज्ञान के कारण ही चलता है माया अपना प्रभाव दिखाई है जिसके द्वारा यह सब वैज्ञानिक रूप से दिखाई देता है लेकिन यह सब प्रकृति माया के अनुसार चलता है जब व्यक्ति योग के माध्यम से परमात्मा का दर्शन करता है तब उसे सब कुछ पता चल जाता है कि यह पूरा शरीर कैसे काम करता है यह ब्रह्मांड कैसे काम करता है यह सब कुछ जानकार वह मोक्ष को प्राप्त कर लेता है परमात्मा से दर्शन उनसे जुड़ने का यही कार्य योग करता है जब वह प्रकृति रूपी माया के अज्ञान को मिटाकर सत्य को जान लेता है तब प्रकृति माया से मुक्त होकर मुक्त को प्राप्त हो जाता है।
योग का अर्थ
योग का उत्पति ,इतिहास
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भगवान श्री विष्णु शिव ध्यान में लीन इमेज |
योग का उद्देश्य
योग का उद्देश्य केवल मनुष्य के शरीर में विराजमान अपने जीवात्मा के भीतर परमात्मा से मिलना उनसे जुड़ना संपर्क करना उनमें लीन हो जाना योग परम उद्देश्य होता है योग परमात्मा से संपर्क करने के लिए ही बना है और इसका मुख्य उद्देश्य परमात्मा प्राप्ति उनसे जुड़ना ही होता है इसके दौरान व्यक्ति को अन्य को प्रकार के लाभ ही प्राप्त होते हैं जिसकी आगे हम व्याख्या करने वाले हैं
योग का महत्व
मानव जीवन में योग का बड़ा महत्व है हिंदू धर्म ग्रंथो के अनुसार मनुष्य योनि एक ऐसा जरिया है जिसके द्वारा व्यक्ति अपने जीवन के जन्म मरण के चक्र से छुटकर मोक्ष को प्राप्त कर सकता है अन्य योनियों द्वारा पशु, पक्षी, जानवर, जैसे प्राणी अपने जीवन के दौरान मोक्ष को प्राप्त नहीं कर सकते उनका विधान नहीं बनाया गया है क्योंकि मनुष्य के कर्म अनुसार उन्हें जीव जंतु की योनि प्राप्त होती है यह योनि भोगने के लिए होती है इस कारण वे मोक्ष को प्राप्त नहीं होते केवल मनुष्य योनि ही व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त कर सकता है इसलिए योग का व्यक्ति के जीवन में बड़ा महत्व है
योग का ना पालन करने से व्यक्ति का जीवन लक्ष हीन हो जाता है क्योंकि भगवत गीता में कहा गया है मनुष्य के जीवन का प्रथम उद्देश्य कर्म बंधन से छूटकर मोक्ष को प्राप्त करना होता है और योग ही व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त कर सकता है अन्य कोई रास्ता नहीं है जिसके द्वारा व्यक्ति मोक्ष को प्राप्त कर सके।
योग के प्रकार
1.राज योग
अपने मन को नियंत्रित करते हुए परमात्मा का ध्यान करना उनसे मिलना राजयोग कहलाता है
2.कर्म योग
निष्काम कर्म योग द्वारा किया जाता है जिसमें फल की इच्छा त्याग कर अपने धर्म के अनुसार कर्म करना कर्म योग कहलाता है
3.ज्ञान योग
गुरु से परमात्मा का ज्ञान लेकर उनसे संपर्क करना मिलना ज्ञान योग कहलाता है
4.भक्ति योग
परमात्मा में श्रद्धा विश्वास उनको अपने जीवन का संपूर्ण समर्पण कर देना भक्ति योग कहलाता है
5.नाद योग
शरीर के भीतर ध्वनियों पर धारणा ध्यान करते हुए परमात्मा को प्राप्त करना नाद योग कहलाता है
6.कुंडलनी योग
इसमें शरीर के सातों चक्र को जागृत करते हुए ब्रह्मनंद में परमात्मा का दर्शन करना कुंडली योग कहलाता है
7.हठ योग
इसमें शरीर को अनुशासित करते हुए मन, शरीर, बुद्धि, को वश में करते हुए अपने चित्त को परमात्मा में लगाने से योग में सिद्ध होती है और परमात्मा का मिलन हो पता है यह हठ योग कहलाता है
8.अष्टांग योग
महर्षि पतंजलि के योग सूत्र के अनुसार यम ,नियम, आसन, प्राणायाम , प्रत्याहार,धारणा, ध्यान, समाधि के द्वारा केवल्य को प्राप्त करना से परमात्मा का दर्शन होना अष्टांग योग कहलाता है इन अष्ठ नियमों से परमात्मा का दर्शन अष्टांग योग कहलाता है
9.प्रेम योग
परमात्मा में संपूर्ण प्रेम करना उनके ऊपर अपनी संपूर्ण जीवन को समर्पित कर देना और संसार को भूल जाना केवल ईश्वर में डूब जाना प्रेम योग कहलाता है
10.मंत्र योग
परब्रह्म परमात्मा का मंत्र जाप के द्वारा परमात्मा का दर्शन करना मंत्र योग कहलाता है
11.मोक्ष संन्यास योग
इसके अंतर्गत संन्यास के माध्यम से ध्यान के द्वारा परमात्मा को प्राप्त करना मोक्ष सन्यास योग कहलाता है
12.लय योग
यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान, समाधि, में जब मन परमात्मा में लीन हो जाता है तब लय योग प्राप्त होता है
13.अक्षर ब्रह्म योग
ज्ञान के माध्यम से अक्षर ब्रह्म को जानना उनमें धारणा ध्यान के द्वारा उनको प्राप्त करना अक्षर ब्रह्म योग कहलाता है
14.तंत्र योग
तंत्र के द्वारा एक विधिवत परमात्मा को प्राप्त करना तंत्र योग कहलाता है
15. निष्काम योग
कर्म फल की इच्छा त्याग कर अपने धर्म के अनुसार कर्म करने से एक समय बाद परमात्मा का आपके साथ मिलन हो जाता है यह क्रिया निष्काम कर्म योग कहलाती है
16.आत्मसंयम योग
धारणा ध्यान समाधि में जब संयम हो जाता है तब आत्मा का ध्यान करते हुए उसमें संयम करना आत्म संयम योग कहलाता है
17.क्रिया योग
इन छ नियमों के द्वारा प्राणायाम, प्रत्याहार, ध्यान, धारणा और समाधि। के द्वारा परमात्मा का दर्शन होना क्रिया योग कहलाता है
18.सांख्य योग
ज्ञान के माध्यम से इस प्राकृतिक माया से मुक्ति प्राप्त करना माया से मुक्त होना और इसको ज्ञान के माध्यम से जानना की माया कैसे काम करती है अपने जीवात्मा को किसी गुरु से ज्ञान लेना आत्मा क्या है सांख्य योग कहलाता है
19.श्रद्धा त्रय विभाग योग
परमात्मा में संपूर्ण विश्वास श्रद्धा प्रेम और उनको अपने जीवन का संपूर्ण समर्पण करना श्रद्धा त्रय विभाग योग कहलाता है
योग के लाभ फायदे
आध्यात्मिक लाभ
जीवात्मा का आत्मा से संपर्क: योग में सिद्धि मिलने पर जीवात्मा का परमात्मा की आत्मा से योग अपना उनसे जुड़ जाने से मोक्ष की प्राप्ति है
मोक्ष की प्राप्ति : योग के द्वारा जब व्यक्ति परमात्मा का दर्शन कर लेता है उनसे जुड़ जाता है अर्थात है माया रुपी अज्ञान को नष्ट करके ज्ञान के प्रकाश में हो जाने से उसे तुरंत मोक्ष प्राप्ति हो पाती है
आत्मज्ञान : जब साधक धारणा ध्यान समाधि को पार करते हुए जब अपने भीतर आत्मा का ज्ञान प्राप्त कर लेता है तब उसे आत्मज्ञान की प्राप्ति होती है
परमानंद : योग में जब वह सिद्धियां प्राप्त करने लगता है परमात्मा के साथ योग कर लेता है तब उसे परम आनंद की प्राप्ति होती है और उसे जीवन में आनंद ही आनंद आने लगता है
विचारों पर नियंत्रण: योग में सिद्धि मिलने पर व्यक्ति अपने विचारों थॉट्स पर नियंत्रण कर पाता है वह अपने इच्छा अनुसार विचार को चलाना है वह जो चाहता है वही विचार उसके दिमाग में आते हैं उसको अपने विचारों पर नियंत्रण करने की काबिलियत उसके अंदर आ जाती है
भूत भविष्य का ज्ञान: योग में सिद्धि मिलने पर व्यक्ति को भूत भविष्य का स्वत ही ज्ञान होने लगता है वह भूत भविष्य का भविष्यवाणी करने लगता है इसका उसे यह लाभ प्राप्त होता है
शक्तियों का मिलना : साधक योग धारणा ध्यान समाधि को प्राप्त कर लेता है तब उसे अनेकों प्रकार की शक्तियां स्वत ही मिलने लगती है उसे किसी भी प्रकार की प्रयास नहीं करना पड़ता
अष्ट सिद्धि का मिलना : धारणा ध्यान समाधि में जब वह सिद्ध कर लेता है और परमात्मा के साथ जब वह जुड़ जाता है तब उसे अष्ट सिद्धि की प्राप्ति होती है
पांच भूतों पर नियंत्रण: योग में सिद्ध होने पर व्यक्ति पांच महा भूतों पर कंट्रोल कर लेता है जिसके अनुसार वह छोटा बड़ा गायब होना अनेकों प्रकार के कार्य करने लगता है
परम शांति का मिलना : योग में सफलता मिलने पर व्यक्ति को परम शांति सुख का अनुभव प्राप्त होता है और उसका जीवन परम शांति में जीवन व्यतीत होने लगता है
शरीर पर नियंत्रण होना: योग के प्रथम चरण में जब आसन सिद्ध होता है तब व्यक्ति को शरीर पर नियंत्रण हो जाता है जिसके अनुसार वह जिस कार्य को करता है उसमें उसे सिद्धि तुरंत मिल पाती है
मन का वश में होना: योग के प्रथम चरण में जब आसन की क्रिया की जाती है और उसमें जब सिद्धि मिलती है तब मन व्यक्ति के वश में हो जाता है और वह जब किसी वस्तु पर धारणा ध्यान समाधि लगाता है तब उसे तुरंत उसमें सफलता मिलती है
पूरे शरीर का ज्ञान होना : योग में सिद्धि मिलने पर साधक को शरीर का संपूर्ण ज्ञान प्राप्त होता है कि शरीर कैसे काम करता है यह पूरा शरीर कैसे काम कर रहा है इसका संपूर्ण ज्ञान उसे प्राप्त हो जाता है
शरीर कैसे काम करता है इसका ज्ञान होना : योग के द्वारा शरीर कैसे काम करता है इसका व्यक्ति को ज्ञान होने से व्यक्ति अपने कर्म को सुधारता है और प्रकृति माया को नष्ट करके अपने अनुसार कर्म करने लगता है
शरीर मन बुद्धि कैसे काम करते हैं इसका ज्ञान होना: योग के द्वारा ही शरीर, मन, बुद्धि, कैसे काम करता है इसका ज्ञान प्राणी को हो जाता है जिसके द्वारा वह अपने इच्छा अनुसार शरीर मन बुद्धि को प्रयोग करना सीख लेता है
प्रकृति माया से मुक्ति का मिलना : प्राणी जब योग के माध्यम से परमात्मा से दर्शन करता है तब प्रकृति माया से मुक्त होकर सदा के लिए मोक्ष प्राप्त कर लेता है
अनेकों सिद्धियो का मिलना : साधक जब योग के मार्ग में आगे बढ़ने लगता है तब उसे अनेकों प्रकार की सिद्धियां अपने आप ही मिलने लगते हैं
भूख प्यास पर नियंत्रण : योग में जब आसन सिद्ध होता है तब व्यक्ति को भूख प्यास पर नियंत्रण करने की क्षमता आ जाती है वह अपने इच्छा अनुसार भूख पर नियंत्रण कर पता है
दूसरों के मन को पढ़ना : एक योगी पुरुष किसी भी प्राणी के मन को पढ़ने की क्षमता उसके पास होती है योग में ऐसी शक्तियां है जिसके द्वारा व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति के मन को पढ़ने की शक्ति उसके अंदर होती है जिसके द्वारा वह दूसरे के मन को आसानी से पढ़ लेता है और वह आपके बारे में सब कुछ जान जाता है
शरीर में ऊर्जा के स्तर में वृद्धि : योग में जब सिद्धियां मिलने लगती है तब व्यक्ति के शरीर में ऊर्जा स्तर की मात्रा अधिक तेजी से बढ़ने लगती है उसके शरीर के भीतर ऊर्जा गर्माहट महसूस होता है जिसके कारण उसे भूख प्यास नहीं लगती है और वह अधिक लंबे समय तक ध्यान करने में उसे सहायता करता है
वैज्ञानिक लाभ
शरीर से टॉक्सिक का नष्ट होना: योग करने से व्यक्ति के शरीर से अनेकों प्रकार के विषैला टॉक्सिक नष्ट हो जाते हैं जिससे शारीरिक स्वास्थ्य मिलता है
फेफड़े अच्छी तरह से काम करना: योग में प्राणायाम की क्रिया करने से व्यक्ति का फेफड़ा खुल जाता है जिससे उसके शरीर में ऑक्सीजन की सप्लाई अच्छे से होती है जिससे शरीर का विकास दर तेजी से होने लगता है
बीमारियों से मुक्ति मिलना : योग करने से व्यक्ति बीमारियों से हमेशा के लिए मुक्त हो जाता है योग करने से व्यक्ति को बीमारियां कभी भी परेशान नहीं करती है बीमारियां हमेशा योगी से दूर भागती है
विकास दर का बढ़ना : योग करने से व्यक्ति के शरीर का विकास दर अधिक तेजी से बढ़ता है जिससे शरीर की मांसपेशियां मजबूत होती हैं और व्यक्ति की बॉडी तेजी से बनती है
शरीर का ब्लड शुद्ध होना : प्रतिदिन योग का अभ्यास करने से व्यक्ति के शरीर में चल रहे ब्लू में सुधार शुद्ध आती है जिससे उसके शरीर से अनेकों प्रकार है हानिकारक विषैला टॉक्सिन से उसे राहत मिलती है और शरीर का विकास अच्छे से हो पाता है
शरीर में फुर्ती का आना: प्रतिदिन योग का अभ्यास करने से शरीर में फुर्ती हल्कापन आता है जिससे चलने फिरने दौड़ने में आसानी होती है
शरीर हल्का होना: जब व्यक्ति प्राणायाम की क्रिया में सिद्ध कर लेता है तब उसका शरीर पूरी तरह हल्का हो जाता है वह खुद को वायु में उड़ाने जैसा महसूस करने लगता है
मानसिक शांति : योग का प्रतिदिन अभ्यास करने से व्यक्ति को मानसिक शांति की प्राप्ति होती है जिससे उसका पूरी तरह मन शांत स्थिर हो जाता है
एकाग्रता में वृद्धि : योग का अभ्यास करने से मन का एकाग्रता में वृद्धि होती है जिससे किसी काम में मन को लगाने पर us काम में सफलता जल्दी मिल पाती है
योग क्यो करना चाहिए
योग ही एक ऐसा तरीका है जिसके द्वारा प्राणी संपूर्ण ज्ञान को प्राप्त कर सकता है आत्मज्ञान की प्राप्ति परमात्मा दर्शन उनसे मिलना जुड़ना कर सकता है योग करने से कर्म बंधन से व्यक्ति मुक्त हो पता है उसे कर्म बंधन संसार में नहीं बांधते हैं उसे परम शांति सुख की प्राप्ति होती है योग में लीन रहने से व्यक्ति आनंद में रहने लगता है जीवन को अच्छे से समझता है और समाज को आगे ले जाने में बड़ी भूमिका निभाता है
भारत के ऋषि मुनियों ने मनुष्य के जीवन का क्या लक्ष्य है उसका जन्म क्यों हुआ है इसका उत्तर निकाल लिया है और उनके अनुसार ब्रह्मांड का ज्ञान सबका ज्ञान योग के माध्यम से ही प्राप्त किया जा सकता है और योग से ही मनुष्य के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है इसलिए योग्य व्यक्ति को अपने जीवन में हमेशा करना चाहिए योग से व्यक्ति को अनेकों प्रकार के लाभ होते हैं योग करने से व्यक्ति का चित्त का एकाग्रता बढ़ता रहता है उसकी इंद्रियां उसके नियंत्रण में रहती हैं मन उसके अनुसार कार्य करता है मन व्यक्ति को बार-बार भटकाता नहीं है उसकी संपूर्ण जीवन आनंद पूर्वक होने लगता है जिसके द्वारा व्यक्ति को आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होता है