ध्यान एक ऐसा विषय है जिस वस्तु जिस काम में अगर मन एकाग्र हो जाए उसमें ध्यान लग जाए तो ऐसा कोई भी कार्य नहीं है जिसको किया ना जा सके हर एक काम को एकाग्रता के द्वारा किया जा सकता है और योग में ध्यान का बेहद ही बड़ा योगदान रहा है किसी भी कार्य में ध्यान का लगाना जरूरी होता है चाहे कोई बिजनेस हो या पढ़ाई में ध्यान लगाना हो या किसी वस्तु में या परमात्मा में हर एक जगह ध्यान लगाने की बात आती है ध्यान में इतनी शक्ति है कि उसके द्वारा कुछ भी किया जा सकता है किसी भी प्रकार की शक्ति को प्राप्त किया जा सकता है चाहे धन पाना हो चाहे परमात्मा को पाना हो हर एक चीज को ध्यान के द्वारा पाया जा सकता है
जिस काम में ध्यान नहीं लगता उस काम को करना एक तरह से असंभव के समान है और जिस काम में ध्यान लग जाए उस काम मैं मन लग जाए तो वह कार्य किसी भी हालत में हो ही जाता है और उसमें सफलता मिल ही जाती है तो आज आप जानेंगे कि कैसे अपने मन को परमात्मा में लगाना है वह कौन सा तरीका है जिसके द्वारा परमात्मा में ध्यान लगाया जा सकता है आज आप यही आर्टिकल में जानेंगे कि कैसे परमात्मा में ध्यान लगाया जा सकता है ध्यान क्या होता है ध्यान लगाने से क्या-क्या व्यक्ति को लाभ प्राप्त होते हैं यह सब आप आगे जानेंगे यह तरीका हिंदू धर्म ग्रंथ से लिया गया है और हमारे जो अनुभव रहे हैं उसके आधार पर यह तरीका आपके साथ हम शेयर कर रहे हैं चलिए जानते हैं।
ध्यान क्या है -what is meditation
ध्यान मन की वह अवस्था है जिसमें ध्यान लगने पर मन वहां से भटकता नहीं है मन का उस काम में एकाग्र हो जाना यही ध्यान कहलाता है मन का किसी एक वस्तु में ध्यान केंद्रित होना ही ध्यान कहलाता है जिस व्यक्ति ने अपने मन को किसी एक काम या किसी वस्तु में ध्यान को एकाग्र कर लेता है तब उसे ध्यान की उच्च अवस्था प्राप्त होती है
ध्यान का अर्थ
ध्यान का अर्थ होता है किसी वस्तु या काम में या परमात्मा में उसका मन उस काम बारे में सोचना विचारना उसके अलावा किसी अन्य वस्तु में विचार का ना देखना केवल उसी वस्तु के बारे में सोचना ध्यान कहलाता है
मन का किसी एक काम में एकाग्रचित होना अन्य किसी वस्तु में मन का नाम भटकना केवल एक वस्तु के बारे में सोचना उसी में मन का एकाग्र लंबे समय तक रहना ध्यान कहलाता है
किसी बच्चे का पढ़ाई करते समय पढ़ाई में मन लग जाना पढ़ाई से मन का न भटकना केवल पढ़ाई में मन लगे रहना पढ़ाई के विषय में सोच विचार करते रहना बाकी अन्य कार्य को भूल जाना केवल पढ़ाई में एकाग्रचित होना यही ध्यान है
ध्यान लगाने के लाभ -benefits of meditation
ध्यान के इतने सारे लाभ हैं इसके बारे में बताना बहुत मुश्किल है क्योंकि जो व्यक्ति जिस काम में ध्यान लगा लेता है तब उसे उस काम में उसे सफलता मिलती है और उसे सफलता में उसको लाभ प्राप्त होता है चाहे व्यक्ति जिस काम में ध्यान को लगाए एक समय बाद उसे काम में सफलता मिल ही जाती है कोई व्यक्ति जब योग के माध्यम से ध्यान लगता है तब उसे अनेक प्रकार की सिद्धियां शक्तियां मिलती हैं जैसे कोई व्यक्ति आकाश और वायु के संबंध में ध्यान समाधि लगता है तो उसे आकाश में उड़ने की शक्ति मिलती है इससे यह आप पता लगाया जा सकता है कि ध्यान में कितनी ताकत शक्ति है आप आगे जानेंगे कि ध्यान लगाने के कितने सारे लाभ हैं
1.उच्च ज्ञान की प्राप्ति ;
साधक जब ध्यान में सफलता प्राप्त कर लेता है तब उसे उच्च ज्ञान की प्राप्ति होती है उस ज्ञान के आगे किसी भी ज्ञान की कोई आवश्यकता नहीं पड़ती है क्योंकि वह जिस वस्तु के बारे में सोचता है उसके बारे में उसको अपने आप ही पता चल जाता है जैसे किसी वस्तु के बारे में हमें जानना हो तो उसके बारे में हमें किसी के द्वारा हमें पता करना होता है लेकिन जिसे उच्च ज्ञान की प्राप्ति हो चुकी होती है वह केवल पदार्थ को देखेगा और उसे उसका ज्ञान स्वतः पूरा हो जाता है यह उच्च ज्ञान की प्राप्ति है।
2.आत्म ज्ञान का मिलना :
योग में ध्यान के द्वारा ही आत्मज्ञान को प्राप्त किया जा सकता है जब साधक यम ,नियम, आसन, प्राणायाम प्रत्याहार, धारणा ,ध्यान ,समाधि, में लीन हो जाता है तब उसे आत्मज्ञान की प्राप्ति होती है इस ज्ञान के मिलने से व्यक्ति को किसी अन्य ज्ञान की आवश्यकता नहीं पड़ती है उसे पूरे ब्रह्मांड का ज्ञान प्राप्त हो जाता है आत्मज्ञान का अर्थ होता है अपने भीतर आत्मा और जीवात्मा का ज्ञान होना इस पूरे ब्रह्मांड में जो प्रकृति फैली हुई है उसका ज्ञान होना परमात्मा का ज्ञान होना ही आत्मज्ञान कहलाता है
3. मोक्ष मिलना:
ध्यान के द्वारा ही व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है जब व्यक्ति धारणा ध्यान को पार करते हुए समाधि में लीन हो जाता है तब उसे परमात्मा का दर्शन होता है और उसे अपने जीवात्मा में प्रकाशित परमात्मा दिखाई देते हैं वह उनका दर्शन पाकर उनसे योग करके उनमें ली हो जाता है ऐसा करने पर उसे मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है
4. सांसारिक सुखों से निवृत्ति:
जब साधक ध्यान में सिद्ध कर लेता है तब उसे संसार के किसी भी प्रकार के दुख उसे छू नहीं पाते हैं वह दुखों से ऊपर उठ चुका होता है क्योंकि दुख व्यक्ति को क्यों हो रहे हैं इसका ज्ञान उसे हो जाता है और उस ज्ञान के कारण उसे दुख कभी भी छू नहीं पता।
5. आनंद की अनुभूति:
कोई भी व्यक्ति जब ध्यान करता है और उसमें सिद्धियां प्राप्त करने लगता है तब उसे छोटे से लेकर ध्यान के दौरान आनंद मिलने शुरू हो जाते हैं जब वह समाधि में चला जाता है तब उसे सबसे बड़ा आनंद मिलता है उस आनंद के अलावा इस संसार में किसी अन्य वस्तु में वह आनंद नहीं मिल पाता जो आनंद ज्ञान के द्वारा समाधि में साधक को प्राप्त होता है यह आनंद परमानंद के नाम से भी जाना जाता है
6. शक्तियों का मिलना:
जब कोई साधक किसी वस्तु में धारणा ध्यान और समाधि में संयम करके उसमें ध्यान लगाता है तब उसे उसमें उसको सिद्धियां यथार्थ शक्तियां मिलने लगती है जैसे किसी हाथी में धारणा ध्यान समाधि लगाने से उसे उसके शरीर में हाथी जैसा बल प्राप्त होता है ऐसे ही वह जिस वस्तु में धारणा ध्यान करता है उसे वैसा शक्ति मिलती है यह अष्टांग योग में वर्णित है।
7. अष्ठ सिद्ध का मिलना:
ध्यान में जब व्यक्ति अपने आप को ज्ञान के द्वारा समाधि में ले जाता है और परमात्मा का साक्षात्कार कर लेता है तब उसे अष्ट सिद्धि की प्राप्ति होती है अष्ट सिद्धि में हवा में उड़ना अपने शरीर को छोटा कर लेना गायब हो जाना जैसे अष्ट सिद्धियां उसे प्राप्त होती है
8. शांति का मिलना
ध्यान का मुख्य उद्देश्य शांति मिलने का ही होता है जब कोई व्यक्ति ध्यान में सफलता प्राप्त कर लेता है तब उसे उसके जीवन में शांति आनंद की प्राप्ति होती है और उसे आनंद के आगे अन्य किसी भी सांसारिक सुख तुच्छ लगने लगता है और वह उस आनंद को हमेशा के लिए चाहता है
dhyan lagane ka tarika-परमात्मा का ध्यान लगाने का अचूक तरीका-
1.ज्ञान अर्जित करे:
ध्यान लगाने के लिए सबसे पहले आपको ध्यान कैसे लगाना है इसका संपूर्ण ज्ञान आपको पता होना चाहिए तभी आप ध्यान में सफलता प्राप्त कर सकते हैं जैसे आपको कहीं पर जाना है तो आपको पहले वहां पर जाने के लिए उसका रास्ता आपको पता होना चाहिए तभी आप वहां पर जा पाएंगे अन्यथा आप मार्ग से भटक जाएंगे और अपने मंजिल पर नहीं पहुंच पाएंगे इसलिए आप इस आर्टिकल को अच्छे से समझ कर पढ़े उसके बाद ध्यान लगाने का प्रयास करें।
2.शरीर को स्वच्छ करे:
ध्यान लगाने के लिए परमात्मा से संपर्क करने के लिए शरीर का स्वच्छ होना अनिवार्य है बिना शरीर स्वच्छ हुए आप परमात्मा में ध्यान नहीं लगा पाएंगे उनसे संपर्क नहीं कर पाएंगे यह भगवत गीता में भगवान ने स्वयं अपने मुख से बताया है साधक को चाहिए कि वह अपने शरीर को स्वच्छ निर्मल रखें तभी वह अपने भीतर परमात्मा का साक्षात्कार कर सकता है।
3. स्वच्छ स्थान का चयन करे:
शरीर स्वच्छ होने के बाद जहां पर ध्यान लगाया जाता हो वह स्थान भी शुद्ध पवित्र स्वच्छ होना चाहिए तभी ध्यान में सफलता प्राप्त किया जा सकता है इसलिए आप जहां पर ध्यान लगा रहे हैं वह स्थान को अच्छे से साफ सुथरा कर ले तब जाकर वहां पर आप ध्यान लगाने का प्रयास करें।
4. दृढ़ संकल्प करें:
अब ध्यान लगाने के लिए दृढ़ संकल्प करें क्योंकि जब आप ध्यान लगाने के लिए बैठेंगे तब आपका मन आपको ध्यान से किसी अन्य काम में भगाएगा और ध्यान आपको हटा देगा इसलिए आप जरूर संकल्प करें कि मैं आज ध्यान में सफलता प्राप्त करके ही दम लूंगा और मैं ध्यान के दौरान ध्यान से नहीं उठूंगा जब तक कि मैं ध्यान में सफलता नहीं प्राप्त कर लेता।
5. आसन लगाए :
ध्यान लगाने के लिए अब आप अपने गर्दन और रीड की हड्डी को सीधा रखते हुए आसन में बैठे आप आसन सुख आसन पद्म आसन इनमें से कोई भी आसन आप लगा सकते हैं ध्यान रहे आसन आप वही लगाए जिसमें आप तीन घंटे तक बिना किसी समस्या हिले डोले लगातार बिना आंख झपकाए हाथ पैर उंगली हिलाई बैठे रह सके अन्यथा आपका ध्यान भंग हो जाएगा और आप ध्यान में सफलता नहीं प्राप्त कर सकते है आसन में व्यक्ति को आसन को सिद्ध करना होता है जब कोई व्यक्ति आसन को सिद्ध कर लेता है तभी वह ध्यान लगाने के काबिल बन पाता है जब तक आसन सिद्ध नहीं हो पाएगा तब तक कोई भी व्यक्ति ध्यान नहीं लगा सकेगा इसका आप विशेष ध्यान रखें।
1.आसन सिद्ध कैसे होगा :
आसन सिद्ध करने के लिए आपको आसन में लगातार 3 घंटे तक बिना हिले डोले बैठे रहना है इसके दौरान आपका मन आसन से उठाने का पूरा प्रयास करेगा लेकिन आपको दृढ़ संकल्प के साथ डटे रहना है और जब तक की आसन आपका सिद्ध नहीं हो जाता तब तक आपको आसान से उठाना नहीं है ऐसा करने पर आपका आसन सिद्ध हो जाता है जब आपका आसन सिद्ध होने वाला होता है तब आपकी स्वास की रफ्तार बढ़ने लगता है दम घुटने लगता है आपके शरीर का रोवा ऊपर उठने लगता है आप मछली की भांति तड़पने लगते हैं जब ऐसी स्थिति आती है तब व्यक्ति का आसन सिद्ध होने वाला होता है ऐसा होने पर कुछ ही समय में आसन सिद्ध हो जाता है
आसन सिद्ध करने में आपको बहुत समस्याओं का सामना भी करना पड़ेगा आपके कमर के नीचे का पार्ट सुन हो जाएगा उसमें बहुत पीड़ा दर्द को आपको सहना पड़ेगा लेकिन इसके लिए आपको कोई हफ्तों तक इसका बार-बार अभ्यास करना होगा तब जाकर आसन सिद्ध हो पाएगा और आप उसमें आसन में लंबे समय तक बैठ पाएंगे
2.आसन सिद्ध होने के लक्षण
आसन सिद्ध होने पर व्यक्ति पूरी तरह शांत एक पुतले की भांति स्थिर हो जाता है उसके शरीर में किसी भी प्रकार का पीड़ा नहीं रहता उसे ध्यान में आनंद मिलने लगता है और बाहर से संपर्क टूट जाता है बाहर की ध्वनियां उसे सुनाई नहीं देती है केवल उसे अपने शरीर के अंदर धड़कन नसों में बहती हुई रक्त की आवाजे सुनाई देने लगती है और मन जीवात्म का आज्ञा मांगने लगता है कि मुझे आज्ञा दीजिए मुझे क्या करना है वह दिमाग में विचार देना बंद कर देता है वह विचार देने से पहले आप आज्ञा मांगता है कि मैं कैसा विचार आपको दूं ऐसा लक्षण आपको दिखे तब समझ जाइए कि आपका आसान सिद्ध हो चुका है
6.शरीर को वश में करे:
आसन में सिद्धि प्राप्त होने पर आपका शरीर भी वश में हो जाता है लेकिन आसन के दौरान कुछ गलतियां करने पर निम्नलिखित समस्या आपको देखने को मिलती है अगर आप आसन के दौरान आसान से उठ जाते हैं यह आंखें खोल देते हैं तब आपका ध्यान भंग हो जाता है इसके बाद आपको फिर से ध्यान लगाने के लिए 3 घंटे तक आसन लगाना पड़ता है और जब भी आपका ध्यान टूटेगा तब आपको फिर से आसन लगाना पड़ेगा और फिर 3 घंटे आपको लगेगा इसलिए आप एक बार आसन में बैठ जाए तो आप किसी भी प्रकार का त्रुटि न करें इसलिए 3 घंटे तक एक स्थित पुतले की भांति बैठे रहे अन्यथा आपको जहां से आसन शुरू किया था फिर वहीं पर आप आ जाएंगे इसी कारण ध्यान योग इतना कठिन माना जाता है इसमें त्रुटि करने पर आपको ध्यान फिर से लगाना पड़ता है जितना आपने परेशान किया रहता है उतना परिश्रम फिर आपको दोबारा लगाना पड़ता है ऐसे ही ध्यान में त्रुटि होने पर आपको बार-बार ऐसा करना पड़ता है इसीलिए इसका आप विशेष ध्यान रखें।
जब आपका शरीर आपके वश में हो जाएगा तब आपको आसन में बैठने में किसी भी प्रकार की समस्या नहीं होगी शरीर पूरी तरह शांत स्थिर हो जाएगा आपके शरीर के भीतर की आवाजे सुनाई देने लगेंगे बाहर से संपर्क टूट जाएगा और आपकी सांस पूरी तरह धीमी ना के बराबर चलती हुई दिखाई देगी तब आपका शरीर मन बुद्धि और आसन सिद्ध हो चुका होगा अब उसके आगे।
7. मन को परमात्मा में केंद्रित कर :
अपने आसन को सिद्ध कर चुके हैं शरीर और इंद्रियों को भी वश में कर चुके हैं अब आपको अपने मन को वश में करना होगा उसके लिए आप अपने मन को किसी एक वस्तु यथार्थ अपने हृदय के भीतर परमात्मा का ध्यान करना होगा उनके में अपने मन को केंद्रित करना होगा आपका हृदय कमल में भगवान निराकार रूप में विराजमान होते हैं तब आपको अपने मन ही मन ओम शब्द का उच्चारण उसी के बारे में सोच विचार करते रहना होगा अन्य किसी वस्तु पर अपने मन को नहीं लेकर जाना है केवल ओम शब्द परमात्मा के विषय में सोचना है उन्हीं के बारे में केवल सोचते रहना है
8. मन को परमात्मा में बार बार लगाए:
ध्यान के दौरान परमात्मा से मन बार-बार भागेगा तब आपको परमात्मा में अपने मन को बार-बार लगाना होगा ऐसा करने पर एक ऐसी स्थिति आएगी जब आपका मन वहां से भागेगा नहीं और उस परमात्मा में ध्यान अपने आप ही लग जाएगा और आपको ध्यान में सफलता प्राप्त हो जाएगी।
जब आसन सिद्ध हो जाता है तब उसकी शरीर इंद्रियां मन बुद्धि सब उसके नियंत्रण में आ जाता है अब उसे धारणा ध्यान और समाधि करना होता है और व्यक्ति को समाधि में परमात्मा का दर्शन होता है और उसे ध्यान का उद्देश्य मिल पाता है
आपका ध्यान अब परमात्मा में लग चुका है इसकी पुष्टि
इन सब नियमों का जब आप अच्छे से पालन करते हैं तब जाकर आपको परमात्मा में ध्यान लग पाता है परमात्मा में ध्यान लगने के बाद आपका मन किसी अन्य वस्तु पर भागता नहीं है और आपको अपने भीतर बैठे उस परमात्मा का दर्शन करता है और आपको अनेक प्रकार की सिद्धियां शक्तियां मिलने लगती है और आपको परम आनंद की अनुभूति प्राप्त होती है उसके बाद आपको किसी अन्य ज्ञान विज्ञान की आवश्यकता नहीं पड़ती है क्योंकि आपको ज्ञान विज्ञान का स्वत ही ज्ञान हो जाता है कि यह ब्रह्मांड कैसे बना है मैं क्या हूं मेरा अस्तित्व क्या है इन सब का ज्ञान उसे हो जाता है जब वह ध्यान से समाधि को प्राप्त कर लेता है तब उसे आत्मज्ञान की प्राप्ति हो जाती है
निष्कर्ष
आज आपने जाना की ध्यान क्या है और ध्यान के कितने लाभ होते हैं और ध्यान कैसे लगाया जाता है आप इसके बारे में संपूर्ण ज्ञान आपने पढ़ लिया है इसके दौरान आपको अभी भी किसी भी प्रकार की समस्या आती है तब आप हमें कमेंट में जरूर बताएं हम आपको इससे भी अच्छे शब्दों और सटीक तरीके से बताने का प्रयास करेंगे।
ध्यान क्या है?
ध्यान मन की वह अवस्था है जिसमें ध्यान लगने पर मन वहां से भटकता नहीं है मन का उस काम में एकाग्र हो जाना यही ध्यान कहलाता है मन का किसी एक वस्तु में ध्यान केंद्रित होना ही ध्यान कहलाता है
ध्यान लगाने का लाभ क्या होता है?
ध्यान लगाने के अनेक लाभ होते हैं काम में सफलता मिलती है मन एकाग्र होता है बुद्धि का विकास तेजी से होता है अध्यात्म मैं ध्यान लगाने से सिध्दियो का मिलना परमात्मा का साक्षात्कार से अष्ठ सिध्दी का मिलना जैसे लाभ प्राप्त होते हैं
परमात्मा का ध्यान कैसे लगाया जाता है?
परमात्मा का ध्यान के लिए शरीर को वस में करते हुवे व्यक्ति आसन में बैठे अपने कमर रीड की हड्डी को सीधा रखें और मन को परमात्मा में लगाना चाहिए तब परमात्मा में चित्त लग जाता है तब मन का एकाग्रचित हो पाता है तब व्यक्ति को ध्यान में सफलता मिलती है
ध्यान कितने मिनट का होता है?
ध्यान पूरा 180 मिनट का होता है जब कोई व्यक्ति 180 मिनट ध्यान करने में सफल हो जाता है तब उसे ध्यान में सिद्धि प्राप्त होती है उसमे सफलता मिलती है
ध्यान कितना समय तक करना चाहिए?
ध्यान में सफलता प्राप्त करने के लिए साधक को 3 घंटे तक ध्यान करना चाहिए इसके दौरान उसे किसी भी प्रकार की त्रुटि न होने पाए ऐसा प्रयास करना चाहिए