हर एक व्यक्ति चाहता है कि उसे उसके समाज में और आसपास के लोगो द्वारा संसार में उसका मान हो सम्मान हो लोग उसे महान माने उसकी इज्जत करें प्रशंसा करें और युगों युगों तक उसको याद किया जाए लोग उसकी प्रशंसा करे मृत्यु होने के बाद भी लोग उसकी पूजा करें जो लोग ऐसा चाहते हैं उन लोगों के लिए यह article है इस article में आपको बताया जाएगा की आपको समाज में कैसे कर्म करने हैं जिससे लोग आपको महान माने और आपकी मृत्यु के बाद भी लोग आपको याद करते रहे और लोग आपको पूजे ऐसा सामान्य लोगों की के साथ नही होता है


 ऐसा कुछ ही लोगो के साथ होता जिन्हे लोग पूजते हैं जो लोग सही धर्म का पालन निष्ठा पूर्वक करते हैं कर्म तो हर एक व्यक्ति करता है लेकिन महान उसे ही माना जाता है जो अपने धर्म का पालन सच्चे और ईमानदारी से करता है लोग उन्हीं लोगों को याद करते हैं और पूजते हैं इसीलिए आपको भी जो हम ज्ञान आपको देने वाले हैं उसका पालन करके आप इस संसार में खुद को महान बना पाएंगे जैसे भगवान श्री राम ने अपने जीवन काल में धर्म का पालन किया इसके कारण उन्हें आज हर युग में पूजा जाता है क्योंकि उन्होंने अपने धर्म का पालन निष्ठा पूर्वक किया और उनके आचरण को सब लोग स्वीकार करते हैं और अपने जीवन में अपनाते हैं क्योंकि धर्म ही व्यक्ति को कैसे काम करना है सीखना है और उसे महान बनाता है।आगे।

अपने स्वधर्म का पालन करें।


खुद को महान बनाने के लिए सर्वप्रथम अपने धर्म का निष्ठा पूर्वक पालन करने से लोग आपको महान मानेंगे और आपको धर्म निष्ट कर्तव्य निष्ट आपके आचरण को देखकर लोग सीखेंगे और आपसे प्रेरणा लेकर कर्म करेंगे। इससे आपका मान सम्मान हर एक प्रकार से बढ़ता रहेगा युगों युगों तक आपका नाम लिया जाएगा लोग आपके आचरण को लोगो को सिखाएंगे जिससे आपका समाज में महान बन जाएंगे।

उदाहरण से समझे।


1. किसी भी देश का एक सैनिक के लिए उसका कर्तव्य होता है कि वह अपने देश की रक्षा के लिए खुद का बलिदान दे दे और देश के लोगों पर किसी प्रकार की समस्या ना आए जब वह इसका पालन ईमानदारी से करता है तब उसे इस संसार में उसके मृत्यु होने के बाद मान सम्मान दिया जाता है और उसकी प्रशंसा की जाती है लोग उसे याद करते रहते है। 

2. श्रवण कुमार ने अपने जीवन काल में अपने अंधे माता-पिता की ईमानदारी और कष्टपूर्वक धर्म के मार्ग पर चलते हुए अपने माता-पिता की सेवा की इसके फल्व स्वरूप आज उन्हें लोग महान मानते हैं उसके जैसा पुत्र भक्त आज तक कोई नहीं हुआ है ऐसा तभी हुआ है जब श्रवण कुमार ने अपने धर्म का पालन किया जिस समय आप हैं उसी समय अपने धर्म को पहचाने और उस धर्म का पालन करना शुरू करें इससे ही आपका समाज में मान सम्मान होगा और तक आपको याद किया जाएगा।

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सत्य के मार्ग पर चलें।


जीवन में हर एक व्यक्ति को सत्य के मार्ग पर चलना अति आवश्यक है क्योंकि जब तक वह सत्य के मार्ग पर नहीं चलता तब तक उसे लोग असत्य बोलने वाला गलत आचरण करने वाला आपको मानेंगे इसीलिए आप सर्वप्रथम अपने जीवन में दूसरों के साथ हमेशा सत्य बोले और जैसा देखा हो सुना हो वही बोल किसी को झूठ बोलकर समस्या में ना डालें और असत्य ना बोले और सत्य न बोल पाए तो झूठ ना बोले मोन धारण करें और समाज में हमेशा सत्य बोलते रहें ऐसा करने पर आपको आपके समाज में लोग आपको सत्यवादी मानने लगेंगे इससे आपका मान बढ़ेगा और आपसे लोग सीख लेंगे।

कर्म निष्काम भाव से करें।


व्यक्ति को समाज में निष्काम कर्म योग ही महान बनाता है क्योंकि निष्काम कर्म योग के द्वारा ही यह पूरा संसार ब्रह्मांड चल रहा है सूर्य बिना किसी लाभ हानि के मनुष्यों के लिए प्रकाश दे रहे है पवन देव बिना किसी स्वार्थ के मनुष्यों के लिए वायु प्रदान करते हैं और अग्नि देव बिना किसी स्वार्थ के हर एक मनुष्यों के लिए अग्नि प्रदान करते हैं और देवता लोग बिना किसी स्वार्थ के मनुष्यों के लिए वर्षा करना जैसे अनेक कार्य बिना किसी लाभ के करते हैं क्योंकि वे लोग निष्काम कर्म योग के द्वारा कर्म करते हैं उन्हें किसी प्रकार का लाभ नहीं चाहिए बस वे अपना धर्म का पालन कर रहे हैं जो उन्हें दिया गया है उसी प्रकार जैसे आपको आपके माता-पिता के द्वारा जो आपको आज्ञा दिया गया है 

चाहे आपको पैसे कमाने का या कोई भी कार्य करने का बस आप उनकी आज्ञा का पालन करते हुए कर्म करें फल की आशा न करें ऐसा करने पर आपसे स्वयं भगवान देवता गढ़, ऋषि गढ़, समस्त भूत प्रेत आपकी प्रशंसा करेंगे । आपकी बाहरी लोक परलोक लोको में आपकी प्रशंसा होगी क्योंकि जो व्यक्ति निष्काम कर्म योग द्वारा कर्म करता है उन्हीं की प्रशंसा की जाती है क्योंकि भगवान उन्हें से प्रसन्न रहते हैं जो लोग निस्काम कर्म योग से कर्म नहीं करते हैं वे लोग लाभ पाने की इच्छा से कर्म करते हैं उनकी प्रशंसा मनुष्य भले ही करें परंतु भगवान ईश्वर कभी नहीं करते क्योंकि वह उन्हें वह फल पाने की इच्छा मनुष्यों को बांधता है जन्म मृत्यु का कारण बनता है।


 पुत्र भक्ति, मित्र भक्ति,पति भक्ति, गुरु भक्ति, का निस्काम भाव से पालन करे


इस संसार में कोई भी व्यक्ति हो हर एक व्यक्ति का परिवार होता है उसका दोस्त होता है या वह पति होता है या पत्नी होती है जो जिसमें है जैसे जिसकी शादी नहीं हुई है जो अपने माता-पिता के साथ है उसके लिए उसका पुत्र धर्म का कर्तव्य का पालन करना और जब आप अपने मित्र के पास जाएं तब आप अपने मित्र का कर्तव्य निभाएं जैसे कृष्ण और सुदामा ने निभाया था और जब आप की शादी हो जाए तब आप पुरुष को पति का धर्म और स्त्री को पत्नी धर्म का पालन करना चाहिए ऐसा करने पर आपका समाज में मान सम्मान हर एक प्रकार से बढ़ेगा। और आपसे भगवान प्रसन्न रहेंगे और आपके मृत्यु के बाद भी लोग आपका आदर सम्मान करेंगे और लोग आपकी धारणाओं पर चलेंगे और आपका याद किया जाएगा।