प्राणायाम आसन
Pranayama aasan- photo: pixabay

प्राणायाम अष्टांग योग का चौथा अंग है यह प्राण और आयाम से मिलकर बना प्राणायाम है प्राणायाम योग करने से साधक को शारीरिक और मानसिक दोनों लाभ प्राप्त होता है जिससे साधक को ध्यान लगाने में उसको बड़ी कामयाबी मिलती है बिना प्राणायाम किए ध्यान लगाना आसान नहीं होता है इसलिए प्राणायाम योग साधक को शारीरिक अंदरूनी ऊर्जा प्रदान करता है जिससे योगी योग आसन में लंबे समय तक योग मुद्रा में घंटो बैठ पाते है प्राणायाम योगी को योग मुद्रा में लंबे समय तक बैठने में एनर्जी देता है और साधक को स्वास्थ्य प्रदान करता है आईए जानते हैं कि प्राणायाम को सही तरीके से कैसे करते हैं इसका संपूर्ण लाभ कैसे प्राप्त किया जाता है

प्राणायाम करने का तरीका अर्थात नियम कुछ इस प्रकार है

1. एक हवादार शांत स्थान का चयन करें:


 प्राणायाम स्वास पर आधारित योग क्रिया है इसलिए जब आप प्राणायाम करने के लिए बैठे तो वह स्थान हवादार होना अत्यधिक आवश्यक अन्यथा आपका दाम घुट सकता है इसलिए आपको जितना हो सके किसी गार्डन या बगीचे में या अपने छत पर प्राणायाम का आसन लगा सकते हैं

2. सुखासन या पद्मासन मुद्रा में बैठे :


प्राणायाम करने के लिए सुखासन अथवा पद्मासन मुद्रा में बैठे चाहे आप अपने हिसाब से किसी भी आसान मैं बैठ सकते हैं बस आपको इतना ध्यान देना होगा कि आप प्राणायाम करते समय बिना कष्ट के लंबे समय तक बिना हिले डुले बैठ सके ।

3. सिर कमर और रीड की हड्डी को सीधा रखें:


जब आप योगासन में बैठ जाएं तब अपने सिर गर्दन और कमर तथा अपने रीड की हड्डी को एक समान सीधा रखें और आसन में बैठ जाएं शुरुआती अभ्यास में कमर को सीधा रख पाने में कठिनाई होती है लेकिन अभ्यास के द्वारा रीड की हड्डी को सीधा किया जाता है इसलिए आप प्रतिदिन इसका अभ्यास करें तो आप योग आसन मुद्रा में बैठ सकते हैं

4. अपनी सांसों पर खास ध्यान दें: 


अब एक लंबी स्वास को अपने शरीर के भीतर खींचे और कुछ देर के लिए भीतर रोक दे फिर खींची हुई स्वास को पूरी तरह बाहर छोड़ दे फिर उसको उसी पर रोक दें फिर एक लंबी सांस शरीर के भीतर ले और उसे फिर रोक दें फिर रोकी हुई स्वास को बाहर छोड़े और उसे फिर रोक दें यह क्रिया आपको जब तक करनी है कि जब तक पूरे शरीर में ऑक्सीजन वायु की पूर्ति न हो जाए जब शरीर में ऑक्सीजन की पूर्ति हो जाए। ऑक्सीजन की शरीर में पूर्ति हो जाने के बाद आपसे स्वास्थ्य अंदर की ओर नहीं लिया जाएगा और स्वास एकाएक स्थिर हो जाएगी आप अपने स्वास को न बाहर ले सकेंगे न भीतर स्वास पूरी तरह एक स्थान पर रुक जाएगी ऐसा होने पर प्राणायाम योग सिद्ध हो जाता है जब आपके साथ ऐसा होगा तब आप धारणा प्रत्याहार से होते हुए ध्यान की गहराई में आप चले जाएंगे अब आपको ध्यान की क्रिया करनी होती है आगे की क्रिया ध्यान योग में बताया गया है