यह अष्टांग योग का तीसरा अंग पड़ाव है जिसमें योगी ध्यान समाधि लगाने के लिए बैठता है यह बैठने की क्रिया आसन कहलाता है अष्टांग योग के तीसरे चरण में व्यक्ति योग करने के लिए उस एक मुद्रा में बैठता है जिससे साधक योग करने के लिए तो आसन लगाता है महर्षि पतंजलि के ध्यान समाधि लगाने के लिए एक मुद्रा में कैसे बैठना है महर्षि पतंजलि योगी को कहा है जिससे योगी को आसानी से योग समाधि को प्राप्त कर सके आज आप यही जानेंगे आसन क्या है आसन के प्रकार , आसन लगाने के साधक को क्या फायदे प्राप्त होते है और आसन को कैसे किया जाता है
महर्षि पतंजलि ने अपने अष्टांग योग के तीसरे अंग आसन में योग करने के लिए सबसे पहले योगी को आसन लगाना पड़ता है लेकिन आसन किस प्रकार लगाए जाए और कैसे लगाए की योगी को किसी भी प्रकार की समस्या ना हो और वह आसन में लंबे समय तक बैठ सके जिससे उसका ध्यान ना भंग हो और ध्यान लगाने में वह सफल हो पाए । आज यही जानेंगे
आसन क्या है
आसन योग में बैठने की क्रिया है जिसमें अष्टांग योग के तीसरे अंग में बताया गया है कि कैसे एक योगी को आसन लगाना है की ध्यान लगाते समय उसे किसी भी प्रकार की समस्या ना हो और वह ध्यान लगाने में सफल हो पाए इसे आसन कहते हैं
आसन के प्रकार
आसन में बैठने के महर्षि पतंजलि ने प्रमुख तीन आसान बताए हैं जिसके द्वारा आसन में बैठने का अभ्यास योग को करना चाहिए जिससे उस ध्यान लगाने का उद्देश्य मिल पाए ।
1. सिद्धासन
इसमें किसी शुद्ध स्थान पर बैठे अपने दोनों पैरों को जांघों पर रखें और अपने दोनों हाथों को घुटनों पर रखें और अपनी कमर रीड की हड्डी को सीधा रखें।
2. पद्मासन
आसन में बैठे अपने कमर रीड की हड्डी और सिर को सीधा रखें अपने पैरों को जांघों पर रखें और अपने हाथों को घुटने पर रखें ।
3. सुखासन
आसन के लिए सुख आसन में बैठे अपने कमर और गर्दन सिर को सीधा रखें पालती मार कर बैठे और अपने दोनों हाथों को जांघों के बीच में एक दूसरे के ऊपर रखे यह ध्यान लगाने का सर्वश्रेष्ठ आसन में है
इसके अलावा अन्य आसन भी आप अपने इच्छा अनुसार लगा सकते हैं
आसन लगाने के लाभ
जब साधक योगी आसन लगाना सीख लेता है और आसन में 3 घंटे तक बिना हिले डोले बैठने का अभ्यास कर लेता है तब वह आसन को सिद्ध कर लेता है तब उसे आसन लगाने का लाभ कुछ इस प्रकार मिलता है
आसन सिद्ध होने पर व्यक्ति को भूख प्यास पर नियंत्रण करने की शक्ति आना, शरीर स्थिर हो जाता है मन कंट्रोल में आना, इंद्रियों पर कंट्रोल होना, संपूर्ण शरीर योगी के कंट्रोल में आ जाना, मस्तिष्क में विचार आने बंद होना, दिमाग पूरी तरह शांत स्थिर होना, किसी एक वस्तु पर ध्यान केंद्रित करने की एकाग्रता में वृद्धि होना, विषयों से मन का भटकना बंद होना, मन पर पूरी तरह कंट्रोल होना, शरीर का ज्ञान होना की शरीर कैसे काम करता है
जब आप आसन सिद्ध कर लेते हैं तब आपको अपने शरीर का ज्ञान हो जाता है कि शरीर कैसे काम करता है शरीर में कौन सी ऐसी चीज है जो हमें एकाग्रता करने में भटकाती है हमें विषयों की और भगाती है इसका आपको ज्ञान हो जाएगा। ऐसा आपको आसन सिद्ध होने के बाद लाभ आपको प्राप्त होगा।
आसन लगाने की साधना विधि तरीका
आसन लगाने के लिए सर्वप्रथम आप अपने इच्छा अनुसार उस आसन को चुने जिस आसन में आप लंबे समय तक बिना किसी समस्या कष्ट के आसन में तीन घंटे तक बैठ रह सकते हैं आप चाहे पद्मासन या सुख आसन या सिद्ध आसन जिस आसन में आपको सुविधा हो उस आसन को छूने जिस आसन में आपको अधिक कष्ट ना लगे या किसी भी प्रकार की समस्या हो उस आसन को न चुने आसन सही से चुनने के बाद आप आसन में बैठे और अपने कमर रीड की हड्डी और गर्दन सिर को सीधा रखें अपने दोनों पैरों को पालथी मारकर बैठे और दोनों जांघों के बीच में दोनों हाथों को एक दूसरे के ऊपर रखें यह सुख आसन में आता है इस आसन में ध्यान लगाने में आसानी होती है इस आसन में स्वयं भगवान शिव ध्यान लगाते हैं और यह आसन सबसे अच्छा आसन माना जाता है क्योंकि यह आसन सुख आसन के नाम से बुलाया इसीलिए जाता है क्योंकि यह साधक को सुख प्रदान करता है
आसन में बैठने के बाद आपको अपने हाथ पैर गर्दन कमर को बिना हिलाए डुले 3 घंटे तक एक ही स्थिति में बैठने का अभ्यास आपको लगातार हफ्तों महीने करते रहना है जब आप बिना हिले डोले किसी समस्याएं के आप 3 घंटे तक आसन लगाने में सफल हो जाते हैं तब आपका आसन सिद्ध हो जाता है आसन सिद्ध होने पर आपका संपूर्ण शरीर आपका कंट्रोल में आ जाता है जिसमें मन बुद्धि इंद्रियां सब शामिल है।
आसन का अभ्यास आपको लगातार बार-बार हफ्तों महीना तक करते रहना है क्योंकि एक बार में आसन को लगाना कठिन काम है इसलिए आप आसन लगाने का अभ्यास बार-बार करें उसके बाद ही योग में ध्यान लगाने का प्रयास करें सीधा आप ध्यान ना लगाए अन्यथा आपको योग में समस्या आ सकती है और आपको अनेको प्रकार के समस्याओं में फस सकते हैं इसलिए आसन सिद्ध होने के बाद आगे आपको बढ़ना है
विषेश बात - योग करने से पहले आपको अष्टांग योग के आंठो अंगों का संपूर्ण ज्ञान हो जाए तभी आप आसन लगाए और ध्यान करने के लिए बैठे आप अधूरा ज्ञान लेकर योग के मार्ग में ना बढ़े जिससे आपको योग में आगे बढ़ने में समस्याएं देखने को मिलेगी अब आप अष्टांग योग के चौथे अंग प्राणायाम के बारे में जाने । हम अष्टांग योग के आठ अंगो का संपूर्ण जानकारी और इसको कैसे करना है सीखा रहे हैं आप इस योग के संपूर्ण अंगों को पढ़ें जिससे आपको योग करना सीख जाएंगे।