बुखार एक सामान्य लेकिन परेशान करने वाला लक्षण है, जो विभिन्न बीमारियों का संकेत हो सकता है। आधुनिक चिकित्सा में बुखार को कम करने के लिए विभिन्न दवाएं उपलब्ध हैं, लेकिन प्राचीन काल में हमारे पूर्वजों ने प्राकृतिक और आध्यात्मिक उपचारों का सहारा लिया। इनमें से एक महत्वपूर्ण पद्धति है बुखार उतारने के लिए मंत्रों का प्रयोग। इस लेख में हम बुखार उतारने के कुछ प्रमुख 5 ऐसे शक्तिशाली मंत्र जानेंगे जिससे बुखार को तुरंत उतार देगा।
बुखार आने की समस्या
बुखार के सामान्य लक्षण
1.उच्च शरीर तापमान:
2.ठंड लगना:
3.पसीना आना:
4.सिरदर्द:
5.मांसपेशियों में दर्द:
6.कमजोरी और थकान:
7.भूख कम लगना:
9.डिहाइड्रेशन (निर्जलीकरण):
मंत्रों की शक्ति और विज्ञान
मंत्रों का आधार ध्वनि और शक्तियों पर है। जब किसी मंत्र को कोई व्यक्ति मंत्र को जाप करके उस मंत्र की शक्ति को प्रसन्न कर लेता है और उस मंत्र के द्वारा किसी भी प्रकार के बीमारी हो या बुखार हो और इन सब समस्याओं को दूर करने की शक्ति उसमें शक्ति आ जाती है मंत्र का अपना प्रभाव है और विज्ञान भी मान चुका है कि मंत्र के जाप से शरीर और मन पर बेहद ही सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं जो व्यक्ति जी मंत्र का जैसा प्रयोग करता है व्यक्ति पर वैसा असर देखने को मिलता है
बुखार उतारने के पांच शक्तिशाली मंत्र है
1.हनुमान मंत्र
मनसामेदास नवमे कपट बसे कपाल हावके भले हनुमंत की आन सीसी जंग पाठान विचान मन्त्र शांती गायत्री नाम से न देवता मोहना राजा तिजाट एक ज्वरा तिन ज्वरा चारि ज्वरा पांच ज्वरा सात ज्वरा जोर है तो राजा अजय पाल का चक्र वह तैंतीस कोटि देवता मेरे मन्त्र की शक्ति से चलें चौंवन खण्ड में जाए चीर न मारे बाण न खाये क्षणे बाण क्षणे दक्षिण क्षणे आसे होर अचन सोरी स्मरिरे काया विख्यात हीर।
इस मन्त्र से सात बार झाड़ा दें। ऐसा तीन दिन तक नियमित रूप से करने से कैसा भी ज्वर हो उतर जाता है।
2. गायत्री मंत्र से
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।
प्रयोग नदी के किनारे अथवा मरीज की चारपाई के पास जल पास में रखकर आम की समिधायें हवन में लगाकर अग्नि प्रज्वलित करें और गायत्री मन्त्र उच्चारण करें। हर मन्त्र के साथ आम के पत्ते दूध में भिगोकर आहुति दें। इस प्रकार 108 आहुति डालें। ऐसा कई दिन करें तो ज्वर शान्त हो जायेगा।
3.भगवान शिव का मंत्र
सहि अकारणी पाहुआ धालिरे जपं जारे जरांल॑कि लीजड हणुआ नोउ हस्सं करयी अगन्या श्री महादेव भराडायी अन्या देव गुरुयी अगन्या जारें लोकि।
ताजे कते सूत में 10 गांठ लगावें, 110 बार मन्त्र पढ़ें फिर उस सूत को गले में या भुजा पर बांधें तो दिनानतर ज्वर, एकांतर ज्वर, धावान्तर ज्वर। त्रयहर ज्वर चतुर्थ ज्वर नष्ट हो जाता है। इसी प्रकार गुग्गुल जलाने से भी ज्वर का नाश होता है।
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4.ॐ पंचात्माय स्वाहा मंत्र
ॐ पंचात्माय स्वाहा।
इस मन्त्र से 21 बार चोटी को मन्त्रित करके चोटी में गांठ लगावें तो ज्वर से छुटकारा मिलता है।
5. ॐ चढ़ कजालिनी शेषान,
ॐ चढ़ कजालिनी शेषान, ज्वर बंध सड़लं॑ बंधवेला ज्वर बंध विषम ज्वरबंधवेला महा ज्वर बंध ठ: ठः स्वाहा।
इस मन्त्र से कुसुंभी रंग के डोरे से मन्त्र 21 बार पढ़ते हुए 7 गांठ लगावें फिर' गले में या हाथ में बांधें तो सभी प्रकार के ज्वरों का नाश हो जाता है।
बुखार उतारने का मंत्र क्या है?
ॐ चढ़ कजालिनी शेषान, ज्वर बंध सड़लं॑ बंधवेला ज्वर बंध विषम ज्वरबंधवेला महा ज्वर बंध ठ: ठः स्वाहा। इस मन्त्र से कुसुंभी रंग के डोरे से मन्त्र 21 बार पढ़ते हुए 7 गांठ लगावें फिर' गले में या हाथ में बांधें तो सभी प्रकार के ज्वरों का नाश हो जाता है।