अष्टांग योग का तीसरा अंग आसन है जिसमे ध्यान लगाने के लिए एक अच्छा सुखमय विधि का प्रयोग किया जाता है जिसके द्वारा साधक ध्यान की गहराई में प्रवेश करता है और आत्म ज्ञान की प्राप्ति कर पाता है उसे आसन कहते है आज में आपको बताऊंगा की आसन क्या है इसकी संपूर्ण ज्ञान आपको देने वाली हु जिससे आपको ध्यान लगा पाएंगे आपको कोई समस्या नहीं होगी। 

आसन क्या है 

आसन एक बैठने की प्रक्रिया है जब साधक ध्यान लगाने के लिए एक विशेष विधि द्वार एक शांत स्थान पर पालथि मारकर या सुखासन पद्मासन सिद्धासन में बैठना आसन कहलाता है

आसन का अर्थ और परिभाषा 


आसन का अर्थ : एक विशेष क्रिया विधि द्वारा बैठना और लंबे समय तक बिना कष्ट के बैठे रहना आसान है योग में कहा जाता है जो साधक बिना कष्ट के लंबे समय तक बैठे रहता है वही ध्यान की गहरी में जाता है और उसका शरीर मन वश में हो पता है

आसन की परिभाषा : योग के अनुसार आत्म ज्ञान की प्राप्ति के लिए साधक ध्यान लगाने के लिए एक विशेष स्थान पर सुख पूर्वक बैठता है और ध्यान के द्वारा उच्च अवस्था में चला जाता है जहा मस्तिष्क के विचार शांत हो जाते है चित्त पूरी तरह स्थिर हो जाता है यह पूरी प्रक्रिया आसान कहलाती है


आसन क्या है विस्तार से समझे 


आसन क्या है जैसे पानी को रखने के लिए एक मटके बाल्टी की आवश्यकता होती है वैसे ही ध्यान लगाने के लिए आसान विधि की आवश्यकता होती है ध्यान लगाने के लिए साधक को एक शांत स्थान पर सुख आसन या पद्मासन में बैठकर लंबे समय तक ध्यान लगाना बिना किसी कष्ट के इस पूरे प्रक्रिया को आसन कहते हैं 
आसन का मतलब होता है जब आप आसन में बैठे तब अपने पैरों में किसी प्रकार की समस्या उत्पन्न ना हो किसी प्रकार का पीड़ा कष्ट ना हो ध्यान में किसी प्रकार की बाधा ना पड़े आपको उसी आसान विधि को अपनाना चाहिए जिसमें व्यक्ति लंबे समय तक बिना किसी कष्ट के ध्यान लगा सकता हो जिसे ध्यान लगाने में आसानी होती है जिससे शीघ्र ही साधक का चित्त स्थिर हो जाता है और वह ध्यान की गहरी अवस्था में चला जाता है

आसन के लाभ और फायदे


जब साधक आसन करना सीख जाता है आसन में 3 घंटे तक बैठे रह जाता है जब उसमें उसे सफलता प्राप्त होती है तब साधक को मानसिक और शारीरिक लाभ प्राप्त होता है जो साधक के कल्पना से परे होता है

  1. चित्त का शांत होना: साधक का चित्त पूरी तरह शांत वह स्थिर हो जाता है 
  2. मन पर कंट्रोल: व्यक्ति का मन उसके नियंत्रण आ जाता है मन कंट्रोल होने से हर काम में सफलता जल्दी मिलने लगती है
  3. अध्यात्म विकास: व्यक्ति का पूरा जीवन अध्यात्म की और जाने लगता है 
  4. आनंद की प्राप्ति : योग आसन में जब लंबे समय तक बैठे रहने से साधक को आनंद में डूब जाता है अब उसे किसी प्रकार की की सुख की आवश्यकता नहीं पड़ती है 
  5. यथार्थ ज्ञान की प्राप्ति : साधक को आत्मज्ञान प्राप्त होने के बाद किसी और ज्ञान की आवश्कता नही पड़ती है व्यक्ति अब दुसरो को ज्ञान देने लगता है
  6. आत्म ज्ञान कि प्राप्ति : प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य होता है कि वह आत्मज्ञान कि उसे प्राप्त हो जिससे उसका जीवन धन्य हो जाए और किसी ज्ञान की आवश्यकता ना पड़े और जीवात्मा परमात्मा से संपर्क करके परमानंद में डूब जाए।
  7. शरीर का ऊर्जावान होना : योगासन करने से शरीर में ऊर्जा का स्तर बढ़ने लगता है सर्दी गर्मी किसी भी मौसम का असर साधक को नहीं होता है उसमें अलौकिक शक्तियां शरीर में आ जाती हैं 
  8. काम क्रोध पर नियंत्रण : योग साधना में सफल हो जाने के बाद काम क्रोध सभी प्रकार के द्वेष नष्ट हो जाते हैं व्यक्ति का मन निर्मल हो जाता है
  9. डर आलस पर विजय प्राप्ति : योग साधना में सफलता के बाद व्यक्ति के मन से डर आलस सभी प्रकार के नकारात्मक विचार आने बंद हो जाते हैं और व्यक्ति साहसी दिल वाला निडर बन जाता है उसे किसी प्रकार का भय डर नहीं रह जाता है
  10. शारीरिक लाभ : योगासन से शरीर में अनेकों प्रकार के लाभ मिलने लगते हैं शरीर का इम्यूनिटी सिस्टम बूस्ट होने लगता है शरीर की कार्य क्षमता बढ़ने लगती है व्यक्ति में बुढ़ापा जल्दी नहीं आती है व्यक्ति अधिक समय तक जवान दिखता है कमजोरी थकान सभी प्रकार के बीमारियां व्यक्ति के शरीर से खत्म हो जाती है
  11. रोगों के मुक्ति : जो व्यक्ति योगासन करता है उसे बीमारियां हमेशा दूर भागती हैं ऐसे व्यक्ति को बीमारियां कभी छू भी नहीं सकती है
  12. मानसिक शांति मिलना: योगासन करने का सबसे अधिक फायदा होता है मानसिक शांति व्यक्ति को एक आनंद की प्राप्ति होती है जिसे मानसिक शांति भी कहते हैं यह ऐसा सुख है जिसके मिलने से और किसी सांसारिक सुख की अभिलाषा नहीं रहती है
  13. तनाव दूर होना : व्यक्ति हमेशा अधिकतम तनाव में रहता है योग साधना करने से व्यक्ति के मस्तिष्क से तनाव डिप्रेशन सभी प्रकार की नेगेटिव विचार खत्म हो जाते हैं तथा व्यक्ति को शांति प्राप्त होती है

योगासन के इतने लाभ हैं जिनकी कल्पना करना मुश्किल है आपको मैंने कुछ ही लाभ के बारे में बताया है 


आसन के प्रकार 

आसन के प्रकार


महर्षि पतंजलि ने ध्यान लगाने के लिए पांच प्रकार के आसन कुछ इस प्रकार है
 

सुखासन - सुखपूर्वक बैठना (पालथी मार कर बैठना) 

  1. पैरों को आपस में मिलाएं और आपके बैठने के साथ जांघों को फ्लैट पर रखें.
  2. पैरों की ऊँचाइयों को अपने कूल्हों के नीचे या गुरु भाग के समीप रखें.
  3. होंठ और कंधों को सामान्य दिशा में रखें, और हाथों को पैरों की ओर या घुटनों पर रखें.
  4. स्थिति में रहने के बाद, आराम से अपनी आँखें बंद करें और गहरी सांस लें.
  5. इस स्थिति में ध्यान केंद्रित करने के लिए ध्यान और मनोबल का अभ्यास करें.

 पद्मासन- कमल की भाँति बैठना। 



1. सबसे पहले, एक शांत और सुस्त जगह पर बैठें, जहां आपको कोई आपको बाधित नहीं करेगा.

2. अपनी पैरों को समतल रखें और स्थिति लें.

2. अपनी पैरों को समतल रखें और स्थिति लें.

3. अब, अपने दाहिने पैर को अपने वाम पैर के ऊपर रखें, और अपने पैर के तलवे को अपने नितंब के पास लाएं।

4. अपने वाम पैर को अपने दाहिने जांघ के ऊपर रखें, और अपने पैरों की तलवों को अपने नितंब के पास लाएं।

5. आपके हाथ आपके घुटनों पर होंगे, और मुद्रा बनाने के लिए आपके हाथ को आपके ज्ञानमुद्रा के साथ जोड़ें।

6. अपने पीठ को सीधा रखें और अपनी कमर को सीधा और स्थिर रखें।

7.  ध्यान में बैठते समय, अपनी आंखें बंद करें और गहरे संवाद में चले जाएं।


सिद्धासन - निपुण, दक्ष, विशेषज्ञ की भाँति बैठना।

  1. सिद्धासन योग में एक प्रमुख आसन है। यहां आपको सिद्धासन में कैसे बैठें, इसके बारे में बात करता हूँ:
  2. सबसे पहले, एक शांत और सुस्त जगह पर बैठें, जहां आपको कोई आपको बाधित नहीं करेगा.
  3. अपने पैरों को समतल रखें और स्थिति लें.
  4. अपने दाहिने पैर को बाएं जांघ के पास ले आएं, जबकि आपका बायां पैर आपके दाहिने पैर के नीचे हो।
  5. अपने पैरों की ऊंचाई को अपनी सांसों के समान बनाएं और पैरों की ऊंचाई को धीरे-धीरे बढ़ाने के लिए आपके दोनों हाथों को पैरों के सोल के साथ दबाएं।
  6. आपके हाथ आपके जोड़ा गया होना चाहिए और आपके पीठ को सीधा रखें।
  7. सिद्धासन में बैठते समय, आपकी स्पाइन को सीधा और स्थिर रखें।
  8. ध्यान में बैठते समय, आपकी आंखें बंद करें और गहरे संवाद में चले जाएं।

वज्रासन - एडियों पर बैठना।

  1. सबसे पहले एक शांत और सुखद स्थान पर बैठें, जैसे कि योग मैट या चारपाई.
  2. अब अपने पैरों को सामने की ओर बढ़ाने के लिए आपके सामने के दिशा में बैठें.
  3. अपने पैरों को एक साथ बढ़ाएं और अपने जुटे हुए अंगुलियों को आपस में समये.
  4. आपके जुटे हुए अंगुलियों को आपकी नितंब के पास रखें और अपने पैरों के तलवे को ऊपर की ओर की तरफ दिखाएं.
  5. अब आप धीरे-धीरे अपनी वज्रासन के साथ बैठ जाएं, आपके पैरों के नीचे की ओर आपकी टांगों की तरफ फेलाएं।
  6. आपकी आंखें बंद रखें और ध्यान में रहें, साथ ही समय समय पर गहरी सांसें लें.
  7. वज्रासन में बैठे रहें और इस स्थिति में कुछ मिनटों के लिए बने रहें, फिर सावधानी से उठें।



अर्ध पद्मासन - आधे कमल की भाँति बैठना।


  1. सबसे पहले, एक स्थिर और सुखमय आसन में बैठें, जैसे कि सुखासन या वज्रासन।
  2. अब एक पैर को दूसरे पैर के ऊपर के रूप में लाएं।
  3.  आपके पैर की ऊंचाइयों को आपसे सही रूप में बैठने के लिए सामान्यत: एक पैर के पैर के ऊपर की ओर रखें और दूसरा पैर उसके ऊपर आये, और हील्स आपके पेट के पास हों।
  4. आपके हाथ आपके घुटनों पर या जो की सुखमय लगे,
  5. आराम से बैठें और ध्यान में रहें, साँस लें और स्वास्थ्य के लिए इस आसन का आनंद उठाएं

आसन लगाने का तरीका 

 एक शांत स्थान ढूंढे जहां अच्छे मात्रा में हवा आती हो जहां शोरगुल ना होता हो फिर सुखासन बैठकर पालथी मारकर बैठ जाए। अपनी रीड की हड्डी और गर्दन को सीधा रखें उसे हिलाई धुलाई नहीं अब अपनी आंखें बंद कर ले शरीर को हल्का फुल्का छोड़ दे मन को शांत रखें फिर अपने शरीर के भीतर अपने हृदय की आवाज को सुने उसपर ध्यान लगाए दिमाग में विचार भटकने पर फिर उसे विचार से ध्यान हटाकर फिर हृदय पर ध्यान लगाए जब-जब मन भटकाएगा तब तब आपको उस विचार से हटाकर मन को  हृदय पर ध्यान लगाना है ऐसा करने से दो से तीन घटे बाद मन कंट्रोल में हो जाएगा। और शरीर इंद्रियां मन बुद्धि साधना के कंट्रोल में आ जाते हैं और साधक ध्यान की गहराई में चला जाता है 


आसन करने का सही तरीका

आसान करने का सही तरीका: एक शांत स्थान खोजें जहां पर्याप्त मात्रा में हवा आती हो और वह स्थान शुद्ध होना चाहिए जहां आसन लगाया जाता हो फिर सुख आसन में बैठकर अपनी पीठ और गर्दन को सीधा रखें अपने दोनों हाथों को मूलाधार चक्र के पास हाथों को रखें फिर अपनी हृदय की आवाज को सुनने का प्रयास करें जब आप हृदय की आवाज सुनेंगे तब आपका मन तेजी से आपको भटकाएगा तब आपको उन विचारों से मन को हटाकर फिर आपको अपने हृदय पर ध्यान लगाना है और हृदय की आवाज को सुनना है और हृदय की गहराई में धीरे-धीरे चलते जाना है 

हृदय की आवाज सुनते सुनते आप गहराई में चले जाएंगे जहां पर विचार आने सब बंद हो जाएंगे स्वास का आना-जाना बिल्कुल धीमा हो जाएगा उसके बाद व्यक्ति को आसन में आनंद की अनुभूति होने लगेगी और व्यक्ति का मन उसे कंट्रोल में आ जाएगा तब व्यक्ति समाधि की ओर जाता है और उसे आत्मज्ञान की प्राप्ति होती है यह है सही आसान लगने का तरीका।

आसन करने का सही स्थान 

अक्सर लोग पूछते हैं की आसान लगने का सही स्थान क्या है तो मैं आपको बता दूं की आसन  लगाने का सही स्थान है जहां पूरी तरह शांति शोरगुल ना हो जहां प्राकृतिक ठंडी हवादार मौसम हो जिस जगह ध्यान लगाया जाए वह स्थान पूरी तरह साफ सुथरी ही हो और ध्यान हमेशा सुबह 3:00 से 4:00 बजे करना चाहिए उसे समय वातावरण शुद्ध होता है और हर जगह शांति होती है जिसे ध्यान लगाने में आसानी होती है और ध्यान नहीं भटकता है


अपने जाना की आसान क्या है इसे कैसे करते हैं इसके लाभ के बारे में अपने सब कुछ जाना आपको किसी प्रकार की कोई समस्या होती है या समझ नहीं आता है तब आप हमें कमेंट( comment )कर सकते हैं हम आपके कमेंट का रिप्लाई तुरंत देंगे और आपकी समस्याओं का समाधान तत्काल करेंगे आपका दिन शुभ ।