नाद योग अथार्थ ध्वनि के माध्यम से योग को प्राप्त करन नादयोग हठयोग प्रदीपिका में वर्णित है नाद योग एक ध्वनि पर समाधि करते हुए ब्रह्म को प्राप्त करने का तरीका है जिसके द्वारा सामान्य मनुष्य आसानी से ध्वनि पर ध्यान धारणा करते हुए मोक्ष को प्राप्त करता है नाद योग उन लोगों के लिए बनाया गया है जो कठिन योग नहीं कर सकते है नाद योग सामान्य लोगों के लिए बनाया गया है और वे लोग ध्वनि के माध्यम से सिद्धियां और ब्रह्मा की प्राप्ति करते हैं और मोक्ष प्राप्त कर लेते हैं
योग अनेक प्रकार के होते हैं लेकिन नाद योग सरल होता है नाद की साधना करना आसान होता है नाद योग में ध्वनि पर आधारित योग है इस योग में ध्वनि पर चित्त को एकाग्रचित्त करके धारणा ध्यान लगाना पड़ता है और उस ध्वनि पर ध्यान देना होता है और समाधि को प्राप्त करना होता है इसका जो मुख्य उद्देश्य परमात्मा से योग करने का ही होता है इस आर्टिकल में आप नाद योग क्या है इसका संपूर्ण ज्ञान आप प्राप्त करेंगे चलिए जानते हैं
Table OF contents
1.नाद योग क्या है
1.1 नाद योग का अर्थ
2. नाद योग के प्रकार
3. नाद योग करने का उद्देश्य
4. नाद योग का इतिहास उत्पति
5. नाद योग साधकों की अवस्थाएं
6. नाद योग के फायदे लाभ
7. नादयोग के रहस्य
8. नाद योग करने का तरीका
9 नाद योग साधना करने का तरीका
नाद योग क्या है
नाद शब्द वीणा के ध्वनि से लिया गया है जिसमे मानव शरीर से भीतर शुष्म ध्वनियों पर धारणा ध्यान लगाना उस पर ध्यान केंद्रित करना उस पर चित्त को एकाग्रचित्त करने पर व्यक्ति समाधि में चला जाता है जिसमे ध्वनि से माध्यम से व्यक्ति को परमात्मा से योग हो जाता है इस पूरी प्रक्रिया को नाद योग के नाम से जाना जाता है।
नाद योग एक ध्वनि साधना है जिसमें व्यक्ति आसन में बैठकर अपने शरीर के भीतर ध्वनि पर धारण ध्यान करने का अभ्यास करता है उसमे सिद्धि मिलने पर उसे अनेक प्रकार की सिद्धियां अनेकों प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं जब वह नाद योग के माध्यम से ओंकार ध्वनि को अपने शरीर के भीतर सुनने का अभ्यास करता है तब वह इस ओंकार ध्वनि पर चित्त को एकाग्रचित्त करने में सफल हो जाता है तब उसे पर ब्रह्म की प्राप्ति होती है और वह मोक्ष को प्राप्त कर लेता है
नाद योग का अर्थ
नाद योग का अर्थ होता है : नाद अथार्थ वीणा की ध्वनि से लिया गया है शरीर के भीतर आवाज को सुनना अपने चित्त को उस ध्वनि पर एकाग्रचित्त करना उसपर ध्यान लगाना, योग - उस ओंकार ध्वनि में जब चित्त का एकाग्रचित्त हो जाने पर ध्वनि के सहायता से परमात्मा से योग हो जाना उनसे मिल जाना नाद योग कहलाता है
नाद योग का शाब्दिक अर्थ होता है वह ध्वनि जो कण कण में इस पूरे ब्रह्मांड में उत्पन्न होती है जो सदा से गूंज रही है और गूजती रहेगी उस ध्वनि पर जब जीव अपने चित्त को एकाग्रचित्त करके धारणा ध्यान के द्वारा उस ध्वनि को सुनता है तब उसमें वह समाधि प्राप्त करता है तब वह उसे परम तत्व पुरुष को उस ध्वनि के माध्यम से जान पता है यह पूरी प्रक्रिया नाद योग के अंतर्गत आता है यही नाद योग का मुख्य उद्देश्य होता है
नाद योग का अर्थ होता है नाद+योग ध्वनि के माध्यम से परमात्मा से जुड़ना उनसे योग कर लेना नाद योग कहलाता है नाद योग में शरीर के भीतर चल रहे ध्वनियों पर ध्यान टिकाना उस पर चित्त को एकाग्रचित करना नाद योग कहलाता है
नाद योग के प्रकार
नाद योग को दो भागों में बांटा गया है
1.आहद नाद : जिस ध्वनि को सुनने पर हमें दुख तकलीफ होता है जो ध्वनि बाहर से सुनाई देती है जिसके माध्यम से व्यक्ति को ध्वनि के माध्यम से पीड़ा पहुचती हैं वे ध्वनियां आहद नाद कहलाती है आहद नाद योग की आठ अवस्थाएं है
2.अनहद नाद : वे ध्वनियां जो शरीर के भीतर से सुनाई देती हैं जिसे स्थूल कर्ण इंद्रियां नहीं सुन सकती उसे सुनने के लिए धारणा ध्यान लगाने के पश्चात सुना जाता है वे ध्वनियां अनहद नाद के नाम से जानी जाती हैं इन्हीं ध्वनियों के माध्यम से नाद योग किया जाता है अनहद नाद योग की नौ अवस्थाएं हैं
नाद योग करने का उद्देश्य
योग कोई भी हो प्रत्येक योग का केवल एक ही लक्ष्य होता है परमात्मा प्राप्ति उनसे जुड़ना उनसे मिलना उनसे संपर्क करना ऐसा होने पर व्यक्ति इस पूरे प्रकृति ब्रह्मांड और खुद को जान पता है कि वह क्या है और उसे संपूर्ण ज्ञान की प्राप्ति होती है और वह सब कुछ जान जाता है कि वह क्या है जिसके कारण वह इस संसार से मुक्त होकर परमात्मा में लीन हो जाता है और आनंदपूर्वक रहने लगता है
नाद योग एक ध्वनि पर चित्त को एकाग्रचित करने की विधि बताई गई है जिसमें शरीर के भीतर चल रही ध्वनियों पर चित्त को लगाना उसमें ध्वनियों को सुनना उसमें मन को लगाना और समाधि को प्राप्त करना ऐसा करने पर व्यक्ति को समाधि की प्राप्ति होती है और उसे परमात्मा का साक्षात्कार हो पता है नादयोग का मुख्य उद्देश्य परमात्मा प्राप्ति का ही होता है उनसे जुड़ना उनसे मिलना और आत्मज्ञान प्राप्त करना होता है जिससे उसे मोक्ष की प्राप्ति हो सके।
नाद योग का इतिहास उत्पति
नाद योग का इतिहास हिंदू धर्म ग्रंथो में मिलता है जिसमें विशेषकर हठयोग प्रदीपिका में मिलता है और महर्षि गोरक्षनाथ जी ने नादा अनुसंधान के द्वारा व्यक्ति को समाधि तक पहुंचाने का एक आसान योग का मार्ग बताया है जिसमें शरीर के भीतर चल रहे शुष्म ध्वनियों को सुनते हुए उन ध्वनियों पर चित्त को एकाग्रचित्त करके धारणा ध्यान करते हुए समाधि में जाना और परमात्मा का दर्शन करना उनसे जुड़ना उनसे योग कर लेना और मोक्ष को प्राप्त कर लेना होता है
नाद योग एक ऐसा योग मार्ग है जिसके द्वारा सामान्य पुरुष भी योग के मार्ग में समाधि कर सकता है यह योग का सबसे सरल मार्ग बताया जाता है इसके माध्यम से जो व्यक्ति कठिन योग नहीं कर सकते उन लोगों के लिए यह नाद योग की उत्पत्ति हुई है वे लोग इस नाद योग की सहायता से आसानी से समाधि लगा सकते हैं और मोक्ष को प्राप्त कर सकते हैं महर्षि स्वात्याराम जी ने साधकों के लिए सबसे आसान और सरल तरीका उन्होंने बताया है और उन्होंने अच्छे से इसका व्याख्या किया है की कैसे व्यक्ति नाद योग के द्वारा कैसे समाधि को प्राप्त होगा और मोक्ष को प्राप्त करेगा।
नाद योग साधकों की अवस्थाएं
हठ योग प्रदीपिका और नादा अनुसंधान में नाद योग साधकों की चार अवस्थाएं बताई गई हैं जिसमें
1. आरंभावस्था
2. घटावस्था
3. परिचयावस्था
4. निष्पत्यावस्था
नाद योग के फायदे लाभ
नाद योग एक अध्यात्मिक विषय है इसमें आध्यात्मिक लाभ और वैज्ञानिक लाभ दोनों प्राप्त होते हैं जिसमें व्यक्ति को अनेकों प्रकार की शक्तियां सिद्धियां प्राप्त होती हैं और शरीर को स्वास्थ्य निरोगी जीवन प्राप्त होता है आगे आप इसके विभिन्न लाभ के बारे में जानेंगे।
आध्यात्मिक लाभ -
1. ब्रह्म से मिलना : नाद योग का मुख्य उद्देश्य ब्रह्म प्राप्ति से ही होता है इसके कारण नाद योग में सिद्ध होने पर ब्रह्मा की प्राप्ति होती है और साधक ब्रह्म में लीन हो जाता है ।
2. सिद्धि का मिलना : परमात्मा प्राप्ति के बाद साधक को अनेको प्रकार की सिद्धि स्वयं ही मिल जाती है सिद्धियां अनेकों प्रकार की होती हैं जैसे हवा में उड़ना शुष्म होने की शक्ति गायब होने की शक्ति जैसे अनेकों प्रकार की सिद्धि व्यक्ति को प्राप्त होती है ।
3. परम आनंद की प्राप्ति : योग के दौरान व्यक्ति को परम आनंद की अनुभूति होती है योग अधिकतर लोग परम आनंद की प्राप्ति के लिए भी करते हैं और आनंद प्राप्त करने का योग सबसे अच्छा मार्ग माना जाता है और योग में सिद्धि मिलने पर व्यक्ति को परम आनंद की प्राप्ति होती है और वह आनंद में अपना जीवन व्यतीत करने लगता है
4. आत्मज्ञान की प्राप्ति: जब नाद योग में साधक समाधि को प्राप्त कर लेता है तब उसे अपने भीतर आत्मा का ज्ञान प्राप्त होता है और वह आत्मा का ज्ञान प्राप्त करके मुक्त हो जाता है
5. शक्तियों का मिलना : जब साधक नाद योग में सफलता प्राप्त कर ले है तब उसे अनेकों प्रकार की शक्तियां मिलने लगती हैं और व्यक्ति को परमात्मा प्राप्ति में बाधा होती हैं जिसके कारण वह शक्तियों में फंस सकता है इसलिए व्यक्ति को चाहिए कि वह इन शक्तियों का त्याग करते हुए परमात्मा की और बड़े और इन शक्तियों पर ध्यान ना दे ।
6. तत्व की प्राप्ति : नाद योग के द्वारा ही तत्व ज्ञान की प्राप्ति की जा सकती है नाद योग में सिद्धि मिलने पर व्यक्ति को तत्व का संपूर्ण ज्ञान प्राप्त होता है वह सब कुछ जान जाता है
7.मोक्ष की प्राप्ति : नाद योग का प्रमुख उद्देश्य होता है परमात्मा से मिलना और मोक्ष की प्राप्ति करना जब साधक नाद योग में समाधीत हो जाता है तब उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है
8. परम शांति का मिलना : नाद योग में जब चित्त का एकाग्रचित हो जाता है मन बुद्धि पर नियंत्रण हो जाता है तब व्यक्ति को परम शांति सुख का अनुभव होता है इस परम शांति को वह प्राप्त करता है जिसकी कल्पना करना मुश्किल है यह शांति सामान्य पुरुष को नहीं मिल पाती यह महान संत जब नाद योग में सफलता मिलती है तभी यह प्राप्त होता है
9. मन वश में होना : नाद योग के प्रारंभ अवस्था में जब साधक को सर्वप्रथम चित्त एकाग्रचित होता है शरीर मन बुद्धि नियंत्रण में आता है तब मन वश में हो जाता है जिससे वह किसी वस्तु पर चित्त को एकाग्रचित कर पता है और ध्यान लगा पता है और समाधि को प्राप्त करता है
10. इंद्रियो पर कंट्रोल : नाद योग के प्रारंभ अवस्था में इंद्रियों पर कंट्रोल करना होता है और जब नाद योग में व्यक्ति सफल होता है तब उसे इंद्रियों पर कंट्रोल हो पता है जिससे वह भूख प्यास पर नियंत्रण कर पता है
11. चित्त का एकाग्रचित्त : नाद योग में सर्वप्रथम सिद्धि मिलने पर चित्त का एकाग्रचित होता है और एक वस्तु पर ध्यान लगाता है और उस ध्वनि से ध्यान नहीं भटकता और उस ध्वनि में साधक ली हो जाता है
12. देव पुरुष की प्राप्ति: नाद योग में सिद्धि मिलने पर व्यक्ति सामान्य पुरुष से हटकर एक देव पुरुष बन जाता है वह अनेक प्रकार कि उसमें शक्तियां आ जाती हैं जिसके कारण वह सामान्य पुरुष नहीं रह जाता वह देवताओं की भाती कार्य करने लगता है
वैज्ञानिक लाभ -
1. रोगों से मुक्ति : नाद योग जब कोई व्यक्ति करता है और उसे नाद योग में सफलता प्राप्त होती है तब उसे अनेको प्रकार की बीमारियों रोगों से मुक्ति मिलती है और उसे किसी भी प्रकार की रोग नही होते है वह रोग मुक्त हो जाता है
2. तनाव से निजात : नाद योग करने से व्यक्ति को तनाव से बेहद आराम मिलता है और वह तनाव को हमेशा के लिए खत्म कर देता है नाद योग करने से तनाव दूर करने में सहायता करता है
3. मानसिक शांति : नाद योग व्यक्ति को मानसिक शांति प्राप्त करने में बड़ी भूमिका निभाता है जब व्यक्ति नाद योग में सफल हो पता है तब उसे मानसिक शांति प्राप्त होती है
4. ज्ञान की प्राप्ति : नाद योग में जब मन बुद्धि इंद्रियां सभी साधक के कंट्रोल में आ जाती हैं तब साधक किसी भी ध्वनि पर मन चित्त को एकाग्रचित कर लेता है तब उसे किसी भी वस्तु का ज्ञान कुछ ही छड़ो में प्राप्त होता है जिस वस्तु पर ध्यान लगता है उसे उस वस्तु का ज्ञान प्राप्त हो जाता है
5. आनंद की प्राप्ति : नाद योग करने से व्यक्ति को परम आनंद की प्राप्ति होती है जब साधक नाद योग में सिद्ध कर लेता है तब उसे आनंद की प्राप्ति होती है नाद योग के प्रथम अवस्था में व्यक्ति को आनंद की प्राप्ति होती है लेकिन जब वह समाधि चित्त हो जाता है तब उसे परम आनंद की प्राप्ति होती है
6. भूख प्यास पर नियंत्रण : भूख प्यास पर नियंत्रण करने में नाद योग की बड़ी भूमिका निभाती है जब साधक प्रथम अवस्था में नाद योग करता है तब उसे भूख प्यास पर नियंत्रण करने की शक्ति प्राप्त होती है वह अपनी इच्छा से भूख प्यास पर नियंत्रण कर पता है
7. शरीर में ऊर्जा की वृद्धि : नाद योग के प्रथम चरण में सिद्धि मिलने पर शरीर में ऊर्जा का स्तर बढ़ जाता है शरीर में गर्मी साहस की अनुभूति होने लगती है और वह खुद को ऊर्जावान महसूस करने लगता है
नाद योग के रहस्य
नाद योग अपने आप में ही एक रहस्य है जब साधक नाद योग के प्रथम सिद्धि प्राप्त करता है तब उसे उसके शरीर में अनेकों प्रकार की जो उसके जीवन में कभी भी ध्वनियां सुनाई नहीं देती थी उसे उसके शरीर में अनेकों को प्रकार की ध्वनियां सुनाई देती हैं यह देखकर साधक भयभीत और रहस्य से भर जाता है क्योंकि व्यक्ति केवल बाहरी ध्वनियों को सुन सकता है लेकिन जब वह अपने शरीर के भीतर चल रहे ध्वनियों को सुनता है तब उसे बेहद ही आश्चर्य चकित हो जाता है वह भयभीत भी हो जाता है ऐसा वह अपने जीवन में पहली बार अनुभव करता है यह अनुभव उसको आश्चर्यचकित कर देता है
सर्वप्रथम नाद योग करने पर जब नाद योग करने में सिद्धि प्राप्त होती है तब उसे शरीर के हृदय की आवाज उसके कानों से सुनाई देती है फिर उसके भीतर चल रही नसों की ध्वनियां सुनाई देने लगती है उसके भीतर और चक्र की दुनिया ऐसे अनेकों प्रकार की आवाज़ सुनाई देने लगते हैं जिसे वह पहली बार अपने जीवन में सुनता है और वह खुद को आश्चर्य में पाता है यह नादयोग का बेहद ही रहस्यमय योग है जो योगी सर्वप्रथम योग करता है उसके लिए यह रहस्यों से भरा होता है इसके दौरान नाद योग में व्यक्ति को ध्वनियों के बारे में अनेकों प्रकार की ज्ञान प्राप्त होता है और उसे अनेकों प्रकार के शक्तियां सिद्धियां और ज्ञानप्राप्त होता है जिसे वह जानकर बेहद ही आश्चर्यचकित हो जाता है और खुद को शांत और आनंदित होता है और नाद योग करने में उसे अच्छा लगने लगता है और उस मार्ग पर आगे बढ़ने लगता है वह ध्यान में उसका मन लगने लगता है
नाद योग करने का तरीका
नाद योग में अनहद योग में आपको अपने शरीर के भीतर चल रहे नो प्रकार के ध्वनियों को सुनना होता है उसमें ध्यान लगाना होता है और समाधि को प्राप्त करना होता है आपको कैसे नाद योग करना है इसका आपको विस्तार पूर्वक बताया जाएगा जिससे आपको किसी भी प्रकार की समस्या ना आए। गोरक्षनाथ जी ने साधक को ध्यान लगाने के लिए सबसे आसान तरीका उन्होंने बताया है जिसके द्वारा कोई भी साधारण व्यक्ति आसानी से नाद योग की साधना कर सकता है
1. तरीका : मुक्तासन या सिद्धासन मैं बैठकर अपने दोनों हाथों उंगलियों से दोनों कान, आंख, नासिका, मुख, को बंद करने के पश्चात अपने शरीर के भीतर ॐ ध्वनि को सुनने का प्रयास आपको लगातार करते रहना है और चित्त को उसी में लगाते रहना है ऐसा करने पर आपको धीरे-धीरे शरीर के भीतर चल रहे अनेकों प्रकार के आवाज़ सुनाई देने लगेंगे और धीरे-धीरे आपको ओंकार ध्वनि सुनाई भी देने लगेगी ।
ओंकार ध्वनि एक ऐसी ध्वनि है जो पूरे यूनिवर्स ब्रह्मांड में गूंजती रहती है यह ध्वनि कण-कण में उत्पन्न होती रहती है इस ध्वनि को परम ब्रह्म परमात्मा की ध्वनि के नाम से भी जाना जाता है हिंदू धर्म ग्रंथ में मंत्र बोलने से पहले ॐ का उच्चारण सबसे पहले किया जाता है उसके पश्चात अन्य उच्चारण किया जाता है यह ॐ ध्वनि इस परमात्मा को सर्वप्रथम पुकारने के बाद ही अन्य नाम को बुलाया जाता है ओम ध्वनि ब्राह्मणी ध्वनि है ॐ विष्णु देवाय नमः , ॐ नमः शिवाय,
2. तरीका : सिद्धासन या सुख आसन में बैठकर अपनी कमर रीड की हड्डी गर्दन को सीधा रखते हुए अपने दोनों हाथों को पैरों पर जोड़कर रखें अब आपको अपने भीतर चल रहे हृदय के ध्वनि को सुनने का प्रयास करना है अपने मन ही मन हृदय की ध्वनि को आपको लगातार सुनते रहना है जब-जब आपका मन उस ध्वनि से भागेगा तब तब आपको पकड़ कर मन को उसपर पर लगाना होगा यह प्रक्रिया पूरे 3 घंटे तक लगातार चलेंगी इसके दौरान आपको अपने आंखें नहीं खोलनी है
आसन से नहीं उठना है इसमें किसी भी प्रकार की त्रुटि न करें ऐसा जब आप 3 घंटे तक ध्यान लगाए रखेंगे तब आपका नाद योग सिद्ध हो जाएगा तब आपको आपके भीतर चल रहे हृदय की ध्वनि साफ तेजी से सुनाई देने लगेगी उसके पश्चात जब हृदय की ध्वनि आपको बिना किसी समस्याएं के सुनाई देने लगे तो आपको और शरीर के भीतर नसो की ध्वनियों को सुनने का प्रयास करना है फिर आपको शरीर में चल रहे रक्त कणिकाओं के ध्वनियों को सुनना फिर आपके शरीर में चल रहे हैं चक्र की ध्वनियों को सुने ऐसे आपको भीतर जितना हो सके ध्वनियों को सुनने का प्रयास करना होगा और अंत में आपको ओंकार ध्वनि सुनाई देने लगेगी तब आपको उस ध्वनि में खुद को स्थिर करके रोक देना है तब आपको नाद योग में सिद्धि प्राप्त हो जाएगी.
नाद योग साधना करने का तरीका
नाद योग साधना करने का सबसे आसान तरीका बताने जा रहे हैं जिसके द्वारा आप नाद योग साधना में सिद्धि प्राप्त करके अनेकों प्रकार के शक्तियां प्राप्त कर सकते हैं और जब आप नाद योग साधना के द्वारा इसकी अंतिम अवस्था को प्राप्त करेंगे तब आपको परमात्मा का योग हो पाएगा।
1.पहला : नाद योग साधना करने के लिए आप अपने पूजा वाले स्थान में बैठकर या जहां पर शोरगुल ना होता हो किसी भी प्रकार की ध्वनि आपको सुनाई ना देती हो चाहे आप जंगल के गुफाओं में इसका साधना कर सकते हैं आपको ऐसे स्थान को चुनना होगा है जहां पर किसी भी प्रकार का ध्वनि ना सुनाई देती हो बिल्कुल शांत स्थान पर बैठे जहां पर अच्छी मात्रा में हवा आती हो और नाद योग की साधना सुबह 3:00 बजे से लेकर 5:00 के बीच में करें इस समय मौसम अच्छा होता है ध्यान करने के लिए यह समय सबसे पवित्र माना गया है इस समय ध्यान करने से सफलता जल्दी मिलती है अब आपको पद्म आसन या सिद्ध आसन या सुख आसन में बैठ जाना है अपने कमर और गर्दन को सीधा रखें और अपने दोनों हाथों को अपने दोनों जांघों के बीच में रखें और अपनी आंखें बंद कर ले अब आपको अपने कानों से अपने भीतर चल रहे ध्वनियों को सुनना है
आपके शरीर में सबसे पहले सुनाई देने वाली ध्वनियां हृदय की ध्वनि होती है इस ध्वनि पर आपको धारणा ध्यान लगाना होगा आपको अपने मन ही मन शरीर के भीतर ही उस ध्वनि को सुनना है सुनते समय आपका मन आपको उस ध्वनि से भटकाकर अन्य विचारों अन्य कामों पर बार-बार भटकाएगा आपको उस मन को पड़कर उस ध्वनि को लगातार सुनते रहना है यह प्रक्रिया पूरी दो से तीन घंटे तक लगातार चलेंगी इस दौरान आपको ध्यान से उठना नहीं है ना आप पैर को हिलाना है इसके दौरान आपको अनेकों प्रकार के दर्द पीड़ा को सहना भी पड़ेगा जब आप बिना किसी त्रुटि के इस पूरी प्रक्रिया को करते हैं तब 2 घंटे के भीतर आपका मन शरीर इंद्रियां कंट्रोल में हो जाती है और आपका मन उस हृदय की ध्वनि से आपको भटकाता नहीं है और वह ध्वनि आपको अच्छे से सुनाई देने लगती है और वहां से आपका ध्यान नहीं भटकता है जब ऐसी स्थिति आ जाए तब आप नाद योग सिद्ध हो चुका होंगे।
जब हृदय की ध्वनि आपको साफ सुनाई देने लगे उसके ऊपर से ध्यान ना भटके तब आपको अब और अन्य ध्वनियों को सुनने का प्रयास करना है अब आपके शरीर में भीतर चल रहे अनेको प्रकार की ध्वनियां सुनाई देने लगेंगे आपके भीतर चल रहे ध्वनियां नसों की ध्वनियां आपके भीतर चल रही सातों चक्र की ध्वनियां जैसी अनेकों प्रकार की ध्वनियां सुनाई देंगे इन सभी ध्वनियों से आपको और गहराई में उतरना है और ओंकार ध्वनि को सुनने का प्रयास करते रहना है जब आपका ध्यान उस ओंकार ध्वनि को सुनने लगेगा तब आपको नाद योग संपूर्ण रूप से सिद्ध हो चूकेगा अब आप परमात्मा प्राप्ति के करीब आ चुके हैं अब आपको परमात्मा के दर्शन होने वाला होगा इस स्थिति में करोड़ों में कोई एक ही पहुंच पाता है इसका भी आप विशेष ध्यान दें यह जितना आसान है उतना आसान भी नहीं इसे करना थोड़ा कठिन है परंतु से किया जा सकता है।
जब आप इस साधना अंतिम स्थिति में आ जाता है तब आपको अनेक प्रकार की सिद्धियां शक्तियां स्वयं ही मिल जाती हैं आपको अन्य किसी भी प्रकार का सिद्धि प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं पड़ती यह शक्तियां स्वम व्यक्ति के शरीर में आने लगती है और व्यक्ति देव तुल्य बन जाता है वह सामान्य पुरुष से बढ़कर एक भगवान के समान हो जाता है।
नाद योग कैसे किया जाता है ?
मुक्तासन या सिद्धासन मैं बैठकर अपने दोनों हाथों उंगलियों से दोनों कान, आंख, नासिका, मुख, को बंद करने के पश्चात अपने शरीर के भीतर ॐ ध्वनि पर मन को एकाग्रचित करें और उस ध्वनि को सुनते रहे ऐसा करने पर 2 घंटे के बाद नादयोग के सिद्ध हो जाएगा।