Pranayama poses


कोई भी व्यक्ति बिना स्वास लिए एक छड़ मात्र भी जीवित नहीं रह सकता। इसीलिए स्वास को प्राण भी कहा जाता है जब व्यक्ति स्वास लेना बंद कर देता है तब व्यक्ति को मृत घोषित कर दिया जाता है व्यक्ति के शरीर से स्वास को निकल दिया जाए तो व्यक्ति एक निजात पोतला बन जायेगा निर्जीव वस्तु बन जायेगा । शरीर में स्वास का होना प्राण होने के बराबर है 


जो व्यक्ति जितना अधिक अच्छी तरह स्वास अपने शरीर के भीतर लेगा उसकी जीवन की आयु लंबी होगी और शरीर को स्वास्थ्य प्राप्त होता है किसी प्रकार की विमारी रोग दुख से हमेशा दूर रहता है इसी को भारती योग ग्रंथो में स्वास को इतना महत्त्वपूर्ण बताया गया है हमारे योग पुस्तकों में योग स्वास की क्रिया को प्राणायाम नाम दिया गया है प्राणायाम क्या है इसका अर्थ क्या है इसकी परिभाषा क्या है प्राणायाम की सही ज्ञान आप प्राप्त करेंगे वास्तव में प्राणायाम क्या है योग ग्रंथो में इसे प्राणायाम क्यों कहा गया है

प्राणायाम क्या है 

प्राणायाम एक योगिक क्रिया है जिसके अंतर्गत स्वास को शरीर के भीतन लेना उसे कुछ देर रोके रखना फिर स्वास को बाहर छोड़ देना फिर कुछ देर रोके रहना एक विशेष विधि क्रिया द्वार किया जाना ऐसा करने से शरीर को स्वास्थ्य और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होना प्राणायाम है 


और आसन शब्दो में  प्राणायाम क्या है जैसे अष्टांग योग में आठ अंग का अपना अपना कार्य है और उसके अपने लाभ होते उसी प्रकार प्राणायाम अष्टांग योग का चौथा अंग है इसका अपना नियम क्रिया विधि है और इसके अपने लाभ है जैसे (आसन ) आसन में साधक एक विशेष क्रिया विधि द्वारा सुखासन में बैठकर ध्यान लगाया है जिससे साधक की इंद्रिया नियंत्रण होने लगती है मन वस में होने लगता है और धीरे धीरे साधक ध्यान की गहराई में जाने लगता है और साधक को समाधि और आत्म ज्ञान प्राप्ति होती हैं 


 उसी प्रकार प्राणायाम एक विशेष विधि द्वार किया जाता है जिससे साधक का शरीर शुद्ध वह निर्मल होती है साधक की आयु लंबी होती है शरीर में ऊर्जा का इस्थर बड़ने लगता है और साधक का शरीर तेजमय फुर्तीला हो जाता है हर प्रकार की बीमारी शरीर से खत्म हो जाती है साधक अपने स्वास पर नियंत्रण कर लेना प्राणायाम है

प्राणायाम का अर्थ

प्राणायाम प्राण वायु को शरीर के भीतर खींचना कुछ देर तक रोके रहना फिर खींची हुई वायु को बाहर छोड़ देना फिर कुछ देर रोक देना फिर वायु को खींचना इस क्रिया को लगातार तब तक करते रहता जब तब शरीर में आक्सीजन की पूर्ति पूरे शरीर हो जाने के बाद स्वास बाहर आना जान बंद हो जाता है जिससे योगी अपने स्वास पर विजय प्राप्त कर लेता है स्वास पर कंट्रोल होने से मन इंद्रिया शरीर सब शांत स्थिर हो जाती है चित्त में विचार आने बंद हो जाते है और साधक ध्यान की गहराई में चला जाता है इसे प्राणायाम कहते है


प्राणायाम" शब्द का अर्थ होता है "प्राण" और "आयाम"।

"प्राण" का अर्थ होता है "जीवन शक्ति" या "प्राण शक्ति"।
"आयाम" का अर्थ होता है "नियमित अभ्यास" या "नियमित व्यायाम"।
इसका सामान्य अर्थ होता है "प्राण शक्ति को नियंत्रित करने का अभ्यास" जिसमें श्वास की नियंत्रण तकनीकों का अभ्यास किया जाता है ताकि शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त होता है चित्त शांत हो ।



प्राणायाम की परिभाषा

प्राणायाम एक प्राचीन भारतीय योग विधि है महर्षि पतंजलि द्वारा लिखित योगसूत्र में वर्णित अष्टांग योग के आठ अंग यम, नियम ,आसन ,प्राणायाम,प्रत्याहार धारणा, ध्यान ,समाधि इन अष्ट विधियों द्वारा व्यक्ति अपने मन इंद्रियो शरीर बुद्धि को वश में करके और चित्त में आने वाले विचार रोक कर ध्यान की गहराई में जाकर समाधि को प्राप्त करना अथार्थ आत्म ज्ञान प्राप्त करना होता है 


प्राणायाम अष्टांग योग का चौथा अंग है यह स्वास पर आधारित योग क्रिया है जिसमे साधक अपनी स्वासो पर नियंत्रण करता है जिसका कार्य शरीर को ऊर्जावान बनाना कमजोरी थकान मानसिक तनाव डिप्रेशन शरीर की हर प्रकार की विमारियो को दूर करना शरीर को स्वास्थ्य प्रदान कराता है एक साधक प्राणायाम के द्वारा अपने शरीर को स्वास्थ्य रखता है जिसके द्वारा साधक को ध्यान करने आसानी होती है अन्यथा शरीर में कमजोरी या किसी प्रकार की बीमारी होने से साधक ध्यान नहीं लगा सकता है प्राणायाम साधकों को स्वास्थ्य प्रदान करता है