योग संस्कृत शब्द से आया हुआ । जो हिंदू धर्म ग्रंथो से मिलता है मनुष्य अपने जीवन को जीते हुए हिंदू धर्म ग्रंथो में बताए गए नियमों पर चलते हुवे परमात्मा की प्राप्ति करना उनसे मिलन कर लेना योग कहा जाता है ।


योग के जनक है

योग शब्द हिंदू धर्म ग्रंथो से प्राप्त होता है जिसमें योग के विषय में जानकारी शिव संहित, भगवत गीता, पुराण, विष्णु पुराण ,ब्रह्म सूत्र, जैसे आनेको ग्रंथो से योग के बारे में जानकारी मिलती है।


योग की जानकारी :   योग के विषय में जानकारी हिंदू धर्म ग्रंथो से मिलता है जिसमें योग के विभिन्न प्रकार देखने को मिलते हैं और योग शब्द हिंदू धर्म से प्राप्त होता है इसीलिए योग के विषय पूरी जानकारी वही से प्राप्त किया जा सकता है।


योग की पुस्तके :   


1. शिव संहिता, 

2. विज्ञान भैरव,

3. ब्रह्मसूत्र,

4. अष्टांग योग, 

5. योगसूत्र, 

6. भगवत गीता, 

7. पुराण, 


पुस्तको को लेखक:।   

  

1. शिव सहित :      भगवान शिव शंकर द्वारा, 

2. भगवत गीता :।  भगवान कृष्ण ,

3. अष्टांग योगा :।   महर्षि पतंजलि, 

4. ब्रह्मसूत्र :।        महर्षि वेदव्यास,

5. हठयोग:।         भगवान शिव,।  आदि किताबे है।


योग के जनक कौन है, yog ke janak kaun hai,yog ke pita kaun hai,योग के संथापक कौन है,योग के संस्थापक,


योग के विषय में : 


योग हिंदू धर्म ग्रंथ से  प्राप्त होता है और योग की जानकारी  श्रीमद् भागवत गीता ,शिव संहित जैसे महान ग्रंथि से प्राप्त होता है जिससे यह तय किया जा सकता है कि भगवान श्री कृष्णा, और भगवान शिव, इनका ना जन्म होता है ना मृत्यु और योग शब्द इन्हीं के मुख से निकला हुआ है अर्थात योग के विषय में सर्वप्रथम भगवान ने ज्ञान दिया है इससे यह तय किया जा सकता है कि योग के जनक भगवान श्री कृष्णा और शंकर जी हैं और पतंजलि एक ऋषि मुनि है जबकि वे भगवान के बालक है इसलिए उनको योग का जनक नहीं माना जा सकता।।


योग के जनक :     योग के जनक भगवान शिव, भगवान कृष्ण, विष्णु जी, है आपने प्रमाण के साथ देखा, 


निष्कर्ष: 

योग के जनक उसी को माना जाएगा जिसने सर्व प्रथम योग के विषय में ज्ञान दिया है भगवान शिव एक खुद महायोगी है और भगवान शिव के बारे में किसी को नहीं पता है कि उनका जन्म कब हुआ है और उनकी मृत्यु कब होगी यह अनादि और अजन्मे माने जाते हैं तो इससे यह पता लगाया जा सकता है कि भगवान शिव ही योग के जनक हैं और योग के विषय में भगवान श्री कृष्णा भी सभी प्रकार के ज्ञान देते हैं जिसमें कर्म योग, भक्ति योग ,ज्ञान योग, जैसे अन्य को प्रकार के योग का वर्णन किया है इससे यह तय किया जा सकता है कि भगवान श्री कृष्णा भी योग के प्रवर्तक हैं ।।