जब किसी के ऊपर किसी प्रकार की ऊपरी बाधा कर दिया जाता है या कोई भूत प्रेत व्यक्ति के ऊपर आ जाता है तब वह किसी डॉक्टर के पास जाकर इलाज करता है लेकिन वह बीमारी को डॉक्टर ठीक नहीं कर पता है कुछ देर ठीक होने के बाद फिर वैसा ही हो जाता है क्योंकि डॉक्टर केवल बीमारियों को ही ठीक कर सकता है किसी भूत प्रेत जैसी बाधा को दूर नहीं कर सकता भूत प्रेत एक शुष्म शक्तियां होती हैं जो किसी को दिखाई नहीं देती हैं और व्यक्ति के ऊपर हावी होने पर उसे बीमारी में डाल देती हैं जिसे ठीक कर पाना डॉक्टर के बस में नहीं होता है
उसे केवल कोई तांत्रिक या ओझा ही ठीक कर सकता है या किसी ने मंत्र सिद्ध किया हो तब उसे उस मंत्र द्वारा ठीक किया जा सकता है अन्यथा ऐसा कोई रास्ता नहीं है कि उसे ठीक कर सके या फिर कोई बड़ा भक्त हो तो उसके पास जाकर ठीक किया जा सकता है कुछ भूत प्रेत बाधाओं को मंत्र द्वारा ठीक किया जाता है आप जानेंगे कि किस मंत्र को सिद्ध कर लेने पर ऊपरी बाधा या किसी भी प्रकार का भूत प्रेत बाधा हो उसे ठीक किया जा सकता है नीचे मंत्र दिया जा रहा है उस मंत्र को आप विधि अनुसार पालन करते हुए सिद्ध करें तभी इसका फल आपको दिखेगा और आप दूसरे के शरीर के ऊपर से भूत प्रेत बाधाओं को दूर कर सकेंगे आगे।
1.ऊपरी बाधा-निवारण मंत्र।
तेली नीर तेल पसार चौरासी सहस्न डाकिनी हेल ऐत नेर भार मुंह तेल पढ़िया देई। अमु्कं कार अंग अमु्कं कार भर अड़ दल शूल यक्षा यक्षानी देत्या देत्यानी भूता भूती प्रेता प्रेती दावन दानवी निशाचरा सूचमुखा गाभर डलन बात भाइया नाड़ी मोगाई अंगेधा काल जटार माया खाउ हीं फट स्वाहा, सिद्ध गुरुर चरण राटेर कालिका चण्डीर आज्ञा।
दीपावली के दिन दस माला जप करके मन्त्र को सिद्ध कर लें। फिर जब भी आवश्यकता पड़े तो मन्त्र से सरसों का तेल सात बार अभिमन्त्रित करके रोगी के शरीर पर मालिश करने से ऊपरी बाधा का निवारण हो जाता हैं।
2.भूत- प्रेत बाधा निवारण मंत्र
हल्दी बाण-बाण को लिया हाथ उठाये हल्दी बाण से नील गिरी पहाड़ थरयि यह सब देख बोलत गोरखनाथ डाइनयोगिनी भूतप्रेत मुंड काटोतान।
अगर कोई व्यक्ति पिशाचादि बाधा से ग्रस्त हो, तो कच्ची हल्दी लेकर 21 बार रोगी के सिर से पांव तक फिराकर मंत्र के साथ अग्नि को समर्पित कर दें।
3.भूत-निवारण मंत्र
ॐ नमो नरसिंहाय हिरण्यकशिपु वक्ष विदारणाय त्रिभुवन व्यापकाय भूत पिशाच शाकिनी डाकिनी कीलनोन्मूलनाय स्यंवाद भव समस्त दोषान् हन हन सर सर, चल चल, कम्प-कम्प, मथ-मथ हूँ फट हुँ फट ठ: ठः महारुद्र जापियत स्वाहा।
ऊपर लिखे गए मंत्र की तरह इसे भी किसी शनिवार की रात्रि में 144 बार जपकर सिद्ध कर लें। इस मंत्र के अधिष्ठाता देवता भगवान नरसिंह जी का ध्यान करते हुए मंत्र पढ़कर मोरपंख से रोगी का शरीर झड़ें। प्रेतबाधा दूर हो जायेगी।
4.भूत-नाशक मंत्र
ॐ नमो आदेस गुरु को हनुमन्त वीर बजरंगी बच्रधार डाकिनी शाकिनी, भूतप्रेत, जिन्न खबीस को ठोंक-ठोंक मार-मार नहीं मारे तो निरंजन निराकार की दुहाई।
किसी शुभ शनिवार के दिन से हनुमान जी की पूजा आरम्भ करें। नित्य 121 बार उपर्युक्त मंत्र का जप करें। यह क्रम लगातार 21 दिनों तक चलना चाहिए। इक्कीसवे दिन गुग्गुल से 21 बार हवन करें। इस क्रिया से यह मंत्र सिद्ध हो जाता है। बाद में जब कभी आवश्यकता पड़े, रोगी को सामने बैठाए और उड़द के दाने अथवा चौराहे से लाई हुई कझ्डड़ियों को 1-1 करके मंत्र पढ़-पढ़कर फूंक मारते हुए रोगी के शरीर पर मारें। इस क्रिया से रोगी के शरीर से उतर कर वह दुष्ट आत्म (भूत-प्रेत जो भी हो) वहीं मृत, निष्क्रिय-पंगु अथवा समाप्त हो जाता है। रोगी चज्ढा हो जाता है और उस प्रेतात्मा के द्वारा फिर किसी के आक्रान्त होने की आशज्ढा नहीं रहती।
5.प्रेतबाधा-निवारण मंत्र
ॐ नमो आदेश गुरु को घोर-घोर इन घाजी की किताब घोर मुल्ला की बांघ घोर, रेगर की कुण्ड घोर, धोबी की कुण्ड घोर, पीपल का पान घोर, देव की दीवाल घोर, आपकी घोर बिखेरता चल, पर की घोर बैठाता चल, बच्र का किवाड़ तोड़ता चल, कुनकुनसो बंछ करता चल, भूत को पलीत को देव को, दानव को, दुष्ट को, मुष्ट को, चोट को, फेट को, मेले को, घरेले को, उलके को, बुलके को, हिडके को, भिडके को, औपरी को, पराई को, भूतनी को, पलीतनी को, डंकिनी को, स्यारी को, भूचरी को, खेचरी को, कलुए को, मलबे को, उनको मथबाय के ताप को, माथा मथबाय को, मगरा की पीड़ा को, सांस की कास को, मेरे को, मुसाण को, कुणकुणासा मुसाण, कचिया मुसाण, भूकिया मुसाण, चीड़ी चोपटा का मुसाण, नुहया मुसाण, इनन्हों को बंद करि एडी की एडी बंगु करि, पीड़ा की पीड़ी बंध कारि, जांघ की जाडी बंध करि, कटया की कड़ी बंध कारि, पेट की पीड़ा बंध कारि, छाती शल बंध करि, सरिकी सिस बंधकारि, चोटी की चोटी बंधकारि, नौ नाड़ी बहत्तर कोठा रोमरोम में घर, पिण्ड में दखलकर, देश बंगाल का मनसारा मसेबड़ा, आकर मेरा कारज सिद्ध न करे तो गुरु उस्ताद से लाजे, शब्द साचा पिण्ड काचा, फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा।
रविवार को साधक साफ कपड़े पहनकर जंगल में या घर के एकान्त में दक्षिण की तरफ मुंह करके बैठ जाय। सामने लोबान का धूप लगा ले तथा अपने शरीर पर इत्र लगा ले। साधक किसी भी प्रकार के कपड़े पहन सकता है। तेल का दीपक बराबर जलाए रखे। तेल किसी भी प्रकार हो सकता है। इस प्रकार यह मंत्र रविवार को करने पर सिद्ध होता है तथा प्रत्येक को 201 माला इस मंत्र की फेरनी चाहिए। जब 19 रविवार पूरे हो जाए, तो उस दिन जंगल में जाकर भांग या सुलफा छोड़ देना चाहिए।
मंत्र सिद्ध होने पर सात बार इस मंत्र को पढ़े तो सभी प्रकार की बाधाएं, भूत प्रेत आदि को दूर कर सकता है। सिद्ध होने पर साधक को चाहिए कि वह सामने उपद्रवग्रस्त व्यक्ति को बैठाकर हाथ में लोहे की कील लेकर इस मंत्र को सात बार पढ़ें। यदि किसी भी प्रकार का बुखार हो तो वह उसी समय उतर जाता है।
मंत्र सिद्ध करने की प्रमुख बातें
2. किसी व्यक्ति ने किसी एक मंत्र को सिद्ध कर लिया है तो वह किसी अन्य मंत्र को थोड़ी आसानी से सिद्ध कर सकता है उसके लिए उसे मंत्र को सिद्ध करना आसान होता है वह इस मंत्र को आसानी से अपने काम में ले सकता है वह किसी गुरु के बिना भी मंत्र को आसानी से सिद्ध कर सकता है
3. जो लोग नए हैं जिनके पास कोई मंत्र सिद्ध करने के लिए गुरु नहीं है जिन्होंने एक भी मंत्र कभी अपने जीवन में सिद्ध नहीं किया है उन लोगों को कोई भी मंत्र जागृत करने में समस्याएं आ सकती हैं या उनसे सिद्ध मंत्र नहीं हो सकता है और उन्हें सिद्ध करने में मंत्र बहुत समय लग सकते हैं और उन्हें कई समस्याएं भी आ सकती हैं जो लोग नए हैं उन लोगों के लिए पहले से ही सिद्ध मंत्र को ही जाप करना चाहिए जो पहले से सिद्ध मंत्र हो।