क्या आपने कभी रात के सन्नाटे में कान के दर्द से कराहते हुए खुद को असहाय महसूस किया है? कान का दर्द न सिर्फ शारीरिक पीड़ा देता है, बल्कि मानसिक शांति भी छीन लेता है। लेकिन क्या हो अगर हम आपको बताएं कि प्राचीन मंत्रों की शक्ति से इस पीड़ा को चुटकियों में दूर किया जा सकता है? जी हां, हमारे ऋषि-मुनियों ने मंत्रों के जरिए न सिर्फ आत्मा को शुद्ध किया, बल्कि शरीर की व्याधियों को भी ठीक करने के रहस्य खोजे थे। इस आर्टिकल में हम आपको दो ऐसे प्राचीन मंत्रों से रूबरू कराएंगे, जो कान दर्द को जड़ से मिटा देगा।


कान दर्द की समस्या को दूर करने का मंत्र

कान दर्द ऐसा पीड़ा होता है जिसे बताना कठिन है जब कान में दर्द उठता है तब एक अलग तरह का दर्द महसूस होता है जो हमारा पूरा ध्यान अपनी और खींच लेता जब तक कान दर्द दूर न हो जाए इसीलिए हमने ऐसे  2 प्राचीन मंत्र लाए है जिसे आप अपने कण दर्द की समस्या से निजात पा सकते है मंत्र है

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 मंत्र है:

ॐ कनक प्रहार। धंधर द्वारा प्रवेश कर डाल डारापात झार झारा मार मार, हुंकार, हुंकार। शब्द सांचा, पिण्ड कांचा। ॐ क्री क्रीं।


विधि :

इस मंत्र को पहले किसी शुभ दिन दस माला जप करके सिद्ध कर लें। फिर प्रयोग करते समय सांप की बांबी की मिट्टी को इक्कीस बार अभि मन्त्रित कर पुन: सात बार मंत्र जप करके रोगी व्यक्ति के कान से वह मिट्टी लगाने से दर्द मिट जाता है।

मंत्र है:

आसमीन नगोट वन्ही कर्ण पीड़ न जायते, दोहाई महावीर की जो रहे कान की पीर अंजनी पुत्र कुमारी वायुपुत्र महाबल को मारी ब्रह्मचारी हनुमंतई नमो नमो दोहाई महावीर की जो रहे पीर मुण्ड को।

विधि: 

इस मंत्र को सात बार बोलकर कान दर्द से पीड़ित रोगी के कान व माथे पर फूँक मारने से दर्द मिट जाता है।