1.एक शुद्ध स्वच्छ स्थान का चयन करें :
परमात्मा का ध्यान लगाने के लिए आपको सर्वप्रथम किसी स्वच्छ शुद्ध स्थान का चयन करना बेहद ही जरूरी है इसलिए आप अपने पूजा वाले घर में या किसी गुफा, जंगल, मंदिर में जाकर ध्यान लगाने के लिए बैठे क्योंकि परमात्मा का ध्यान लगाने के लिए उनसे संपर्क करने के लिए आप जहां ध्यान लगा रहे हैं वह स्थान शुद्ध पवित्र होना चाहिए इसका विशेष ध्यान आपको देना है तभी आप परमात्मा का ध्यान लगा सकते हैं ।
2.शरीर को शुद्ध करे :
परमात्मा का ध्यान लगाने के लिए अब आप अपने शरीर को नहा धोकर अच्छे से सफाई कर ले जिससे आपका शरीर शुद्ध स्वच्छ हो जाएगा जिससे आपके शरीर के दुर्गंध मल की अच्छी से सफाई हो पाए क्योंकि परमात्मा ध्यान लगाने के लिए स्थान और शरीर का स्वच्छ शुद्ध होना जरूरी होता है तभी आप परमात्मा का ध्यान लगा सकते हैं क्योंकि परमात्मा देवी देवता उन्हीं स्थानों पर आना पसंद करते हैं जहां पर स्वच्छता का स्थान होता है।
भगवान श्री कृष्ण कहते हैं अर्जुन को ध्यान लगाने के लिए कहते है ध्यान का मुख्य उद्देश्य होता है परमात्मा प्राप्ति इसलिए साधक को चाहिए कि वह जिस स्थान पर ध्यान लगा रहा है वह स्थान शुद्ध हो और उसका शरीर भी स्वच्छ हो तभी ध्यान का मुख्य उद्देश्य प्राप्त होगा।
3.आसन लगाए :
परमात्मा का ध्यान लगाने के लिए आसन में बैठे अपने कमर रीड की हड्डी गर्दन सिर को सीधा करे। पद्मासन या सुख आसन के मुद्रा में शांत निर्मल करते हुए शरीर को आसन में बैठे। परमात्मा का ध्यान लगाने के लिए आपको आसन में बैठना पड़ता है तभी आप परमात्मा का ध्यान लगा सकते हैं क्योंकि ध्यान लगाने के लिए आसन एक उपयुक्त तरीका होता है जिसके द्वारा आसानी से कोई भी व्यक्ति परमात्मा का ध्यान लगा सकता है बाकी अन्य तरीकों से ध्यान लगाना कठिन पड़ता है इसलिए ध्यान लगाने के लिए आसन का तरीका बनाया गया है जिसके द्वारा कोई भी व्यक्ति इस आसन से ध्यान लगा सकता है।
4.शरीर को स्थिर करे :
परमात्मा का ध्यान लगाने के लिए आपका शरीर मन बुद्धि इंद्रियां सब आपके कंट्रोल में होनी चाहिए अन्यथा इन पर कंट्रोल न होने के कारण आप परमात्मा में ध्यान नहीं लगा सकते है क्योंकि जब परमात्मा में अपना उनमें मन स्थापित करने का प्रयास करेंगे तो मन आपको दूसरे कामों में लगा देगा अनेकों प्रकार के कल्पनाएं दिखने लगेगा आपको आसन से बार-बार उठाकर दूसरे कामों में लगा देगा और बेवजह ही काम आपको याद आयेंगे इससे आपका परमात्मा में ध्यान लगाने में समस्या उत्पन्न कर देगा और मन आपका परमात्मा में लगेगा ही नहीं इसलिए जब आप आसन में बैठ जाएं तब आपको 2 घंटे तक लगातार आसन में बिना हिले डोले आंखें बिना पलकें लगातार बैठे रहना है इससे आपका शरीर मन बुद्धि इंद्रियां सब आपके कंट्रोल में आ जाएंगे इन सबके कंट्रोल में आ जाने के बाद शरीर आसन से उठेगा नहीं मन आपको आसन से उठने के लिए विचार नहीं उत्पन्न करेगा और आपका मन कहेगा कि तुम जितना चाहो उतना घंटा दिनों तक आसन में बैठे रह सकते हो ऐसे विचार जब आपके मन में उठने लगे तब आपका शरीर मन बुद्धि आपके कंट्रोल में आ चुका है और इन सबको कंट्रोल में आने में आपको कम से कम 2 घंटे लगेंगे उसके बाद आप क्या करेंगे आगे।
5.परमात्मा में चित्त को एकाग्रचित्त करे :
परमात्मा का ध्यान लगाने के लिए अब आप अपने चित्त मन को परमात्मा के स्वरूप उनके रूप आकार को अपने मन में सोचे विचारे उन पर अपने चित्त को एकाग्रचित करें और अन्य किसी भी प्रकार के विचारों पर अपने मन को न लगाए केवल परमात्मा में ही अपने चित्त को स्थापित एकाग्रचित करके रखें ऐसा लगातार करते रहना है अपने मन को परमात्मा में लगाए रखना है आप पहले ही अपने शरीर मन बुद्धि इंद्रियों को कंट्रोल में कर चुके हैं जिसके कारण आपको परमात्मा से ध्यान से मन शरीर भटका येंगे नहीं और आपका वे साथ देंगे जिससे आपका ध्यान परमात्मा से भटकेगी नहीं और आप आसानी से ध्यान उनमें लगा सकेंगे और जब आपका मन वहां से भागेगा नहीं और परमात्मा में मन स्थिर हो जाएगा चित्त उनमें ली हो जाएगा तब आपको परमात्मा का दर्शन होगा इसके बाद आपको अनेकों प्रकार की शक्तियां शक्तियां भी मिल सकती हैं और आप मोक्ष को प्राप्त कर सकेंगे ।
निष्कर्ष
परमात्मा का ध्यान लगाने का यह तरीका भागवत गीता से लिया गया है जिसमें भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को बताया कि कैसे कोई भी व्यक्ति परमात्मा का ध्यान लगा सकेगा यह तरीका भगवान श्री कृष्ण के द्वारा बताया गया है और अष्टांग योग इन दोनों तरीकों के समावेश के द्वारा हमने आपको परमात्मा का ध्यान लगाना सिखाया है इसके द्वारा आप आसानी से परमात्मा का ध्यान लगाकर परमात्मा से संपर्क कर सकते हैं और अपने जीवात्मा को परमात्मा से मिला सकते हैं यह क्रिया अष्टांग योग में भी वर्णित है आप चाहे तो अष्टांग योग के द्वारा भी परमात्मा का ध्यान लगा सकते हैं लेकिन हमने आपको अष्टांग योग और भागवत गीता इन दोनों के तरीकों से हमने आपको परमात्मा का ध्यान लगाना बताया है।