ध्यान अष्टांग योग का सातवां अंग है जिसमें महर्षि पतंजलि ने चित्त को किसी एक वस्तु या स्थान पर बनाए रखने को ध्यान कहा है एक योगी को योग के मार्ग में कैसे यम नियम आसन प्राणायाम प्रत्याहार धारणा ध्यान और समाधि को लगाना है हम आपको अष्टांग योग करना सीरियल वाइज सीखा रहे हैं आज इस चैप्टर में आपको हम ध्यान लगाना सिखाएंगे यह अष्टांग योग का सातवां अंग है इसमें आप करने के बाद समाधि में प्रवेश करेंगे पिछले हमने सभी अध्यायों का हमने विस्तृत जानकारी दे दिया है अब चलिए जानते हैं ध्यान क्या है ध्यान कैसे लगाना है इसकी साधना कैसे करनी है
ध्यान क्या है
ध्यान अष्टांग योग का सातवां चरण है जिसमें महर्षि पतंजलि ने योगी को अपने शरीर में परमात्मा पर अपने चित्त को एकाग्रचित बनाए रखने को कहा है यही क्रिया अष्टांग योग में ध्यान कहलाता है
अष्टांग योग में योगी जब आसन प्राणायाम प्रत्याहार धारणा करके हुवे किसी एक वस्तु या परमात्मा पर अपने चित्त को लगाता है तब धारणा कहलाता है और उसी परमात्मा चित्त को लगाए रखना है ध्यान कहलाता है
ध्यान का अर्थ
ध्यान का अर्थ होता है चंचल मन को अपने शरीर के भीतर किसी एक स्थान हृदय या शरीर के चक्र या परमात्मा में अपने मन को एक स्थान पर चित्त को लगाए रखना वहां से मन बार-बार भागे उसे पड़कर फिर उसी पर लगाए रखना ध्यान कहलाता है
एक सामान्य पुरुष जब किसी काम को करता है तब उस काम में उसका मन वहां से बार-बार भागता है यह समस्या चाहे कोई बिजनेस हो students हो या किसी भी फील्ड में हो प्रत्येक लोगों को होती है और यह समस्या एक योगी को भी होती है जिसमें योगी चंचल मन में आने वाले इच्छाओं कामनाओं भोग विलाशो से मन को हटाकर मन को एक वस्तु पर एकाग्रचित करता है यही प्रक्रिया ध्यान कहलाती है अब चलिए जानते हैं ध्यान की साधना कैसे करनी है ध्यान लगाने से पहले पहले अष्टांग योग के यह नियम आसन प्राणायाम प्रत्याहार धारणा को पहले पढ़ ले उसके बाद ही ध्यान लगाए।
ध्यान कैसे लगाए इसकी साधना तारिक।
1. सही समय का चयन करे :
ध्यान लगाने के लिए सही समय का चयन करना बेहद ही जरूरी है इसलिए आप सुबह 3:00 बजे से लेकर 4:00 की बीच में ध्यान लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दें ध्यान जितना हो सके आप सुबह लगाने का प्रयास करें दोपहर या शाम के समय ध्यान लगाने में आपको समस्या आ सकती है और उस समय ध्यान लगाने में आपको अधिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है इसलिए जितना हो सके सुबह ही ध्यान साधना लगाना चाहिए ध्यान साधना लगाने में आपको कम से कम 2 घंटे लगेंगे उसके अनुसार आप तय कर ले की सुबह कितने बजे के बाद उजाला हो जाएगा उसके बाद आपके गांव या शहर में शोर गुल होने लगेगा उसके अनुसार आप सुबह रात को जागे और ध्यान करने के लिए आसन लगाए।
2. आसन लगाए :
ध्यान लगाने के लिए सर्वप्रथम आप किसी शुद्ध वातावरण जहां पर शोरगुल ना होता हो जहां पर आप ध्यान लगा रहे हो वहां का स्थान भी शुद्ध हो और आप अपने शरीर को शुद्ध करने के बाद ही ध्यान लगाने के लिए बैठे यम में बताया गया है की शौच की प्रक्रिया करने से आपका शरीर शुद्ध पवित्र हो जाता है उसे करने के बाद ध्यान लगाने के लिए आसन लगाए। आसन लगाने के लिए आसन की मुद्रा में बैठे अपने रीड की हड्डी गर्दन सिर को सीधा रखें अपने दोनों जांघों के बीच में अपने दोनों हाथों के ऊपर हाथ को रखें और आसन को सिद्ध करें सिद्ध करने में आपको 2 घंटे से 3 घंटे लगने वाले है
3. प्राणायाम करे :
जब आप आसन सिद्ध कर रहे हो तब उसके साथ ही प्राणायाम की प्रक्रिया करते रहे जिससे आसन भी सिद्ध होगा और प्राणायाम भी सिद्ध होगा जिससे आपको किसी भी प्रकार की समस्या नहीं आएगी अन्यथा केवल आसन सिद्ध करेंगे तो शरीर पूरी तरह स्वस्थ ना होने के कारण आपको ध्यान की गहराई में जाने में समस्या आ सकती है इसलिए आप आसन के साथ-साथ प्राणायाम दोनों को एक साथ करते हुए दो से तीन घंटे तक आसन को सिद्ध करने का प्रयास करें।
4. धारणा करे :
आसन और प्राणायाम दोनों जब 2 घंटे बाद सिद्ध हो जाएगा जब आपका शरीर आसन मैं स्थित हो जाएगा मन आपके कंट्रोल में आ जाएगा इंद्रियां सब आपकी वश में हो जाएगी तब धारणा की प्रक्रिया शुरू करें अपने शरीर के भीतर परमात्मा पर अपने मन चित्त को लगाए।
5. ध्यान बनाए रखे :
जब आप धारणा में अपने चित्त को शरीर के किसी स्थान या हृदय पर या चक्र या परमात्मा पर चित्त, मन को परमात्मा पर बनाए रखना वहां से मन को किसी अन्य वस्तुओं कल्पनाओं में जाने से रोकना चित्त को लगातार स्थित बनाए रखने से ध्यान की सिद्धि प्राप्त होती है जब ऐसा आप करने में सफल हो जाते हैं तब एक ऐसी स्थिति आएगी जब अपने आप ही आप समाधि में चले जाएंगे। आज आपने ध्यान लगाना सीख लिया है अब आप समाधि लगाना सीखेंगे समाधि में कैसे जाना है आगे चैप्टर में पढ़ेंगे ।
समाधि क्या है समाधि लगाने का तरीका साधना