यह अष्टांग योग का चौथा अंग है जिसमें योगी अपने प्राण वायु को संतुलन करता है और अपने पूरे शरीर में प्राण वायु को पहुंचाता है यह योग का चौथा अंग के नाम से जाना जाता है एक योगी को योग में आगे बढ़ने के लिए अपने शरीर को मजबूत और ऊर्जावान बनाना पड़ता है जिससे वह ध्यान लगा सके और उसे किसी भी प्रकार की समस्या ना आए और प्राणायाम यह अष्टांग योग का चौथा चरण साधक को शरीर में ऊर्जा और ताकत और पूरे शरीर को स्वस्थ हल्का बनाने का कार्य करता है जिससे उसका शरीर ध्यान लगाने के लिए पूरी तरह स्वस्थ हो जाए है आगे जानेंगे कि प्राणायाम क्या है इसके कितने प्रकार हैं और प्राणायाम करने से क्या-क्या लाभ होते हैं और इसे कैसे किया जाता है


प्राणायाम क्या है 


प्राणायाम प्राण +आयाम से बना इसका अर्थ है शरीर के प्राण वायु को एक विधि द्वारा पूरे शरीर में वायु को पहुंचाना प्राणायाम कहलाता है वायु को प्राण के नाम से भी जाना जाता है शरीर की मृत्यु होती है तब शरीर से वायु निकलने से शरीर को अमृत घोषित कर दिया जाता है इसलिए इसे प्राण वायु के नाम से बुलाया जाता है प्राण वायु के होने से ही प्राणी जीवित है इसके निकालने मात्र से ही प्राणी की मृत्यु हो जाती है इसलिए प्राण वायु शरीर में बेहद ही मूल्यवान है इसके बिगड़ने से पूरे शरीर का संतुलन बिगड़ जाता है जिससे शरीर का विकास नहीं हो पाता है जब शरीर में वायु की मात्रा पूरे शरीर में अच्छे से चलती है तब शरीर पूरी तरह स्वस्थ रहता है और शरीर का विकास तेजी से होता है प्राणायाम क्रिया के द्वारा प्राण वायु को पूरे शरीर में ले जाने पहुंचने का कार्य प्राणायाम की क्रिया से किया जाता है इस क्रिया को महत्वपूर्ण इसलिए बताया गया है क्योंकि इस क्रिया का जिक्र अनेको ग्रंथो में मिलता है वैज्ञानिक रूप से यह सिद्ध भी हो चुका है कि प्राणायाम करने से व्यक्ति को स्वास्थ्य में लाभ प्राप्त होता है


प्राणायाम के प्रकार 


अष्टांग योग में महर्षि पतंजलि ने प्राणायाम के अधिक प्रकार नहीं बताए हैं केवल कुछ ही प्रकार बताए गए हैं लेकिन दूसरे योग ग्रंथ में प्राणायाम के अनेको प्रकार बताए गए हैं और जिनको करने से साधक को अनेकों प्रकार के भिन्न-भिन्न लाभ प्राप्त होते हैं

1. सूर्यभेदन
2. उज्जाई
3. शीतली
5. शीतकारी
6. भस्त्रिका
7. भ्रामरी
8. मूर्छा
9. प्लावनी


प्राणायाम,प्राणायाम क्या है,प्राणायाम के प्रकार,प्राणायाम का अर्थ,प्राणायाम करने का तरीका,साधना,



प्राणायाम के लाभ 

प्राणायाम करने के विभिन्न लाभ व्यक्ति को प्राप्त होते हैं प्राणायाम के व्यक्ति को वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दोनों प्रकार के लाभ व्यक्ति को प्राप्त होते हैं 

1.शरीर में हल्का पन आना :

प्राणायाम का अभ्यास करने से शरीर में हल्का पन आता है जिससे शरीर हवा की भाती महसूस होता है आप अपने शरीर को फुर्तीला और अच्छा महसूस करते हैं


2. भूख प्यास पर नियंत्रण : 

प्राणायाम की साधना में सिद्धि प्राप्त होती है तो साधक को भूख प्यास पर नियंत्रण करने की उसमें सामर्थ आ जाती है।


3. मन पर कंट्रोल :

प्राणायाम का अभ्यास करने और इसमें सिद्धि प्राप्त होने पर मन पर पूरी तरह कंट्रोल आ जाता है।


4. इंद्रियों का वश में होना :

प्राणायाम का अभ्यास करने से शरीर की इंद्रियां साधक के कंट्रोल में आ जाती हैं और वह भोगों की ओर नहीं भागती हैं और योगी के इशारों पर चलती हैं।


5. दिमाग में विचार आने बंद होना :


प्राणायाम की क्रिया में जब सिद्धि प्राप्त होती है तब दिमाग में साधक के विचार आने बंद हो जाते हैं विचारों पर साधक का कंट्रोल हो जाता है चित्त साधक को विचार देना बंद कर देता है और उसके योगी के अनुसार विचार दिखता है


6. मस्तिष्क में वायु ब्लड की मात्रा अच्छे से पहुंचना :


प्राणायाम की क्रिया करने से शरीर में ऑक्सीजन ब्लड तेजी से चलता है जिससे शरीर में ऑक्सीजन ब्लड पूरे तरह से शरीर मे पहुंचने से मस्तिष्क से अच्छे से कार्य कर पाता है और बुद्धि क्षमता में विकास दर बढ़ने सहायक होता है


7 .शरीर में ऊर्जा एनर्जी में वृद्धि :


प्राणायाम की प्रक्रिया 2 घंटे से अधिक करने से शरीर में ऊर्जा एनर्जी की मात्रा अधिक मात्रा में बढ़ने लगती है और शरीर को ताकत ऊर्जा प्राप्त होता है


8. शरीर में विकास दर में वृद्धि :


प्रतिदिन प्राणायाम का अभ्यास करने से शरीर का विकास दर तेजी से होता है जिससे शरीर अधिक तेजी से ग्रोथ होने लगती है


9 .बुद्धि क्षमता का विकास :


प्राणायाम का प्रतिदिन अभ्यास करने से मन बुद्धि भी बुद्धि वाला हो जाता है और पूरे शरीर में ऑक्सीजन ब्लड पहुंचने से शरीर और दिमाग अच्छे से काम करता है जिससे व्यक्ति का बुद्धि क्षमता में विकास होने लगता है और व्यक्ति बुद्धि का सही से प्रयोग कर पाता है


10 .शरीर की लंबाई का बढ़ना :

प्राणायाम का अभ्यास करने से व्यक्ति अपनी शरीर का हाइट को तेजी से बढ़ा सकता है


11. शरीर से रोगों से मुक्ति :


प्राणायाम का अभ्यास करने से व्यक्ति रोगों से हमेशा के लिए मुक्त हो जाता है प्राणायाम का अभ्यास करने से व्यक्ति के पास कभी भी रोग नहीं होते हैं वह रोगों से हमेशा के लिए मुक्त हो जाता है


प्राणायाम की साधना तरीका


प्राणायाम की साधना करने के लिए सर्वप्रथम सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठे 3:00 बजे से लेकर 4:00 बजे के बीच में प्राणायाम का अभ्यास करने के लिए आसन में बैठे . आसन में बैठने से पहले उस स्थान का चयन करें जहां पर शुद्ध वायु हो वातावरण निर्मल शांत हो किसी भी प्रकार का शोर गोल वहां पर ना हो प्राणायाम का अभ्यास करते समय किसी भी प्रकार का आपको समस्या ना आए ऐसे स्थान का चयन करते हुए एक गड्ढे मोटे वस्त्र को बिछाकर उसके ऊपर आसन लगाए आसन में अपने कमर की रीड की हड्डी और गर्दन सर को सीधा रखें अपने जांघों के बीच में दोनों हाथों को जोड़ कर रखें और प्राणायाम की प्रक्रिया शुरू करें।


एक लंबी स्वास्थ्य अपने शरीर के भीतर खींचे और उसे कुछ देर के लिए रोके और उस खींची हुई वायु को फिर बाहर छोड़े और फिर उसे रोक और फिर उस वायु को शरीर के भीतर खींचे और कुछ देर के लिए रोके फिर वायु को बाहर छोड़े और कुछ देर के लिए रोक यह प्रक्रिया आपको लगातार तब तक करनी है जब तक की आपके पूरे शरीर में ऑक्सीजन वायु की पूर्ति न हो जाए जब आपके शरीर में ऑक्सीजन वायु की पूर्ति पूरे शरीर में हो जाएगी तब आपके द्वारा स्वास आपके शरीर में खींचना मुश्किल हो जाएगा आपका स्वास न शरीर के भीतर जाएगा ना शरीर से बाहर आएगा आप पूरी तरह स्थिर हो जाएंगे आपका स्वास पूरी तरह धीमा ना चलने के बराबर हो जाएगा यह स्थिति आएगी तब आपका प्राणायाम सिद्ध हो जाएगा इसके बाद आपका संपूर्ण इंद्रिय मन बुद्धि सब आपके नियंत्रण में आ जाएंगे इस प्रकार प्राणायाम की सिद्ध साधक को प्राप्त होती है अब आप जानिए कि प्रत्याहार क्या है और इसे कैसे किया जाता है