बसंत पंचमी के दिन माँ सरस्वती की पूजा का विशेष महत्व होता है। माँ सरस्वती विद्या, बुद्धि, संगीत और कला की देवी मानी जाती हैं। इस दिन स्कूल, कॉलेज और विद्या से जुड़े संस्थानों में विशेष रूप से पूजा-अर्चना की जाती है। 2025 में बसंत पंचमी 2 फरवरी को मनाई जाएगी।
इस लेख में हम सरस्वती पूजा की संपूर्ण विधि, सामग्री, मंत्र अर्थ सहित माँ सरस्वती की पूजा कैसे करनी है शास्त्रों वेदों के अनुसार जिससे आपको माँ सरस्वती की कृपा जल्दी मिल सके और आपको सुख शांति बुद्धि प्राप्त हो।
सरस्वती पूजा की संपूर्ण विधि मंत्र अर्थ।
1. सरस्वती पूजा की विधि
(क) सुबह स्नान एवं संकल्प
- प्रातः जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- माँ सरस्वती की पूजा करने का संकल्प लें और अपने इष्टदेव का ध्यान करें।
- पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
2. सरस्वती पूजा की तैयारी
पूजा स्थल का चयन
- पूजा घर या किसी शांत एवं स्वच्छ स्थान पर माँ सरस्वती की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- पूजा के लिए पीले या सफेद वस्त्र पहनें, क्योंकि ये रंग माँ सरस्वती को प्रिय हैं।
- माँ सरस्वती की मूर्ति या चित्र को चौकी पर स्थापित करें।
- अब उन्हें स्नान कराएं (गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद और पंचामृत से)।
- इसके बाद स्वच्छ जल से स्नान कराकर वस्त्र अर्पित करें
- माँ सरस्वती को सफेद या पीले वस्त्र अर्पित करें।
3. पूजा की आवश्यक सामग्री
- सफेद एवं पीले फूल (चंपा,चमेली कमल का फूल ले आदि)
- अक्षत (चावल)
- हल्दी और कुमकुम
- धूप, दीपक और अगरबत्ती
- सफेद वस्त्र
- पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल)
- प्रसाद (खीर, मालपुआ, फल, मिश्री,नारियल, मूंगफली, आदि)
- छोटा सा यज्ञ करे करे जिसमे आम की सूखी लकड़ी,और दशांग को ले उसे जलाने के लिए घी को ले।
4. सरस्वती पूजा मंत्र इन संस्कृत
अब पूजा करने के लिए प्रतिमा के सामने आसन पर बैठ जाए और और ऊपर बताई गए सभी कार्य करने के बाद आप चाहे घर में कर रहे हो या विशेष पूजा में यज्ञ करना जरूरी होता है तभी माँ सरस्वती प्रसन्न होती है क्योंकि यज्ञ से ही उनको आपके द्वारा दिया गया भोग प्राप्त होता है यही वेदों में लिखा गया है इसलिए घर में पूजा कर रहे हे तो छोटा यज्ञ अवश्य करे जिसमे आम की सुखी लकड़ी, घी दशांग ले और आम की 2 पत्ती लेकर यज्ञ में आहुतियां इस मंत्र बोलते हुवे करे जिससे माँ सरस्वती आपसे जल्दी प्रसन्न हो जाएंगी और आपको बुद्धि विद्या प्रदान करेंगी ।
सरस्वती पूजा मंत्र इन संस्कृत अर्थ
पावका नः सरस्वती वाजेभिर्वाजिनीवती. यज्ञं वष्टु धियावसुः..
सरस्वती देवी पवित्र हैं. अन्न द्वारा शक्तिशाली कार्य करने वाली हैं. यज्ञ को धारें. धन और बुद्धि बरसाएं.
चोदयित्री सूनृतानां चेतन्ती सुमतीनाम्, यज्ञं दधे सरस्वती.
सरस्वती देवी सत्य वचन और सत्य मार्ग की प्रेरणादायिनी हैं. सुमतियों को चेताने वाली हैं. सरस्वती देवी यज्ञ को धारण करें.
महो अर्णः सरस्वती प्र चेतयति केतुना. धियो विश्वा वि राजति.. (
सरस्वती देवी सब की बुद्धियों को विशेष रूप से प्रकाशित करती हैं. सरस्वती देवी महान् और ज्ञान का समुद्र हैं. वे ज्ञान की पताका फहराती हैं.
ऊं ऐं ह्रीं क्लीं महासरस्वती देव्यै नमः स्वाहा,
ॐ सरस्वत्यै नमः स्वाहा
ऊपर में जो 2 मंत्र है उसे यज्ञ में आहुतियां डालते समय बोले और अंत में तीसरे मंत्र का जाप करे इससे आपकी पूजा सफल हो जाएगी जो शास्त्रों वेदों के अनुसार बताए गए है
अगर आपको पहले के बड़े मंत्र लगते है तो आप इस छोटे मंत्र का भी प्रयोग कर सकते है
उसके बाद माँ सरस्वती को प्रणाम करे पैर छुवे और उनका आशीर्वाद ले और उनका प्रसाद पाए और घर के लोगों को दे
इस प्रकार माँ सरस्वती बसंत पंचमी संपूर्ण विधि द्वारा मनाई जाती है जिससे आपके घर के लोगों की बुद्धि और धन में वृद्धि होने लगती है और माँ सरस्वती आपसे प्रसन्न हो जाती है और तुमको सब कुछ प्रदान करती है