मानव जीवन का उद्देश्य, जीवन का उद्देश्य, मानव का परम उद्देश्य, मानव जीवन का अंतिम उद्देश्य,


 हमारे मन में यह सवाल हमेशा उठता रहता है कि हमारा जन्म इस संसार में क्यों हुआ है और हमारा यहां पर क्या काम है हमारा यहां पर जीवन का क्या उद्देश्य है हमें क्यों यहां पर जन्म लिया है ऐसे तमाम प्रश्न हमारे भीतर से उठते रहते हैं जिनका जवाब मिल पाना बेहद ही मुश्किल होता है आप लोगों से पूछते हैं लेकिन लोगों को भी इस प्रश्न का जवाब नहीं पता होता है और किताबें और इंटरनेट पर इस प्रश्न का जवाब इतना जल्दी नहीं मिल पाता लेकिन इसका प्रश्न किताबों में है लेकिन सब लोगों को इसका प्रश्न का उत्तर नहीं मिल पाता 


आज आप जानेंगे कि मानव के जीवन का इस संसार में उद्देश्य क्या होना चाहिए और उसे अपने जीवन में क्या-क्या कर्म करने चाहिए जिससे उसके जीवन का असली उद्देश्य पता चल जाए और वह सुख-दुख से ऊपर उठकर जीवन जी सके क्योंकि जब हमें जीवन जीना ही नहीं आएगा तब हम कैसे जीवन जी सकते हैं बिना उद्देश्य के जीवन जीना भटकाव भरा होता है और व्यक्ति का इस संसार में बार-बार जन्म लेना पड़ता है इसलिए आप आज जानेंगे कि मानव के जीवन का उद्देश्य क्या है और इसे जानकर आप इस कर्म बंधन से मुक्त हो जाएंगे और आपको असली जीवन का उद्देश्य पता हो जायेगा।


मानव जीवन की उत्पत्ति


मानव जीवन की उत्पत्ति वैज्ञानिकों ने यह सिद्ध किया है कि यह पूरा ब्रह्मांड एक ऊर्जा से बना है और ऊर्जा का ना अंत होता है ना उत्पत्ति या सादा से है और सदा रहेगा ऊर्जा से ही पदार्थ बनते हैं और फिर उसी में जाकर मिल जाते हैं केवल हमें उसके बीच का ही दिखाई देता है इस प्रकार मानव जीवन इस ऊर्जा परमात्मा से आया हुआ है और अंत में जाकर उसी में हम मिल जाएंगे जैसे हमारा जन्म होता है उसी प्रकार हमारा अंत भी होता है और बीच का हमें जीवन जीना होता है इसमें व्यक्ति को तरह-तरह के सुख आनंद दुख पीड़ा सब मिलता है और आपको पता होना चाहिए कि सुख और दुख दोनों एक ही है अगर व्यक्ति को संसार में केवल सुख ही मिले तो वह सुख उसकी सुख नहीं लगेगा उसकी सुख ही दुख लगने लगेगा इसीलिए परमात्मा ने व्यक्ति को सुख-दुख दोनों दिया है इसीलिए उसे उसके जीवन में सुख दुख का अनुभव होता है और उनके बिना सुख अनुभव नहीं किया जा सकता और सुख के बिना दुख को अनुभव नहीं किया जा सकता।

अब आप समझ चुके हैं कि व्यक्ति इस परमात्मा तत्व से मिलकर बना है और अंत में उसी में जाकर मिल जाएगा इसी प्रकार पूरा ब्रह्मांड इस ऊर्जा से बना है और अंत में इस ऊर्जा में मिल जाएगा। और फिर उसकी उत्पत्ति उसी ऊर्जा से होगी और फिर ब्रह्मांड का उदय होगा और फिर उसी में विलीन हो जाएगा यह चक्र सदा और हमेशा चलता रहेगा मनुष्य का जीवन इसी प्रकार जन्म होगा और अंत होगा और बीच में का जीवन चलता रहेगा। यही जीवन जन्म और मृत्यु के बीच का जो व्यक्ति जीना सीख जाए उसका जीवन धन्य है वही असली जीवन जीने का असली आनंद उठा पाता है


मानव जीवन का उद्देश्य होता है


मानव जीवन का उद्देश्य धर्म, अर्थ, और काम, मोक्ष, को प्राप्त करना होता है यही जीवन का मूल उद्देश्य है इन्हीं उद्देश्यों को पूरा करते हुए जीवन जीना और उस  परम तत्व पुरुष ऊर्जा में विलीन हो जाना ही मानव जीवन का उद्देश्य होता है

धर्म:  प्रत्येक व्यक्ति को अपने धर्म का निष्ठा पूर्वक पालन करना जैसे पिता के आज्ञा का पालन करना पुत्र का धर्म है पत्नी को अपने पति की आज्ञा का पालन करना उसकी सेवा करना उसका धर्म है यही धर्म कहलाता है कि जिस काम जिस स्थिति में हो जिस समय आपका कर्तव्य है उसका पालन करना ही धर्म कहलाता है

कर्म एक जानवर भी करता है और एक मनुष्य भी करता है लेकिन मनुष्य जाति जानवरों से भिन्न और कर्म उनसे अलग तरह से करता है इसके कारण वह जानवरों से ऊपर उठकर एक पुरुष बन पाता है और उसे एक पुरुष बनाने का कार्य धर्म ही करता है प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में धर्म का पालन करना चाहिए जैसे जीवन में अपने कैसे सोना है कैसे भोजन करना है कैसे स्नान करना है कैसे अपना जीवन बिताना है जीना है इसका ज्ञान धर्म करता है धर्म को ना माने अर्थात है उसका ना पालन करने पर व्यक्ति जानवर की भांति व्यवहार करने लगेगा जानवर और उसके में कोई अंतर नहीं होगा लोग बिना वस्त्र के रहने लगेंगे बिना नहाए ही भोजन करेंगे जैसे जानवर करते हैं तो इसलिए जीवन में धर्म का पालन करना अति जरूरी है

अर्थ :     जीवन यापन करने के लिए आर्थिक रूप से और समृद्ध रहने के लिए धन यापन करना जिससे जीवन जिया जा सके अपने धर्म के अनुसार कर्म करते हुए धन इकट्ठा करना उसी से अपना जीवन जीना चाहिए । एक पिता के लिए परिवार को चलाने के लिए धन यापन करना इसका एक तरह धर्म ही है जब वह परिवार का भरण पोषण के लिए धन यापन करता है तब वह अर्थ कमाता है

 
काम :   कर्म करते हुए उसमें सुख भोगने जिससे आत्मा को सुख की अनुभूति होती है वह काम कहलाता है व्यक्ति को अपने जीवन में किसी वस्तु को उपभोग करने से जो सुख प्राप्त होता है वह काम के द्वारा ही संपन्न होता है इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को किसी पदार्थ से काम द्वारा सुख को प्राप्त करना चाहिए


मोक्ष :   मोक्ष का अर्थ है इस संसार के जन्म मरण के चक्र से छूटकर मुक्त हो जाना मोक्ष कहलाता है मोक्ष के लिए परमात्मा के नाम लेना उनकी भक्ति करना और उनमें विलीन हो जाना ही मोक्ष कहलाता है व्यक्ति को अपने जीवन में मोक्ष के लिए भगवान का शरण लेना चाहिए जिससे उसे मोक्ष की प्राप्ति हो मोक्ष योग के माध्यम से व्यक्ति को प्राप्त होता है जैसे कर्म योग, भक्ति योग, ध्यान योग, और ज्ञान योग ,के माध्यम से व्यक्ति मोक्ष को प्राप्त करता है


अब आप जान चुके हैं कि मनुष्य के जीवन का उद्देश्य क्या होता है अगर कोई व्यक्ति इन उद्देश्यों को पूरा नहीं करता है तब उसका जीवन व्यर्थ ही रहता है ना वह कभी अपने जीवन में सुख प्राप्त कर सकता है ना आनंद वह हमेशा भटकाव भरे जीवन जीता रहेगा उसका जन्म इस संसार में बार-बार होगा कभी कीट पतंग का कभी मनुष्य का इसी प्रकार वह कर्म बंधन में बंधे ते हुए इस संसार में जन्म लेता रहेगा जो व्यक्ति इन उद्देश्यों को पूरा करता है इन धर्म अर्थ काम और मोक्ष का उद्देश्य रखता है उसी को असली जीवन जीता है और वह जहां से आया है वही जीवन जीता हुआ चला जाता है