क्रोध एक स्वाभाविक मानवीय भावना है, लेकिन इसे नियंत्रित न करने पर यह हमारे जीवन में विनाश का कारण बन सकता है। शास्त्रों में कहा गया है कि क्रोध अहंकार के आहत होने, असंतुष्ट इच्छाओं और त्रिगुणों के असंतुलन से उत्पन्न होता है। भगवद्गीता (अध्याय 2, श्लोक 62-63) में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि कामना से क्रोध जन्म लेता है,
और क्रोध से बुद्धि का नाश होता है, जिसके परिणामस्वरूप व्यक्ति मानसिक रूप से परेशान होकर डिप्रेशन की ओर बढ़ सकता है। आयुर्वेद के अनुसार, शरीर में "पित्त" दोष का बढ़ना और "रजोगुण" का प्रभुत्व भी क्रोध को भड़काता है। इस लेख में हम क्रोध को शांत करने के लिए वैदिक पुस्तको में वर्णित चार शक्तिशाली मंत्रों के बारे में जानेंगे, जो न केवल आपके क्रोध को नियंत्रित करेंगे, बल्कि जीवन में शांति और सुख भी लाएंगे।
क्रोध शांत करने का मंत्र । क्रोध का कारण और उसका प्रभाव
जब हमारी अपेक्षाएँ पूरी नहीं होतीं या कोई हमें अपमानित करता है, तो क्रोध पैदा होता है। यह "काम" (इच्छा) से जुड़ा है, जो अनियंत्रित होने पर हमें दूसरों की नजरों में गिरा देता है। क्रोध न केवल हमारे रिश्तों को प्रभावित करता है, बल्कि हमारी मानसिक शांति को भी भंग करता है
शास्त्रों में इसे नियंत्रित करने की सलाह दी गई है, क्योंकि यह हमारे और दूसरों के लिए दुख का कारण बन सकता है। कुछ लोग क्रोध पर विजय पाने में असमर्थ होते हैं, इसलिए वे मंत्रों का सहारा लेते हैं। इसीलिए यह 4 प्राचीन क्रोध को शांत करने में सहायता करेंगे और आपका क्रोध इस मंत्र से कुछ ही क्षणों में क्रोध दूर हो जाएगा. हर मंत्र के जाप और नियम अलग अलग है और मंत्र में जो नियम बताए गए है तो आप उसी प्रकार मंत्र का जाप करे ।।
मंत्र 1: ॐ नमः शांते प्रशांते मंत्र
मंत्र: "ॐ नमः शांते प्रशांते ॐ हीं हां सर्व क्रोध प्रशमनी स्वाहा"
यदि आपको अत्यधिक क्रोध की समस्या है, तो यह मंत्र आपके लिए वरदान साबित हो सकता है। सुबह नहा-धोकर इस मंत्र का 31 बार जाप करें। इसके साथ ही शाम को पीपल की जड़ में मीठा जल चढ़ाकर धूप-दीप जलाएं। यह उपाय न केवल आपके क्रोध को शांत करेगा, बल्कि घर में सुख-शांति भी बनाए रखेगा। यह मंत्र सरल और प्रभावी है, जिसे नियमित रूप से करने से मानसिक संतुलन प्राप्त होता है।
मंत्र 2: भूल भूल की तोलाभू मंत्र
मंत्र: "भूल भूल की तोलाभू की। उठमेल की पाताला कूंडे लाग। मेल की समा जुड़े। मेल की चले आगि। आगि जारि सलाम करि। मेल की लागे। तारे बेड़े। आजरे पांजरे लाग चुके मुके लागा। होक सिद्धि गुरु कृपा दुहाड़ी काटर कामिक्षा रमा। हाडिर सिर आज्ञा, चंडिरूपा।"
यह मंत्र उन स्थितियों के लिए उपयोगी है जब कोई व्यक्ति बहुत अधिक गुस्से में हो। इस मंत्र का उच्चारण करते हुए उस व्यक्ति पर तान फूंक मारने से उसका क्रोध तुरंत शांत हो जाता है। यह एक तांत्रिक मंत्र है, जो प्राचीन काल से क्रोध को नियंत्रित करने के लिए प्रयोग किया जाता रहा है। इसका प्रभाव तीव्र होता है और यह आपातकालीन परिस्थितियों में बेहद कारगर सिद्ध होता है।
मंत्र 3: हथेली तो हनुमंत बसे मंत्र
मंत्र: "हथेली तो हनुमंत बसे भैरू बसे कपाल, नाहरसिंह की मोहनी मोहा सब “संसार, माहन रे मोहंता बीर सब बीरन में, तेरा सीर सब दृष्टि बांधि दे झोहि तेल सिंदूर चढ़ाऊं तोहि तेल सिंदूर कहाँ से आया कैलाश पर्वत से आया कौन लाया अंजनी का हनुमंत, गौरी का गणेश, कारा गोरा तोतला तीनों बसें कपाल, बिंदा तेल सिंदूर का दुश्मन गश पाताल, दुहाई कामियाँ सिन्दूर की हमें देखि शीतल हो जाए, मेरी भक्ति गुरु की शक्ति फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा सतनाम आदेश गुरु का।"
यह मंत्र विशेष रूप से तब उपयोगी है जब कोई बड़ा अधिकारी या प्रभावशाली व्यक्ति आपसे क्रोधित हो। रविवार को भगवान नृसिंह का विधिवत पूजन करें और इस मंत्र का 121 बार जाप करें। जाप के दौरान तेल का दीपक जलाएं और लोबान से वातावरण को सुगंधित रखें। सात रविवार तक यह क्रिया करने से मंत्र सिद्ध हो जाता है। सिद्ध मंत्र के साथ सिन्दूर का तिलक लगाकर उस व्यक्ति के सामने जाएँ, तो उसका क्रोध शांत हो जाएगा और वह प्रसन्नता से आपसे व्यवहार करेगा।
मंत्र 4: ॐ नमो आदेश गुरु का शांति मंत्र
मंत्र: "ॐ नमो आदेश गुरू का धरती में बेठया लोहे का पिंडराख लगाता गुरु गोरखनाथ आवलन्ता जावन्ता धावन्ता हांक देत धार धार मार मार शब्द सांचा फुरो वाचा। "
यह मंत्र उपद्रव और कलह को शांत करने के लिए अत्यंत प्रभावशाली है। यदि आपके घर में अशांति, भय या अप्रिय घटनाएँ हो रही हों, तो मृग चर्म पर बैठकर इस मंत्र से खीर की 108 आहुतियाँ दें। यह उपाय न केवल क्रोध को शांत करता है, बल्कि घर के वातावरण को भी सकारात्मक बनाता है। यह मंत्र गुरु गोरखनाथ की कृपा से सिद्ध होता है और इसका प्रभाव लंबे समय तक रहता है।
निष्कर्ष: क्रोध पर विजय पाए
क्रोध को शांत करना न केवल आपके मानसिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी है, बल्कि यह आपके सामाजिक जीवन को भी बेहतर बनाता है। ये चार प्राचीन मंत्र - "ॐ नमः शांते प्रशांते", "भूल भूल की तोलाभू", "हथेली तो हनुमंत बसे", और "ॐ नमो आदेश गुरु का" - आपके क्रोध को पूरी तरह नियंत्रित करने में सक्षम हैं। इन मंत्रों का नियमित जाप और सही विधि से प्रयोग आपके जीवन में शांति और संतुलन लाएगा। तो आज ही इन मंत्रों को अपनाएँ और क्रोध से मुक्ति पाएँ।