Bhagavat Geeta Krishna,Puja kaise kare,Krishna,


 हमारे समाज में तरह-तरह की धारणाएं मौजूद हैं कि भगवान को अच्छे-अच्छे भोजन करने से ईश्वर प्रसन्न होते हैं। लेकिन हमारे भागवत गीता में इन सब को ना करते हुए ईश्वर की कैसे पूजा करनी चाहिए आराधना करें मन में कैसे विचार लाए किन-किन नियमों का पालन करें ऐसे सभी प्रश्नों का उत्तर श्री भगवान कृष्ण अर्जुन को बताते हैं। कि कैसे कोई भी सामान्य व्यक्ति भगवान को प्रसन्न कर सकता है और ईश्वर की कृपा प्राप्त करके खुद को इस संसार से मुक्ति प्राप्त कर सकता है। और अपने जीवन को सुख और आनंद से भर सके गलत तरीके से पूजा पाठ करने से अच्छा है कि आप भगवान के बताए गए नियमों के अनुसार पूजा करें जिससे आपको पूजा का फल जल्दी मिलेगा और हर प्रकार की समस्याओं से आप बच सकेंगे ।

भगवान के प्रति श्रद्धा रखे।

भगवत गीता में भगवान श्री कृष्ण अर्जुन को कहते हैं हे अर्जुन जो व्यक्ति भगवान में अपनी श्रद्धा और विश्वास रखते हैं। उन्हीं लोगों को भगवान दिखाई देते हैं और उन्हीं को भगवान के कृपा पात्र बनते हैं। जिन लोगों को भगवान में श्रद्धा विश्वास नहीं होता है उन लोगों के सामने अगर में जाकर खड़ा भी हो जाऊं तो भी वे लोग मुझ पर विश्वास नहीं करेंगे कि मैं भगवान हूं इसीलिए भक्ति के लिए श्रद्धा होनी चाहिए कि वह भगवान के प्रति श्रद्धा भाव उन पर विश्वास रखें ।

भगवान के प्रति अनंत प्रेम करे।


भगवान श्री कृष्ण कहते हैं इस संसार में प्रेम से बड़ा कुछ नहीं है जो व्यक्ति प्रेम नहीं कर सकता वह भक्ति कैसे कर सकता है भक्ति में प्रेम की भावना नहीं होती है तो वह मेरा भक्त नहीं हो सकता है इसीलिए भक्त को चाहिए कि वह भगवान के प्रति यथार्थ प्रेम करें और उनके मार्गों पर चले तभी वह मुझे प्राप्त कर सकते हैं प्रेम एक ऐसा पवित्र मार्ग है जिस पर चलकर कोई भी सामान्य पुरुष उस प्रेम सागर से भगवान को आसानी से प्राप्त कर सकता है कबीर महाराज कहते हैं 

पोथी पढ़ी पढ़ी जग मुआ पंडित भया न कोय।

 ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय।।

यही बात प्रत्येक व्यक्ति को समझना चाहिए कि भगवान प्रेम के प्यासे होते हैं उनको किसी भी चीज की आवश्यकता नहीं होती है उन्हें तो केवल बस प्रेम चाहिए।

बड़े पकवान धन दौलत ना चढ़ाएं।


भगवान उन लोगों को बताना चाहते हैं जो लोग भगवान को सोने चांदी अच्छे-अच्छे व्यंजन पकवान चढ़ाने से लोग सोचते हैं कि भगवान इससे जल्दी प्रसन्न होंगे लेकिन भगवत गीता में कहा गया है कि किसी भी व्यक्ति को भगवान के प्रति बड़े-बड़े चढ़ावे धन दौलत ना चढ़ाएं हां अगर आपको मुझे चढ़ाना ही है तो आप केवल फूलों की एक पत्ती और एक फल चावल का एक दाना ही मुझे श्रद्धा के साथ मुझे अर्पण करें इससे मैं प्रसन्न हो जाऊंगा इसीलिए भक्त को चाहिए कि वह भगवान के प्रति श्रद्धा और प्रेम और उनके मार्ग पर चलकर ही भक्ति किया जा सकता है और भगवान को प्राप्त किया जा सकता है और उनकी कृपा प्रकार व्यक्ति इस भवसागर से पर हो सकता है और इस संसार से मुक्ति प्राप्त कर सकता है

भगवान के बताए गए मार्ग पर चले ।


जो व्यक्ति भगवान का भक्त हैं उन लोगों के लिए भगवान के बताए गए मार्ग पर उनको चलना चाहिए उनको उनके धर्म का विधि पूर्वक पालन करना चाहिए। जिससे भगवान उनसे जल्दी प्रसन्न होते हैं और उनका सम्मान करते हैं और वह उनका गुणगान भी करते हैं क्योंकि धर्म ही भक्ति है धर्म से ही लोग महान बनते हैं जो लोग धर्म के अनुसार नहीं चलते हैं उनसे भगवान हमेशा रूष्ट रहते हैं तो इसलिए भक्तों को चाहिए कि वह धर्म के मार्ग पर चले।

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Conclusion

भगवत गीता के अनुसार आपने पढ़ा कि कैसे भगवान को जल्दी से जल्दी प्रसन्न किया जा सकता है और कैसे व्यक्ति को कम करने चाहिए जिससे भगवान उनसे जल्दी प्रसन्न होते हैं भगवान का यही कहना है कि व्यक्ति को जीवन में धर्म के अनुसार अपना जीवन चलना चाहिए और भक्ति के लिए भक्ति में श्रद्धा और प्रेम की भावना होनी चाहिए तभी भक्ति द्वारा भगवान को जीता जा सकता है इसी प्रकार आपको भगवान के प्रति किसी भी प्रकार की जानकारी चाहिए या आप किसी प्रकार की समस्या में है तो आप हमें कमेंट में बताएं हम आपकी समस्या का समाधान करेंगे।