संसार का प्रत्येक व्यक्ति हमेशा सुख की चाह इच्छा रखता है लेकिन उसके कर्म के अनुसार उसे सुख नहीं मिल पाता जो व्यक्ति अपने पिछले जन्म में अच्छे कर्म किया होता है उस व्यक्ति को इस जन्म में अच्छे घरों में उसका जन्म होता है और उसे सुख सुविधा सब कुछ मिलता है जिसके द्वारा वह सुख भोगता है और जो व्यक्ति गलत कर्म करते हैं वे लोग गरीब घर में जन्म लेते हैं और दुख झेलते हैं यह सिलसिला प्रत्येक व्यक्ति पर लागू होता है और इसमें सब लोग फंसे हुए हैं
क्योंकि संसार को चलाने की जिम्मेदारी इस प्राकृतिक माया की है व्यक्ति को सुख-दुख का खेल रचने वाली यह प्रकृति ही है व्यक्ति को कब दुख देना है कब सुख देना है वह अपने योग माया के दम पर व्यक्ति को लोगों में ऐसे विचार डाल देती है जिसके द्वारा उस पर चलकर दुख प्राप्त करते हैं या सुख प्राप्त करते हैं लेकिन एक तरीका है जिससे द्वारा आप दुख और सुख दोनों से बच सकते हैं वह तरीका श्रीमद् भागवत गीता में बताया गया है जिसके द्वारा व्यक्ति अपना कर्म करते हुए भी कर्म बंधनों से छूट जाता है और दुख सुख इन दोनों में हमेशा आनंदित खुश प्राप्त करता है इसी के बारे में आपको आगे पता चलेगा कि कैसे व्यक्ति को सुख की कहां खोज करनी चाहिए और उसे सुख कैसे मिलेगा।
सुख की खोज भागवत गीता के अनुसार
इस संसार में जिस व्यक्ति के जीवन में कष्ट होता है वह कितना भी चाहे सुख प्राप्त करने के लिए कोशिश कर ले उसे दुख ही दुख मिलेगा ऐसा नहीं कोई तरीका है जिसके द्वारा वह सुख प्राप्त कर सके क्योंकि योग माया उसे हर प्रकार से दुख में डाल देगी क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति उस योग माया प्रकृति के बस में होता है इसी के कारण पूरा संसार चलता है भगवत गीता में श्री कृष्णा बताते हैं कि मनुष्य को इस प्रकृति से छूकर ही सुख और आनंद प्राप्त कर सकता है आज हम जो उपाय बताने जा रहा है आप अपने जीवन में कर्म करते हुवे भी सुख और आनंद की अनुभूति करेंगे।
सुख की खोज आप अपने अंतर आत्मा में करे।
व्यक्ति को सुख की खोज कहीं बाहर किसी वस्तु में नहीं उसके बजाय उसे अपने अंतर आत्मा में खुशी प्राप्त करनी चाहिए और उसे खुश रहना चाहिए क्योंकि खुशी बाहर से नहीं अंदर से प्राप्त होती है व्यक्ति के शरीर में ही महा आनंद और सुख विद्यमान है उसे कहीं बाहर खोजने की आवश्यकता नहीं है जो व्यक्ति अपने अंतर आत्मा में सुख प्राप्त कर लेता है उसके बाद उसे किसी भी संसार के वस्तुओं और इच्छाओं में सुख की अभिलाषा नहीं रहती है वह हमेशा अपने अंतर आत्मा में ही आनंदित रहता है
अध्यात्म योग द्वारा सुख प्राप्त करें
मनुष्यों के लिए तीन प्रकार के योग बनाए गए हैं कर्म योग, भक्ति योग, और ज्ञान योग, अध्यात्म योग ज्ञान योग के अंतर्गत आता है जिसमें अष्टांग योग के द्वारा साधक अपने मन को कंट्रोल करते हुए अपने इंद्रियों शरीर बुद्धि को वश में करके अपने जीवात्मा को परमात्मा में संपर्क कर देता है इसके संपर्क में हो जाने के बाद जो महा आनंद की प्राप्ति होती है उसकी कल्पना करना असंभव है क्योंकि उस महा आनंद के आगे संसार के किसी भी चीज में वास्तु में नहीं है ना किसी स्त्री में धन दौलत में ना ही किसी शक्ति में या सिद्धि में उस आनंद के आगे हर प्रकार के सुख नष्ट हो जाते हैं क्योंकि यह पूरा ब्रह्मांड ही उस परमात्मा से बना हुआ है जब आप उस परमात्मा में ही विलीन या उनसे संपर्क कर लेते हैं तो उसके बाद आपको किसी भी प्रकार की दुख दर्द जैसे कोई भी पीड़ा नहीं रह जाती आपका संपर्क सांसारिक वस्तुओं सर्दी गर्मी मौसम सबसे संपर्क टूट जाता है
आप सब कुछ भूल जाते हैं कि आप कहां पर हैं क्या कर रहे हैं उस योग के दौरान आपको किसी की बातें नहीं सुनाई देगी न आपकी सांसे चलती हुई दिखाई देगी आपका शरीर इस संसार से संपर्क उसे समय टूट जाता है जब आप अपने मन पर विजय प्राप्त कर लेते हैं और परमात्मा से संपर्क कर लेते हैं उसके बाद जो सुख प्राप्त होता है उसमें ही आप विलीन हो जाते हैं इसी कारण बड़े-बड़े तपस्वी ऋषि मुनि हजारों वर्षों तक उस परमात्मा में संपर्क हो जाने के बाद इस योग मुद्रा में बैठे रहते हैं इस महा आनंद डूबे रहते हैं उन्हें कोई बाहर का आभास नहीं रहता कि वह कहां पर है क्या कर रहे हैं।
कर्म योग द्वारा सुख प्राप्त करें
मनुष्यों के लिए तीन प्रकार के योग बताए गए हैं तीसरा आपको हमने ध्यान योग के बारे में बताएं जिसमें आप परमात्मा से संपर्क करके महा आनंद की प्राप्ति करते हैं अब आप कर्म योग द्वारा आनंद की प्राप्ति करें जब व्यक्ति कर्म योग को पूरी तरह समझ जाता है अपने धर्म को जान लेता है तब वह दृढ़ संकल्प होकर निष्काम कर्म योग द्वारा कर्म करता है तब उसे सुख की प्राप्ति होती है यह सुख कर्म योग द्वारा प्राप्त होती है जैसे भगवान श्री कृष्णा कर्म योग द्वारा अपना पूरा जीवन व्यतीत हंसते हुए करते हैं वह कहते हैं कि मैं कर्म करता हुआ भी इन कर्म से निश्चल हूं मुझे कर्म नहीं बांध सकते मुझे सुख दुख नहीं छू सकते मैं इन सुख-दुख से ऊपर हूं इसी को भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति को निष्काम कर्म योग द्वारा फल की इच्छा छोड़कर अपने धर्म को कर्तव्य समझकर करने की वजह मानकर कर्म करें तभी व्यक्ति इन सुख-दुख से परे उस आनंद को प्राप्त कर सकता है
जो भगवान श्री कृष्णा के पास है वह सुख आप भी प्राप्त कर सकते हैं क्योंकि निष्काम कर्म योग व्यक्ति को यह सिखाता है ना किसी से प्रेम करो ना किसी से घृणा ना पाप करो ना पुण्य जिस परिस्थिति में जैसा व्यवहार करना चाहिए अपने धर्म के अनुसार करो इससे तुम्हें सुख की प्राप्ति होगी क्योंकि मनुष्य के हाथ में कुछ भी नहीं है जो लिखा हुआ है वही होगा तुम्हारी कहने से तुम्हारे इच्छा करने से कुछ नहीं होगा।
भक्ति योग द्वारा सुख प्राप्त करें
जो व्यक्ति भगवान में श्रद्धा रखता है उन लोगों को भगवान की पूजा पाठ उनकी सेवा उनमें मन लगाना उनका नाम जपते रहना उन्हें में हमेशा मन लगाए रहना ऐसा करते-करते जब आप भगवान को प्राप्त कर लेंगे तब आपको एक महा आनंद की प्राप्ति होगी क्योंकि यह पूरा ब्रह्मांड परमात्मा से ही बना है ज्ञान विज्ञान सृष्टियां सभी उन्हीं से उत्पत्ति हुई है सुख-दुख गिरना प्रेम आनंद सब कुछ उन्हीं से आया हुआ है जब आप उन्हें प्राप्त कर लेते हैं
तब आप सुख-दुख से ऊपर उठकर आनंद में हो जाते हैं क्योंकि भगवान इन सुख-दुख के माया में नहीं रहते हैं वह इन दोनों से हमेशा अलग रहते हैं जब आप उनसे संपर्क कर लेते हैं उनसे मिल जाते हैं तब वह आनंद आप प्राप्त करते हैं ध्यान रहे यह आनंद भगवान द्वारा व्यक्ति को प्राप्त होता है जो आनंद भगवान को प्राप्त है वह आनंद आपको प्राप्त होता है इसी कारण इस आनंद सुख के अलावा इस पूरे ब्रह्मांड में कहीं पर नहीं है
मुख्य बातें -
यह महासुख हमने आपको सबसे बड़े आनंद के बारे में बताया है इसके अंतर्गत जितने भी सुख आते हैं वह सब इसके नीचे ही रहते हैं जैसे धन पाने का सुख, प्रेम का सुख,स्त्री सुख, पुत्र सुख, इच्छा प्राप्ति सुख , संसार के प्रत्येक व्यक्ति इन्ही सब सुखों को पाने के लिए जीवन भर लगा रहता है लेकिन उसे कभी नहीं पता चल पाता की असली आनंद सुख कहां पर है। यह सब सुख उस महा आनंद के आगे तुच्छ हैं इसीलिए हमने आपके लिए सबसे बड़े सुख का वर्णन किया है उसके आगे इन सब सुखों का कोई मूल्य नहीं है क्योंकि उसके आगे इन सब सुखों का कोई मतलब ही नहीं है
Conclusion
आपने जाना की कैसे आपको सुख की प्राप्ति करनी है इन मार्गों से आप उस आनंद सुख की प्राप्ति कर सकते हैं जी सुख के आगे इस पूरे ब्रह्मांड में आपको कहीं नहीं मिलेगा हमारे द्वारा यह बताई गई बातें आपको शायद समझ में नहीं आ सकती है क्योंकि आप इन सब की जानकारी आपके पास बहुत कम मात्रा में होती है और आपकी बुद्धि इन सब बातों को ग्रहण समझने में असमर्थ हो सकती है
इसे समझने के लिए आप अपने मन को शांत स्थिर करके समझने का प्रयास करें यह जानकारी हम आपके लिए अपने अनुभव के आधार पर प्रदान करते हैं हमने योग द्वारा जो सुख आनंद की प्राप्ति की है वह ध्यान योग द्वारा हमने प्राप्त करके देखा है उस आधार पर यह ज्ञान आपके लिए हमने प्रदान किया है ऐसे ही अध्यात्म से जुड़ी किसी भी प्रकार की समस्या या प्रश्न आपके पास है तो आप हमें बताएं हम आपके प्रश्न का निदान करने का प्रयास करें