अष्टांग योग में, शरीर की शुद्धि एवं अंतर मन की शुद्धि , इंद्रियो के विष्यो से रोकने, और शरीर को स्वच्छ एवं स्वस्थ बनाए रखने के लिए जिन आदतों को किया जाता है उसे योग की भाषा में नियम कहते है
नियम के प्रकार
शौच - (शुद्धि का पालन करना) - नियमित रूप से शौच स्नान और दातुआन करना, शरीर को साफ सुथरा रखना, अच्छे फुल्के कपड़े पहनना, मन से गंदे विचार सोचना बंद करना,दुसरो की बुराई न करना, जहा ध्यान लगाए जाए उस स्थान को शुद्ध रखना,
संतोष - (संतुष्ट रहना) - आपके पास जो है, उसमें संतुष्ट रहना। किसी चीज की चाहने की इच्छा व्यक्ति को कभी सुख नही दे सकता है इच्छाएं कभी नही मरती है इसीलिए व्यक्ति को जितना हो सके उसे संतुष्ट रहना चाहिए
तप - (साधना और तपस्या का पालन करना) - आत्मा के साथ साधना करना और तपस्या करना। मन को प्रसन्न रखना, चित्त में शान्ति रखना, मौन धारण करना, विषयों से मन को रोकना, अन्तःकरण को शुद्ध रखना, यह सब मानसिक तप है जिससे मन वश हो जाता है
स्वाध्याय - (स्वयं की अध्ययन करना) - स्वयं की आत्मा की अध्ययन करना और स्वयं का विकास करना। परमात्मा को अपने शरीर के भीतर खोजना , आत्म चिंतन करना,
ईश्वर प्रणिधान - (ईश्वर में समर्पण करना) - ईश्वर में पूरी तरह समर्पित रहना और उसकी आज्ञाओ का पालन करना।
नियम के लाभ
अंतर मन की शुद्धि : नियम का पालन करने से मन में गंदे विचार नहीं आते हैं मन निर्मल और दिमाग शांत रहता है इंद्रिय इधर-उधर नहीं भागती हैं
इंद्रियों का नियंत्रण: नियम इंद्रियों को संयमित रूप से रखने में मदद करते हैं, जिससे व्यक्ति मानसिक शांति प्राप्त कर सकता है।
नैतिक मूल्यों का पालन: नियम व्यक्ति को नैतिक मूल्यों का पालन करने में मदद करते हैं, जैसे कि अहिंसा, सत्य, और अस्तेय।
सामग्री की अत्यधिक संग्रह से बचाव: अपरिग्रह के नियम व्यक्ति को सामग्री की अत्यधिक संग्रह से बचाने में मदद करते हैं और वित्तीय स्वतंत्रता को बढ़ावा देते हैं।
आंतरिक शांति: नियम जैसे तप और संतोष व्यक्ति को आंतरिक शांति और संतोष की ओर अग्रसर करते हैं।
आदर्श जीवन: नियम एक आदर्श जीवन की प्राप्ति में मदद करते हैं, जो संयम, सजगता, और सामाजिक न्याय के मूल्यों पर आधारित होता है।
स्वास्थ्य और शारीरिक फायदे: अष्टांग योग के नियमों का पालन करने से स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है, और शारीरिक और मानसिक तनाव कम हो सकता है।
आत्मसमर्पण: ईश्वर प्रणिधान के नियम व्यक्ति को आत्मसमर्पण और शांति की भावना का अनुभव करने में मदद करते हैं।
सोचने की विशेष योग्यता: है नियम व्यक्ति के सोचने की योग्यता को बढ़ावा देते हैं, जिससे वह अपने आदर्शों के साथ अधिक सफलता प्राप्त कर सकता है।
आत्मा का विकास: अष्टांग योग के नियम आत्मा के विकास को प्राथमिकता देते हैं, जिससे व्यक्ति अपने स्वार्थी और आदर्श जीवन की प्राप्ति में सफल हो सकता है।
शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार: नियम के पालन से अहिंसा, सत्य, और ब्रह्मचर्य के नियम व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद करते हैं। इनके पालन से तनाव कम होता है और शारीरिक समृद्धि होती है.
मानसिक शांति और संतोष : नियम में संतोष और स्वाध्याय के नियम मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाते हैं। व्यक्ति अपने जीवन में संतोष और सफलता के साथ अधिक संतुष्ट और सांत्वना में रहता है.
आध्यात्मिक विकास: नियम में ईश्वर प्रणिधान के नियम योगी को आध्यात्मिक विकास के मार्ग पर ले जाते हैं। यह व्यक्ति को आत्मा के साथ एकता का अनुभव करने और अपने अंतरात्मा के साथ संबंध स्थापित करने में मदद करता है.
सामाजिक सुधार: नियम जैसे अहिंसा और सत्य के पालन से व्यक्ति समाज में अच्छे नागरिक बनता है और समाज को सुधारने में योगदान करता है.
आत्म-नियंत्रण: नियम योगी को अपने इच्छाशक्ति का संयम रखने और जीवन के मामूली तंतु को नियंत्रित करने में मदद करते हैं.