ध्यान अष्टांग योग का सातवा अंग है इसके अंतर्गत साधक अपनी सभी इंद्रियों मन को रोक कर किसी एक वस्तु जैसे शरीर के भीतर किसी अंग पर अपने चित्त मन बुद्धि को लगाता है अपने चित्त को एकाग्र करना यह पूरी प्रक्रिया ध्यान कहलाती है ध्यान के दौरान साधक किसी एक वस्तु पर मन को लगाता है जब साधक एक वस्तु पर लगातार ध्यान बनाए रख पाता है तब वह कुछ समय बाद समाधि की स्थिति में चला जाता है आज हम आपको यही बताएंगे कि कैसे आप ध्यान लगाएंगे और ध्यान के द्वारा समाधि तक पहुंचेंगे आज हम आपको ध्यान लगाना पूरा शुरू से लेकर अंत तक विधिपूर्वक बताएंगे जिसमें आपको किसी भी प्रकार का समस्या ना हो और आप आसानी से ध्यान के मार्ग में आगे बढ़ सके।

ध्यान जब आपका लग जाता है तब व्यक्ति को भूख प्यास पर नियंत्रण हो जाता है उसका मन बुद्धि इंद्रियां सब उसके काबू में आ जाती हैं उसको आनंद और शांति का अनुभव होता है जब वह ध्यान में आगे बढ़ता है और समाधि को प्राप्त करता है तब उसे आत्मज्ञान की प्राप्ति होती है और वह ब्राह्मणी ज्ञान प्राप्त कर संसार से मुक्त हो जाता है यह ध्यान लगाने का महत्वपूर्ण लाभ होता है आज हम आपको यही ध्यान लगाने का सबसे बेहतरीन तरीका बताएंगे जिससे आपको ध्यान लगाने का मुख्य उद्देश्य मिल सके, आगे।


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Table of contents 

  1. दृढ़ संकल्प करें
  2. शांत जगह का चयन करें
  3. ध्यान ब्रह्म मुहूर्त में करे
  4. समय का चयन करें
  5. आसन लगाए 
  6. 2 से 3 घंटे तक आसन में बैठे।
  7. हृदय पर चित्त को एकाग्रचित्त करे
  8. हृदय की आवाज को लगातार सुने
  9. आसन से उठे नही
  10. ध्यान में जाने की अंतिम अवस्था
  11. ध्यान लगने पर लक्षण दिखेंगे
  12. निष्कर्ष 


1. दृढ़ संकल्प करें :

ध्यान के मार्ग में आगे बढ़ने के लिए दृढ़ संकल्प का होना जीवन में अति आवश्यक है क्योंकि बिना दृढ़ संकल्प के आप योग मार्ग ध्यान मार्ग में आगे नहीं बढ़ सकते मन आपको ध्यान के मार्ग से भटका देगा आपको भटकने से रोकने का काम दृढ़ संकल्प ही करता है इसलिए आप ध्यान करने से पहले दृढ़ संकल्प जरूर कर लें उसके बाद ही ध्यान करने के लिए आगे बढ़े और ध्यान में बैठे कुछ इस प्रकार दृढ़ संकल्प करें...

जब आप आसन लगाए तब खुद से दृढ़ संकल्प करें कि मैं आज ध्यान लगाने में सफलता प्राप्त करके रहूंगा चाहे कुछ भी हो जाए में समाधि को जरूर प्राप्त होगा चाहे मेरे साथ कुछ भी हो जाए ऐसे आप खुद से दृढ़ संकल्प करके ध्यान लगाने के लिए आसन में बैठे।

2. शांत जगह का चयन करें :

ध्यान लगाने के लिए शांत जगह का चयन करना बेहद ही जरूरी है जहां शोरगुल होता है वहां पर ध्यान लगाने से आपका मन नहीं लगेगा मन ध्वनियों पर बार-बार भागेगा आप गहराई में ध्यान नहीं लगा पाएंगे इस कारण आप ध्यान लगाने के लिए किसी शांत हवादार स्थान पर जाएं और वहां पर ध्यान लगाए ने के लिए आसन लगाए।

3. ध्यान ब्रह्म मुहूर्त में करे :

ध्यान लगाने के लिए ब्रह्म मुहूर्त सबसे अच्छा माना जाता है इस समय ध्यान लगाने से जल्दी सफलता मिलती है और ध्यान लगाना आसान पड़ता है क्योंकि इस समय मन बुद्धि आपका सो के उठना है इसके कारण वह पूरी तरह एक्टिव नहीं होता है और जब आप इस समय ध्यान लगाते हैं तब आपका मन उतना आपको भटकता नहीं है आपको अधिक समस्याओं में नहीं डालता है इस समय मन आपका पूरी तरह कमजोर होता है इस समय ध्यान लगाने में आप जल्दी सफलता प्राप्त कर सकते हैं इसके अलावा दोपहर या शाम को ध्यान लगाने मैं सफलता प्राप्त करना कठिन होता है इसके बजाय ब्रह्म मुहूर्त के।

4. समय का चयन करें :

ध्यान लगाने के लिए सबसे जरूरी है कि आप सही समय पर उठे और ध्यान लगाने के लिए आसन लगाए इसके लिए आप सुबह 3:00 बजे से लेकर 4:00 के बीच ध्यान लगाने के लिए बैठ जाएं क्योंकि इस समय वातावरण पूरी तरह शांत निर्मल स्वच्छ होता है और ध्यान लगाने के लिए आसान होता है ध्यान में सिद्धि मिलने में कम से 2 से 3 घंटे लगेंगे क्योंकि ध्यान लगाते समय आपको अपने मन बुद्धि इंद्रियों सबको नियंत्रण करना होता है 

अगर आप 4:00 से 6:00 बजे के बीच में ध्यान लगाते हैं तब 2 घंटे आप ध्यान करेंगे उसे समय सुबह हो जाने के कारण आपके गांव या शहरों में शोरगुल होना शुरू हो जाएगा जिसके कारण आपको समस्याएं आ सकते हैं इसलिए जितना हो सके आपको सुबह रात में ही ध्यान लगाने लगाना चाहिए ।

5. आसन लगाए :

ध्यान लगाने के लिए सुख आसन या पद्मासन आसन जो आपको आसान लगे जिस आसन में आप 3 घंटे तक बिना किसी समस्याएं के बैठे रह सकते हैं उसी आसन को चुने आसन चुनने की जिम्मेदारी आपके ऊपर है अब आप अपने सिर गर्दन और कमर रीड की हड्डी को सीधा रखें और आसन में पूरी तरह शांत निर्मल रूप से बैठ जाए।


आसन में बैठने से पहले आप अपने नीचे गड्ढे का प्रयोग करें या किसी मुलायम चीज को बिछाकर उसके ऊपर बैठे अन्यथा आपको ध्यान में लागातार बैठने से पीड़ा असहनी दर्द का सामना करना पड़ सकता है

5.2 से 3 घंटे तक आसन में बैठे:

ध्यान की समय सीमा 3 घंटे होती है जो साधक आसन में 3 घंट तक बिना किसी त्रुटि के हिले डुले आंखे झपकाए पैर हिलाए लगातार 3 घंटे तक आसन में बैठा रह जाता है तो वही साधक ध्यान में सिद्ध हो पता है जो साधक  2 घंटे तक आसन में बैठा रह जाता है तो उनकी इंद्रिया शरीर, मन, बुद्धि पर नियंत्रण हो जाता है और वह ध्यान की गहराई में चला जाता है


6. हृदय पर चित्त को एकाग्रचित्त करे :

अब आपको अपने हृदय की आवाज ध्वनि को सुनना है अब आपको  अपने चित्त मन को अपने भीतर चल रहे हृदय की धड़कन की ध्वनि पर अपने चित्त को स्थित करना है जब आप अपने हृदय पर मन को स्थित करने का प्रयास करेंगे तब आपका मन वहां से आपको भटकाकर अन्य खयालों विचारों में आपको फंसा देगा लेकिन कुछ देर बाद आपको फिर से याद आएगी कि आप ध्यान लगा रहे हैं जब आपको यह याद आए तब आपको फिर से हृदय पर ध्यान लगाना है ऐसा आपको बार-बार करते रहना है एक बार हृदय पर चित्त नहीं ठहर सकता है उसे हृदय पर स्थित करने के लिए बार बार प्रयास करना पड़ता है तभी वह एक वस्तु पर स्थित हो पता है

7. हृदय की आवाज को लगातार सुने :


ध्यान में हृदय की आवाज को आपको लगातार सुनते रहना है जब आपका ध्यान हृदय की आवाज से अन्य आवाजों पर जाए तब आपको उसे पड़कर फिर से हृदय की आवाज पर लगाना है आपको हृदय की आवाज को लगातार सुनते रहना है यह प्रक्रिया लगातार 2 घंटे तक चलने वाली है इसके बाद आपका मन हृदय की आवाज से भटकना बंद कर देगा। उसके बाद आपको बिना किसी परिश्रम के ही आपके हृदय की आवाज अपने आप सुनाई देने लगेगी फिर आपका मन वहा से भगाएगा नहीं यह स्थिति ध्यान की गहराई की होती है जब यैसा होता है तब आप ध्यान के सही मार्ग पर जा रहे होते है।


8. आसन से उठे नही :

आपको आसन से किसी भी परिस्थिति में उठाना नहीं है इसका आप विशेष ध्यान रखें जब आप आसन में बैठ जाएंगे तब शुरू में 15 से 20 मिनट  के बाद आपके शरीर में विचारों का आना प्रारंभ हो जाता है और आसन से आपको उठाने के विचार आने शुरू हो जाएंगे अब आपका मन आपको ध्यान से उठने के लिए अन्य कामों को याद दिलाएगा कि आप किसी प्रकार उठ जाएं और ध्यान कल से करें ऐसी विचार आने आपको शुरू हो जाएंगे और शरीर में बिना कारण ही दर्द प्यास लगना घबराहट लगना कमर के नीचे का पार्ट तेजी से दर्द करना सुन्न हो जाना जैसी समस्याएं आपको देखने को मिलेगी।


इसलिए आप आसन लगाने से पहले इसका एक से दो हफ्ते तक अच्छे से अभ्यास करने के बाद ही 3 घंटे तक आसन लगाने के लिए बैठे हैं अब आपका शरीर आपको पीड़ा दर्द देना शुरू कर देगा, कि आप किसी प्रकार आसन से उठ जाएं बुद्धि आपको अनेकों प्रकार के तर्क वितर्क देगा आप किसी प्रकार ध्यान से उठ जाए लेकिन आपको 3 घंटे तक आपको किसी भी परिस्थिति में ध्यान से उठाना नहीं है इसका आप विशेष ध्यान रखें। तभी आप ध्यान से सिद्ध हो पाएंगे 


महत्त्वपूर्ण बाते -   ध्यान एक ऐसी विधि ही जिसमे ध्यान भंग हो जाए या ध्यान में त्रुटि हो जाने पर आपको फिर से प्रयास करना पड़ता है 
जैसे :  2 घंटे के भीतर आपका ध्यान किसी कारण वस टूटा या ध्यान से आप उठ जातें है तब आपको फिर से 2 घंटे लगेंगे आसन सिद्ध करने है जब जब ऐसा होता तब तब आपकी फिर से उतना समय लगेगा इसलिए जब आप आसन में बैठ जाए तब आपको किसी भी परिस्थिति में आसन से उठना नहीं है अन्यथा अपना पूरा परिश्रम व्यर्थ चला जायेगा।

9. ध्यान में जाने की अंतिम अवस्था :


जब आपको आसन में बैठे डेढ़ घंटे ज्यादा होने होने लगे तब आपका शरीर अधिक तेजी से असहनीय दर्द पीड़ा देने लगेगा सांस फूलने लगेंगे धड़कनें तेज होने लगेंगे शरीर से पसीना तेजी से निकलने लगेगा आप कांपने लगेंगे जब ऐसी स्थिति आ जाए तब समझ लेना कि यह ध्यान की गहराई में जाने का कुछ ही क्षण बाकी है जब यह स्थिति आपके साथ होने लगे तब आपको किसी भी परिस्थिति में आसन से उठाना नहीं है क्योंकि मन बुद्धि शरीर सब आपको आसन से उठाने ध्यान भंग करने के लिए पूरा प्रयास करेंगे अब आपको आसन में यह स्थिति आने के बाद भी बैठे रहना है और अपने मन को हृदय की आवाज को सुनते रहना है ऐसा केवल एक से दो मिनट ही आपके साथ होगा उसके बाद आगे।

10. ध्यान लगने पर लक्षण दिखेंगे :


जब आप ध्यान की अंतिम अवस्था में टिके रह जाते हैं तब आपका शरीर एक झटका में कांपते हुए ध्यान की गहराई में चला जाएंगे इस स्थिति में आने के बाद शरीर के सारे दर्द पीड़ा असहनीय दर्द घबराहट बेचैनी सब कुछ कुछ ही क्षणों में खत्म हो जाएगा आपको एक बेहद ही परम शांति का अनुभव होगा आपका हृदय की धड़कन तेजी से आपको सुनाई देने लगेगी।

आपके दिमाग में विचार आने पूरी तरह बंद हो जाएंगे आप जहां चाहे वहां ध्यान को लगा पाएंगे ऐसी स्थिति आपके पास आ जाएगी आपका बाहरी जगत से संपर्क टूट जाएगा आपको बाहरी ध्वनियां सुनाई नहीं देंगे केवल शरीर के भीतर की आवाज़ सुनाई देंगे अब आपको ध्यान में बैठने के लिए मन आपको कहेगा कि तुम बताओ कितने घंटे तक ध्यान में बैठना है  आसन में बैठने के लिए आपका मन कहेगा आपको किसी भी प्रकार की पीड़ा की समस्याएं नहीं होगी आपको कई दिनों तक आसन में बैठे रहने का प्रस्ताव देगा जब ऐसी स्थिति आपको दिखे तब आपको समझ जाना कि आपका मन बुद्धि इंद्रियां शरीर सब कुछ आपके कंट्रोल में आ चुका है अब आपको ध्यान लगाने का मुख्य उद्देश्य मिल चुका है आप ध्यान की गहराई में जा चुके है।


आप चाहे तो इसके बाद आप समाधि की और बढ़ सकते है बस आपको अपने चित्त को हृदय पर धारणा ध्यान करते हुवे चित्त को एकाग्रचित्त बनाए रखे यैसा करने पर एक यैसी स्थिति आएगी जहा पर आप खुद को भी भूल जाएंगे की आप ध्यान लगा रहे है और आपके साथ एक घटना घटेगी और आप समाधि में चले जाएंगे। 


निष्कर्ष 

अपने जाना कि कैसे ध्यान लगाना है ध्यान लगने के लक्षण क्या होते हैं आपको हमने पूरा शुरू से लेकर अंत तक बताया है कैसे ध्यान आपको लगाना है कैसे ध्यान की गहराई में जाना है इसमें आपको किसी प्रकार की समस्या हो तो आप हमें कमेंट में बताएं । योग में आपको आगे बढ़ाना है तो आप हमसे जुड़े हम आपकी ध्यान योग में सहायता करने के लिए हमेशा तत्पर रहते है.।

ध्यान करते समय झटके क्यों लगते हैं?

जब आप ध्यान की अंतिम अवस्था में टिके रह जाते हैं तब आपका शरीर एक झटका में कांपते हुए ध्यान की गहराई में चला जाएंगे इस स्थिति में आने के बाद शरीर के सारे दर्द पीड़ा असहनीय दर्द घबराहट बेचैनी सब कुछ कुछ ही क्षणों में खत्म हो जाएगा