आप आगे पढ़ेंगे
- धर्म क्या है
- धर्म का सही अर्थ क्या है?
- धर्म कितने प्रकार के होते हैं?
- धर्म के रचयिता कौन है सबसे बड़ा धर्म कौन सा है
- मनुष्य का धर्म क्या है?
- मनुष्य को धर्म का कैसे पालन करना चाहिए।
- भगवत गीता के अनुसार धर्म क्या है?
- धर्म का मुख्य उद्देश्य क्या है?
- निष्कर्ष
धर्म क्या है
धर्म आसान शब्दों में: धर्म व्यक्ति को कर्म करने की प्रेरणा और राह दिखाता है जीवन जीने की कला जीवन को आनंद पूर्वक जीने का तरीका और भगवान से संपर्क और मिलन व्यक्ति को धर्म ही सिखाता है बिना धर्म का अनुसरण किए बिना कोई भी व्यक्ति अपने जीवन को शांतिपूर्वक और आनंदित पूर्वक नहीं जी सकता और भगवान को कभी भी प्राप्त नहीं कर सकता भगवान को प्राप्त करने का तारिक केवल धर्म के मार्ग पर चल कर ही प्राप्त किया जा सकता है
जैसे 👉 भगवत गीता में बताया गया है व्यक्ति को अपने जीवन में. कर्म योग, भक्ति योग ,ज्ञान योग ,इन विधियों द्वारा जीवन जीना चाहिए । अन्यथा जीवन में सदा दुख ही दुख मिलेगा।
धर्म का सही अर्थ क्या है?
संसार और समाज को चलाने के लिए जो ज्ञान विधि भगवान द्वारा दिया गया है वह धर्म कहलाता है धर्म ही मनुष्य को अच्छे - बुरे , पाप - पुण्य, गलत - सही की पहचान करता है और जानवर की श्रेणी से उठाकर एक मनुष्य बनाता है अन्यथा धर्म नही होता तब मनुष्य और जानवर में कोई अंतर नही होता । कर्म तो जानवर भी करता है परंतु मनुष्य कर्म धर्म के बनाए गए उस नियम के अनुसार कर्म करता है इसलिए वह इंसान है
जैसे: हिंदू धर्म मैं भगवान ने मनुष्य के लिए अनेको विधियां बनाई है जिनमें प्रमुख तीन विधियां हैं कर्म योग ,भक्ति योग, तथा ज्ञान योग , इन तीनों विधियों में से व्यक्ति चाहे कोई एक योग विधि को अपनाकर अपना जीवन जी सकता है
पंडितों, और ऋषि मुनियों ,सन्यासी ,के लिए (ज्ञान योग) विधि बनाई गई है ध्यान योग में ध्यान योग की संपूर्ण ज्ञान प्राप्त करना तथा हठयोगी, अष्टांग योग के द्वारा परमात्मा की प्राप्ति करने के बाद जीवन जीना होता है
ज्ञान योग, योगियों के कुछ उदाहरण : स्वामी विश्वामित्र, सप्त ऋषि, स्वामी विवेकानंद, स्वामी शिवानंद सरस्वती, परमहंस योगदान,महर्षि पतंजलि, जैसे महान योग हुए है
(ग्रहणी) जो लोग समाज में रहते हैं जो लोग परिवार चलते हैं उन लोगों के लिए (कर्म योग)विधि बनाया गया है,संख्यायोग, निष्काम कर्म योग का ज्ञान प्राप्त करके जीवन जीना होता है
कुछ (कर्म योगियों) के उदाहरण: राजा हरिश्चंद्र, राजा विक्रमादित्य, श्रवण कुमार, भगवान कृष्ण, और राम, प्रमुख उदाहरण है
(भक्ति योग), ऐसी विधि बनाई गई है जिसका अनुसरण कोई भी इंसान कर सकता है भक्ति योग में भगवान की आराधना, पूजा,और भगवान ,को खुद को समर्पण करना होता है उसके बाद भगवान व्यक्ति के सारे पाप पुण्य खत्म कर देते हैं और उसको अपने यहां शरण में ले लेते हैं उसे मोक्ष प्राप्त की प्राप्ति हो जाती है
भक्ति योग, के कुछ उदाहरण: मीराबाई, प्रहलाद,कबीर दास, सुर दास , ध्रुव, हनुमान ,जैसे अनेकों उदाहरण है
धर्म कितने प्रकार के होते हैं?
इस पूरे संसार में केवल एक ही धर्म सच्चा है सनातन है वह सनातन हिंदू धर्म है
वर्तमान समय में देखा जाए तो कई सारे धर्म देखने को मिलते हैं लेकिन आपको पता होना चाहिए सनातन हिंदू धर्म को छोड़कर सभी धर्म मनुष्यों द्वारा बनाया गया धर्म है सच्चा धर्म वही होता है जिस धर्म को स्वयं ईश्वर ने बनाया हो ना कि किसी मनुष्य ने जिस धर्म को मनुष्यों ने अपने विचार विमर्श से अपने क्षमता ज्ञान से बनाया हो वह सच्चा धर्म नहीं हो सकता सच्चा धर्म वही हो सकता है ईश्वर ने अपने से बनाया हो क्योंकि इस ब्रह्मांड में जो भी ज्ञान विज्ञान है वे सभी ईश्वर की देन है कोई भी इंसान ईश्वर से बड़ा नहीं होता है और जो भी ज्ञान आज इंसानों के पास है वह सब ईश्वर से ही मिला हुआ है इस उदाहरण से समझे
(बौद्ध धर्म) को (गोतम बुद्ध) ने बनाया है
इस्लाम धर्म ,को हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने बनाया है
ईसाई धर्म, को ईसा मसीह के बनाया है
जैन धर्म के संस्थापक (ऋषभ देव या आदिनाथ) थे
सनातन हिंदू धर्म को बनाने वाले स्वम भगवान (श्री विष्णु जी ) है क्योंकि वे कहते ही की मैं (धर्म की रच्छा वह अधर्मीओ को खत्म करने और धर्म की स्थापना करने के लिए इस पृथ्वी पर बार बार जन्म लेता हु लेता रहूंगा जो कल युग के अंत मैं भगवान श्री विष्णु कल्कि अवतार लेंगे फिर से धर्म की स्थापना करेंगे जबकि भगवान विष्णु पृथ्वी 23 बार जन्म ले चुके है 24 बार कल्कि अवतार में एक तपस्वी ब्राह्मण के यहां जन्म लेंगे और धर्म की स्थापना करेंगे।
आपने देखा सनातन धर्म को छोड़कर चार नए धर्म है उनमें,गौतम बुद्ध, मोहम्मद साहब ,ईसा मसीह ,और आदिनाथ, है क्या ये चारों इस पृथ्वी के रचयिता ईश्वर है नहीं इस संसार के जैसे आप हैं वैसे ही एक इंसान थे बस इन्होंने परिश्रम से ज्ञान प्राप्त करके अपने ज्ञान के द्वारा अपने बताए गए राह पर लोगों को इन्होंने चलाया और बताया कि तुम मेरे द्वारा बताए गए रास्ते पर चलो तुम्हें मोक्ष प्राप्त होगा और शांति मिलेगी इन चार लोगो ने अपने अलग-अलग धर्म एक नियम बनाएं जो आज चार बड़े-बड़े धर्म के रूप में उभर रहे है
धर्म मनुष्यों को कर्म करना सीखना है धर्म केवल एक ही है धर्म मनुष्यों को समाज में रहने की तरीका बताता है कि लोगों के साथ कैसे रहना है कैसा व्यवहार करना है और अंत में परमात्मा को कैसे प्राप्त करना है इस जन्म मरण के चक्र से छूटकर मुक्ति प्राप्त करना मनुष्यों का प्रथम कर्तव्य होता है वह इस संसार से मुक्ति प्राप्त करें । जो धर्म व्यक्ति को मुक्ति प्रदान नहीं करा सकता है परमात्मा से मिला नहीं कर सकता वे धर्म नहीं हो सकते है
धर्म के रचयिता कौन है सबसे बड़ा धर्म कौन सा है
इस संसार में सबसे बड़ा धर्म सनातन हिंदू धर्म है और धर्म के रचयिता और धर्म को बनाने वाले स्वयं भगवान विष्णु है क्योंकि भगवान विष्णु धर्म की स्थापना के लिए पृथ्वी पर बार-बार जन्म लेते हैं और लोगों को जीवन कैसे जीना है वह जी कर दिखाते हैं और जीने की प्रेरणा देते हैं जैसे भगवान विष्णु ने राम का अवतरण धारण करके अपने धर्म का पालनपुर करके जीवन जी के दिखाए उसके बाद द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण के रूप में भगवान ने जन्म लिया और वह अपने धर्म के रास्ते पर चलकर जीवन जी कर दिखाया और लोगों को जीने के लिए सिखाए
भगवान विष्णु कहते हैं कहते हैं मैंने इस संसार को बनाया है और मैं ही धर्म की स्थापना की है अगर मैं इस धरती पर मनुष्यों को में खुद कर्म करके नहीं दिखाऊंगा तब मनुष्य लोग इस धर्म को भूल जाएंगे और वह धर्म का अनुसरण नहीं करेंगे इसलिए भगवान विष्णु पृथ्वी पर जन्म लेते हैं और मनुष्यों को कर्म कैसे करना है वह करके दिखाते हैं इसीलिए भागवत गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है।👉 जब जब धर्म की हानि होगी तब तक में इस धरती पर जन्म लूंगा और धर्म की स्थापना करूंगा और पापियो का अंत करूंगा।
इससे आप खुद ही समझ गए होंगे कि धर्म को बनाने के लिए स्वयं भगवान पृथ्वी पर जन्म ले रहे हैं और वह खुद ही कर्म करके दिखा भी रहे हैं कि कर्म इंसानों को कैसे करना चाहिए सिखाते है इससे बड़ा प्रमाण आपको क्या मिलेगा।
मनुष्य का धर्म क्या है?
- प्रत्येक व्यक्ति को अपने माता-पिता की आज्ञाओं का पालन करना चाहिए
- किसी निर्दोष प्राणी की हत्या नहीं करनी चाहिए
- कोई भी कर्म अच्छे बुरे की पहचान करके कम करना चाहिए
- प्रत्येक व्यक्ति को पुत्र धर्म ,पत्नी धर्म का पालन करना चाहिए
- अपने से बड़े लोगो का आदर सम्मान और आज्ञाओं का पालन करना।
- प्रत्येक व्यक्ति को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए
- स्त्री को अपने पति की सेवा उनकी आज्ञाओं का पालन सम्मान करना ।
- प्रत्येक व्यक्ति को भगवान की पूजा और नाम लेते रहना चाहिए जिससे मरने के बाद भगवान की प्राप्ति होती है
- प्रत्येक व्यक्ति को कर्म योग विधि द्वारा कर्म करना चाहिए
- घर पर आए किसी भी भिखारी या भिच्छू को दान देना किसी धर्मस्थल पर अपनी धन को दान देना मनुष्य का प्रथम धर्म है
- प्रत्येक व्यक्ति को अपनी धर्म का प्रचार और अनुसरण करना व्यक्ति का धर्म है
मनुष्य को धर्म का कैसे पालन करना चाहिए। आसान और सही जानकारी
जो व्यक्ति ग्रहणी है जिसका परिवार है वह निष्काम कर्म योग विधि द्वारा अपना जीवन जी सकता है। जैसे आप एक गरीब परिवार में है तब आपके माता-पिता कहते हैं कि बेटे तुम कोई काम करो और परिवार का भरण पोषण करो तो आपका धर्म होता है कि आप परिवार को चलाने के लिए कोई काम करें जिससे परिवार का भरण पोषण हो यह आपका धर्म है
भगवत गीता के अनुसार धर्म क्या है?
भगवत गीता के अनुसार धर्म: एक राजा पिता का धर्म होता है कि वह सबसे बड़े पुत्र को राज्य का राजा बनाए अगर वह छोटे बेटे को राजा बनता है तब वह अधर्म करता है यह धर्म के खिलाफ है यही भागवत गीता में बताया गया है इसे और आपको आसान शब्दों में बताने का प्रयास करता हूं
धर्म एक नियम कानून है इसके रास्ते पर व्यक्ति को चलना होता है अगर वह इसका पालन नहीं करता है तब वह अधर्म की श्रेणी में आ जाता है द्रोप्ति के चीर हरण पर एक समझौता हुआ था की पाचो पांडव को 14 वर्ष के लिए वनवास जाएंगे और 1 वर्ष के लिए अज्ञातवास उसके बाद उनका राज्य उन्हें वापस लौटा दिया जाएगा जब पांडवों का 14 वर्ष वनवास और 1 वर्ष का अज्ञातवास पूरा होता है तब दुर्योधन को उनके राज्य वापस लौटने की बात आती है तब दुर्योधन कहता है कि मैं राज्य उन्हें नहीं दूंगा भगवान श्री कृष्णा दुर्योधन से कहते हैं कि ठीक है तुम केवल पांच गांव ही पांडवों को दे दो लेकिन दुर्योधन उन्हें एक भी गांव नहीं देता वह कहता है कि मैं उन्हें एक सूई नोख के बराबर भूमि नहीं दूंगा
अब आपको यह समझना चाहिए कि द्रोप्ति के चीर हरण के समय यह समझौता हुआ था कि 14 वर्ष वनवास और एक वर्ष अज्ञातवास होने के बाद उन्हें उनके राज्य वापस लौटा दिया जाएगा ,तब यह एक धर्म बन गया था उनका राज्य वापस लौटना, जब दुर्योधन इस धर्म को नहीं मानता कहता है कि मैं उन्हें उनके राज्य नहीं दूंगा तब दुर्योधन अधर्म करता है इसी के कारण महाभारत युद्ध हुआ।
अब आप खुद ही समझ गए होंगे कि प्रत्येक व्यक्ति का अपना-अपना धर्म होता है और उसे अपना कर्तव्य पूरा करना होता है उसे कर्तव्य में अपनी मनमानी नहीं करनी होती है जैसे एक बार कोई दान दे दिया जाता है तब फिर उसके ऊपर से उसका दायित्व खत्म हो जाता है फिर उसको उसके ऊपर हक जमाना अधर्म है यही भागवत गीता में भगवान ने अर्जुन को बताया कि युद्ध के समय तुम्हारा धर्म केवल युद्ध करना है लेकिन अर्जुन अपने मन की सुनकर मोह मैं फसकर युद्ध नहीं करता है मैं युद्ध नहीं करूंगा तब अर्जुन एक अधर्म करने जाता है तभी अर्जुन को भगवान श्री कृष्ण ने उसे धर्म का ज्ञान देते हैं और उसे बताते हैं कि धर्म क्या है
धर्म का मुख्य उद्देश्य क्या है
धर्म का मुख्य उद्देश्य: धर्म का मुख्य उद्देश्य होता है व्यक्ति अपने धर्म का दृढ़ संकल्प से पालन करें । किसी स्त्री का इज्जत बचाने के लिए अपनी जान की बाजी लगाकर उसकी इज्जत को बचाना यही धर्म का उद्देश्य होता है
निष्कर्ष
धर्म एक जीवन जीने की विधि है इसका पालन करना प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य होता है अगर इसका पालन नहीं किया जाए तब वह अधर्म की श्रेणी में आता है इसीलिए प्रत्येक व्यक्ति को अपने धर्म का पालन करना चाहिए जो उसके लिए उसका धर्म है तभी भगवान आपका साथ देंगे अन्यथा आपको दंड देंगे।