जब कोई रोग असाध्य हो जाए और औषधियां प्रभाव न दिखाएं, तब प्राचीन आध्यात्मिक उपाय आशा की किरण बन सकते हैं। ऐसा ही एक शक्तिशाली मंत्र है, जो महाकाली की कृपा से असाध्य रोगों को शांत करने में सहायक होता है। यह मंत्र श्रद्धा और सही विधि से उपयोग करने पर चमत्कारी परिणाम देता है। आइए, इस मंत्र और इसके उपयोग की विधि को जानें।
असाध्य रोग नाशक मंत्र से जो न ठीक होने वाली बीमारी ठीक कर
ॐ हीं हीं क्लीं क्लीं काली कंकाली। महाकाली सल अमुक खप्पर अमुकस्य व्याधि नाशय नाशय शमनय स्वाहा।
उक्त मंत्र को किसी शुभ दिन ग्यारह सौ बार जप करके सिद्ध कर लें। जिस रोग में कोई औषधि काम न कर रही हो और रोगी मरने के काग़ार पर हो तो उक्त मंत्र से तीन दिनों तक रोगी को एक सौ आठ बार मन्त्रोच्चारण करते हुए सिद्ध जल से झाड़ना चाहिए। इससे असाध्य रोग शांत हो जाता और व्यक्ति ठीक हो हो जाता हैं।
मंत्र है
ॐ ह्रीँ ह्री़ँ क्लीं क्लीं काली कंकाली महाकाली सल खप्पर अमुकस्य अमुक व्याधि नाशय नाशय शमनय स्वाहा।
यह मंत्र 1100 बार जप करने से सिद्ध हो जाता हैं। जिस व्याधि में कोई औषधि काम न कर रही हो ओर रोगी मरणासतन्न हो, ऐसा ज्ञात हो रहा हो तो मंत्रसिद्धि के बाद रोगी को तीन दिन तक प्रत्येक दिन 108 बार मंत्र पढ़कर सिद्ध किये गये जल से झाड़ना चाहिए।
इससे असाध्य से असाध्य रोग भी शान्त हो जाता हैं। “अमुकस्य अमुक व्याधि! शब्द मंत्र में आया है; मंत्र का रोगी पर व्यवहार करते समय अमुकस्य के स्थान पर रोगी का राशि नाम तथा अमुक के स्थान पर व्याधि का नाम लेना चाहिए।
निष्कर्ष
असाध्य रोग दूर करने का यह प्राचीन शाबर मंत्र है जो बीमारी को जड़ से खत्म करता है ध्यान देने वाली बाज यह है कि मंत्र को आप सिद्ध करने के बाद ही इसका असर होता है और मंत्र काम करता है इसका आप विशेष ध्यान रखें।